'हम अडानी के हैं कौन’: कांग्रेस का सवाल- अडानी समूह के फर्जी संस्थाओं के अवैध गतिविधियों की जांच की स्थिति क्या है?
कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हर दिन अडानी मामले को लेकर पिछले कई दिनों से सवाल पूछ रही है। इस क्रम में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने 'हम अडानी के हैं कौन' सीरीज की 16वीं किस्त के तहत पीएम मोदी से मंगलवार को ट्वीट कर तीन सवाल किए।
कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हर दिन अडानी मामले को लेकर पिछले कई दिनों से सवाल पूछ रही है। इस क्रम में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने 'हम अडानी के हैं कौन' सीरीज की 16वीं किस्त के तहत पीएम मोदी से मंगलवार को ट्वीट कर तीन सवाल किए। जयराम रमेश ने लिखा:
प्रिय प्रधानमंत्री मोदी,
जैसा कि आपसे वादा था, हम अडानी के हैं कौन (एचएएचके) श्रृंखला में आपके लिए आज का तीन प्रश्नों का सोलहवां सेट प्रस्तुत है। सवालों का यह सेट अडानी समूह की एक वैश्विक भ्रष्टाचारी तंत्र में संभावित भागीदारी से संबंधित हैं, जिसमें गहरे राजनीतिक संबंध रखने वाली अन्य कंपनियां शामिल हैं।
सवाल नंबर-1
जैसा कि हमने इस श्रृंखला के अपने 19 फरवरी 2023 को पूछे प्रश्नों के सेट में उल्लेख किया था कि अडानी समूह ने रूस के उस वीटीबी बैंक का उपयोग करते हुए कई ‘संबंधित पार्टी लेन-देन’ किए हैं, जो कई वर्षों से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। वीटीबी 14 अक्टूबर, 2016 को 13 अरब अमेरिकी डॉलर से गुजरात में एस्सार के स्वामित्व वाले बंदरगाह और रिफाइनरी की रोसनेफ्ट ऑयल खरीद में भी दिखाई देता है तथा यह समाचार काफी सुर्खियों में रहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और आपने इस सौदे को अंतिम रूप देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, एक रूसी विश्लेषक रिपोर्ट में कहा गया है कि "हमने यह अनुमान लगाया है कि रोसनेफ्ट एस्सार ऑयल की कीमत का कम से कम दोगुना भुगतान करने पर सहमत हो गया है।"
दिलचस्प बात यह है कि 4 सितंबर 2015 और 28 अक्टूबर 2016 के बीच, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रो रिसोर्सेज़ ने मिलकर रोसनेफ्ट की सहायक कंपनी वैंकोरनेफ्ट में 4.23 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत पर इसकी 49.9% हिस्सेदारी खरीदी, जिसमें वीटीबी की भी भूमिका हो सकती है। वैंकोरनेफ्ट में लगातार गिरते उत्पादन और संपत्ति पर प्रबंधन के नियंत्रण की कमी को देखते हुए, रूस के पूर्व ऊर्जा उप मंत्री व्लादिमीर मिलोव ने कहा कि "भारतीय कंपनियों ने स्पष्ट रूप से वैंकोर के शेयरों के लिए अधिक भुगतान किया है।"
यह एक संदिग्ध पैटर्न है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां एक तेल संपत्ति के लिए एक रूसी कंपनी को कीमत से अधिक भुगतान करती हैं, जो बदले में एक अन्य ऊर्जा संपत्ति के लिए राजनीतिक रूप से जुड़ी निजी भारतीय कंपनी को कीमत से अधिक भुगतान करती है। एस्सार लेन-देन में आपकी प्रत्यक्ष भूमिका से क्या यह प्रश्न नहीं उठता है कि, क्या आपने अपनी राजनीतिक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए भारतीय करदाताओं का पैसा निजी भारतीय कंपनियों की जेब में स्थानांतरित किया?
सवाल नंबर-2
न्यू लीना, साइप्रस स्थित एक इकाई है, जिसका 95% निवेश अडानी समूह की कंपनियों (420 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक) में किया गया है। इस फंड के "अंतिम लाभार्थी मालिक" वित्तीय सेवा फर्म एमिकॉर्प से जुड़े हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि एमिकॉर्प ने कम से कम सात अडानी इकाइयां स्थापित की हैं, 17 विदेशी शेल कंपनियां गौतम अडानी के भाई विनोद से जुड़ी हैं और अडानी समूह के स्टॉक में मॉरीशस के तीन विदेशी निवेशक हैं। एमिकॉर्प "1एमडीबी" घोटाले में शामिल होने के लिए कुख्यात है, जिसमें मलेशिया के सॉवरीन वेल्थ फंड "1 मलेशिया डेवलपमेंट बरहाड" से 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर का धन वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों द्वारा गबन किया गया था। उस घोटाले में फंसी एमिकॉर्प संस्थाओं में से एक हाल ही तक न्यू लीना में एक शेयरधारक थी। क्या अडानी समूह और अन्य व्यावसायिक घराने भारत में राजनीतिक नेताओं के खजाने में सार्वजनिक धन को प्रवाहित करने के लिए वैश्विक भ्रष्टाचारी तंत्र में शामिल हैं?
सवाल नंबर-3
न्यू लीना "स्टॉक पार्किंग" का दोषी प्रतीत होता है, जिसमें एक तीसरा पक्ष नियामकों के समक्ष वास्तविक मालिक के स्वामित्व या नियंत्रण को छिपाने के लिए शेयर अपने पास रखता है। क्योंकि हम जानते हैं कि पिछले कुछ समय से सेबी ने इन फर्मों को अपने रडार पर रखा हुआ है, इसलिए हम यह जानना चाहते हैं कि अडानी समूह से संबंधित फर्जी संस्थाओं द्वारा स्टॉक पार्किंग संबंधी अवैध गतिविधियों की जांच की स्थिति क्या है? क्या इन संस्थाओं के गहरे वैश्विक संबंध समुचित जांच को बाधित कर रहे हैं?
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