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2017: कुछ और बड़ा हो गया हिन्दी साहित्य का सन्नाटा
प्रियदर्शन
‘कमजोर आत्मा वाले समर्पण कर देते हैं, लेकिन बाकी लोग मशाल को आगे ले चलते हैं’
आरएसएस प्रकाशन के खिलाफ शारजाह अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में शिकायत दर्ज
हमें उन लोगों को गहराई से सुनना चाहिए जो हमारे जैसे नहीं हैं: अरुण मायरा
आईएएनएस
चंपारण सत्याग्रह पर विशेष: ‘वह गांव-गांव, गली-गली किसानों के पास जाकर उनका दर्द सुनता है’
‘मैं आज तक इसके सम्मोहन से बाहर नहीं निकल पाया हूं’
‘जेठ के दिन हैं, अभी तक खलिहानों में अनाज मौजूद है, मगर किसी के चेहरे पर खुशी नहीं है’
किताबें Kitabe
‘हम कितनी जल्दी पहले विश्व युद्ध की विभीषिका और चार वर्ष के मृत्यु के तांडव को भूल गए?’
23 Aug 2017, 2:00 PM
किताबें Kitabe
‘मैं न हिंदुस्तान में रहना चाहता हूं न पाकिस्तान में’, मैं इस पेड़ पर रहूंगा’
18 Aug 2017, 4:40 PM
किताबें Kitabe
‘मैं उसके छोड़े हुए सिगरेटों के टुकड़ों को संभालकर अलमारी में रख लेती थी’
18 Aug 2017, 4:31 PM
किताबें Kitabe
‘मुझे लोगों को सत्याग्रह का रहस्य समझाने का उत्साह था’
18 Aug 2017, 4:24 PM
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