संसदीय समिति ने कहा- सरकार को दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का करना चाहिए ऑडिट, मुआवजा हो सुनिश्चित

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में सिफारिश की है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड की मौतों की जांच करे और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा सुनिश्चित करे।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को लेकर संसद की स्थायी समिति ने सरकार को मौत की जांच करने और पीड़ितों के परिवार को मुआवजा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में सिफारिश की है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ऑक्सीजन की कमी के कारण कोविड की मौतों की जांच करे और पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा सुनिश्चित करे।

पैनल ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा है?

  • पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि समिति सरकार की इस घोर अज्ञानता से निराश है और परिवार कल्याण मंत्रालय को विशेष रूप से कोविड की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों की संख्या की जांच करने की जोरदार सिफारिश करती है।

  • समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि "मंत्रालय को राज्यों के साथ समन्वय कर ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों का ऑडिट करना चाहिए और कोरोना से होने वाली मौतों के ठोस दस्तावेज को सबके सामने लाना चाहिए, जो वास्तव में सरकार की उत्तरदायी और जिम्मेदार भावना है।

  • समिति ने कहा कि वह सरकारी एजेंसियों से अधिक पारदर्शिता और अधिक जवाबदेही की अपेक्षा करती है। मंत्रालय को ऑक्सीजन से प्रभावित कोविड मौतों की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।

कोरोना की उत्पत्ति के रहस्य जैव-सुरक्षा के बड़े परिणाम हो सकते हैं: संसदीय समिति

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि वह अपनी कूटनीति के तहत राष्ट्रों के समूह से अपील करे कि वह कोविड-19 की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए अध्ययन करे क्योंकि इससे दुनियाभर में जीवों की हिफाजत और जैव-सुरक्षा के संबंध में व्यापक परिणाम सामने आ सकते हैं। विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने "वैक्सीन विकास, वितरण प्रबंधन और कोरोना महामारी की गंभीरता के उपाय" पर अपनी 137वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की।

रिपोर्ट में कहा गया है, "अभी भी इस बात के पुख्ता सबूतों का अभाव है कि क्या कोरोनावायरस किसी प्रयोगशाला की घटना के जरिए इंसानों तक पहुंचा। फिर भी, समिति समझती है कि अगर कोरोनावायरस की उत्पत्ति को एक रहस्य बना रहने दिया गया, तो दुनिया की जीवों की हिफाजत और जैव-सुरक्षा पर इसके व्यापक परिणाम होंगे। इसलिए, समिति सरकार को अपनी कूटनीति पर विचार करने के लिए दृढ़ता से अनुशंसा करती है कि वह राष्ट्रों के समूह से अपील करे कि वे कोविड-19 की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए और अधिक अध्ययन करें और दोषियों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर दंडित करें।"

इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों की पुष्टि करने को लेकर अनुरोध किया था। जिसके जवाब में 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने बताया था कि उसके यहां ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। अब, समिति ने अपने अवलोकन में कहा है कि मंत्रालय को राज्यों के साथ समन्वय करना चाहिए और ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों का ऑडिट करना चाहिए।

केंद्र सरकार ने कहा था, ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई कोई मौत!

केंद्र सरकार ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। यह बयान राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीर पवार ने 20 जुलाई 2021 को दिया था। सरकार ने कहा था कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा 'ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई भी मौत विशेष रूप रिपोर्ट नहीं की गई है'। सरकार के इस बयान से राजनीतिक हलकों में हंगामा खड़ा हो गया था।

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