अडानी रिश्वत कांड: साबित हो गए आरोप तो होगी 20 साल तक की कैद और 50 लाख डॉलर का जुर्माना

अमेरिकी कानून के मुताबिक जो आरोप गौतम अडानी और उनके अन्य सहयोगियों पर लगाए हैं, अगर वे साबित हो जाते हैं तो आरोपियों को 20 साल तक की कैद और 50 लाख डॉलर तक का जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा अन्य आरोपों में भी 5 साल तक की कैद का प्रावधान है।

आरोप सिद्ध होने पर आरोपियों को 20 साल तक की कैद हो सकती है
आरोप सिद्ध होने पर आरोपियों को 20 साल तक की कैद हो सकती है
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नवजीवन डेस्क

अमेरिका में गौतम अडानी और उनकी कंपनियों के कई अधिकारियों पर अभियोग और वारंट जारी होने के बाद यह तय होना है कि मुकदमा कब से शुरु किया जाए। अभियोग पत्र में अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी इस बात पर सहमत है कि मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। अब न्यायाधीश को तय करना है कि आरोपियों को जमानत दी जाए या नहीं।

गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और 6 अन्य लोगों के खिलाफ अभियोग दायर होने के बाद अब मुकदमा चलना है और अंतिम सुनवाई होनी है। मुकदमे की शुरुआत में ही अगर गौतम अडानी मान लेते हैं कि उनसे अपराध हुआ है तो मुकदमा नहीं चलेगा। लेकिन ऐसा तब होगा जब अभियुक्तों को औपचारिक रूप से आरोपों के बारे में सूचित किया जाएगा। अगर सभी अभियुक्त कहते हैं कि उन्होंने अपराध नहीं किया है तो मुकदमा ट्रायल के लिए ज्यूरी के पास जाएगा। वैसे संभावना तो यही है कि अडानी समूह के चेयरमैन शायद ही न्यूयॉर्क में अदालत के सामने पेश हों। 

अमेरिकी कानूनी विभाग की अपराध शाखा के डिप्टी सहायक अटॉर्नी जनरल लिजा एस मिलर ने अडानी और उनके सहयोगियों पर आरोप लगाया है कि समूह ने अत्यधिक लाभ वाले सोलर एनर्जी सप्लाई के ठेके लेने के लिए भारत के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत का प्रलोभन दिया और इसके लिए अमेरिकी निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की।

कानूनी मामलों पर लिखने वाले खोजी पत्रकार सौरव दास ने दावा किया है कि गौतम अडानी और अन्य के खिलाफ विभिन्न अमेरिकी कानूनों के तहत दर्ज किए गए आरोपों में कड़ी सजा का प्रावधान है। प्रतिभूति धोखाधड़ी के लिए 20 साल तक की जेल और 50 लाख अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है। प्रतिभूति धोखाधड़ी करने की साजिश के लिए फिर से 5 साल तक की जेल और 250,000 डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है। वायर फ्रॉड साजिश के आरोप में 20 साल तक की जेल और भारी जुर्माना हो सकता है। विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के आरोपों में फिर से पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।


अमेरिकी सिस्टम के तहत, जांच एजेंसी सबूतों को एक सरकारी अभियोजक और एक वकील को सौंपती है, जो सबूतों का मूल्यांकन करता है और तय करता है कि कोई अपराध या खुराफात हुई है या नहीं। एक बार जब अभियोजक यह तय कर लेता है कि कोई अपराध हुआ है, तो वकील एक ग्रैंड ज्यूरी के चयन की पहल करता है। ज्यूरी का अर्थ है ऐसे प्रबुद्ध लोगों का एक पैनल जो उस अदालत के अधिकार क्षेत्र में रहते हैं। यही ज्यूरी मामले की सुनवाई कर सकती है।

न्यूयॉर्क राज्य में, ग्रैंड ज्यूरी में कम से कम 16 और अधिकतम 23 सदस्य शामिल हो सकते हैं। इनमें से 12 को अभियुक्त पर अभियोग लगाने के लिए सहमत होना चाहिए। हालाकि, ग्रैंड ज्यूरी का काम यह तय करना है कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त हैं या नहीं। न्यूयॉर्क राज्य में, किसी व्यक्ति पर तब तक खुराफात के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जब तक कि उस व्यक्ति पर ग्रैंड ज्यूरी द्वारा अभियोग न लगाया गया हो।

गौतम अडानी और अन्य के खिलाफ जारी अभियोग के अनुसार, सौर ऊर्जा परियोजना में 6 बिलियन डॉलर (लगभग 50,676 करोड़ रुपए) के निवेश से 20 वर्षों में टैक्स के बाद 2 अरब अमेरिका डॉलर (करीब 16,892 करोड़ रुपये) से अधिक के फायदे का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, इस परियोजना को उस समय एक अप्रत्याशित झटका लगा था जब ऊंची कीमतों के चलते इसे भारतीय डिस्कॉम के लिए मुफीद नहीं पाया गया। इस कारण सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) को खरीदारों को आकर्षित करने के लिए कोशिश करनी पड़ी।

अभियोग के तहत अडानी और उनके सहयोगियों पर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, जो एफसीपीए (विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम) का कथित उल्लंघन है। यह कानून 1977 में लागू किया गया था, लेकिन हाल के दशकों में इसे और भी सख्ती से लागू किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप जर्मनी की सीमेंस, ब्राजील की सरकारी स्वामित्व वाली पेट्रोब्रास और तेल सेवा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी हैलीबर्टन की सहायक कंपनी सहित प्रमुख कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया गया है।