विश्व पुस्तक मेले को लेकर आखिरी दिन लोगों में दिखा खासा उत्साह, बड़ी संख्या में लोगों ने मेले का किया रुख
दिल्ली के प्रगति मैदान में 6 से 14 जनवरी के बीच आयोजित विश्व पुस्तक मेले में पाठकों की भारी भीड़ देखी गई। युवाओं ने मेले में किताबों की जमकर खरीददारी की।
दिल्ली के प्रगति मैदान में 6 से 14 जनवरी तक आयोजित विश्व पुस्तक मेले का आज आखिरी दिन है। आखिरी दिन भी मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा गया। डिजिटल दुनिया के इस दौर में जहां मोबाइल और कम्प्यूटर पर हर तरह की किताबें उप्लब्ध हैं, इस दौर में भी पुस्तक मेले को लेकर लोगों में खासी रूची देखी गई। बड़ी संख्या में लोगों ने पुस्तक मेले का रुख किया। 400 से ज्यादा भारतीय और 40 से ज्यादा विदेशी प्रकाशकों ने इस मेले में हिस्सा लिया। मेले में हर वर्ग और हर उम्र के लोगों के लिए किताबें मौजूद थीं। पुस्तक मेले में इस बार खास बात यह रही कि हिंदी और अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषाएं, जैसे उड़िया, तेलुगू और कन्नड़ समेत देश की विभिन्न भाषाओं में भी किताबें उपलब्ध थीं। एस्ट्रोलॉजी सॉफ्टवेयर, आध्यात्मिक और उपचारक वस्तुएं, योग की किताबें समेत कई तरह की चीजें लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।
पुस्तक मेला में आए एक व्यक्ति ने बताया कि वह सालों से यहां आ रहे हैं और उनको आध्यात्मिक और सामाजिक किताबें पढ़ना काफी पसंद है। उन्होंने कहा कि डिजिटल दौर में भी किताबों की काफी अहमियत है। उन्होंने कहा, “मोबाइल पर किताबों को पढ़ने की बजाय मैं सिर्फ किताबें ही पढ़ना पसंद करता हूं, क्योंकि जो मजा किताबों को पढ़ने में है, वो मजा मोबाइल में किताबों को पढ़ने में नहीं है।
पुस्तक मेले में एक स्टॉल के मालिक प्रेम कुमार बताते हैं, “मेले में हर उम्र के व्यक्ति आते हैं, पर छात्रों की संख्या ज्यादा होती है, क्योंकि यहां इनके मतलब की किताबें मौजूद हैं।”
प्रगति मैदान के हॉल नंबर 7 के पास बाल मंडप लगाया गया था। यहां बाल साहित्य और उससे जुड़ी गतिविधियों के साथ बच्चों के लिए लिखने वाले लेखकों ने बच्चों के साथ बात भी किया। हॉल नंबर 7 में ही यूरोपीय संघ के सदस्य देशों का विशेष मंडल भी लगाया गया था। मेले में थीम आधारित एक कैलेंडर का भी विमोचन किया गया।
पुस्तक मेले में लेखक राजीव रंजन प्रसाद की किताब ‘प्रगतिशील कृषि के स्वर्णकार’ पर चर्चा भी की गई। चर्चा में जाने माने लेखक और टीवी जगत से जुड़े लोग मौजूद थे। चर्चा का विषय था, किताब में लिखी किसानों की स्थिति को सुधारना और उन्हें जागरूक करना।
विश्व पुस्तक मेले में लोगों के लिए किताबों के साथ यहां खाने-पीने की भी पूरी व्यवस्था की गई थी। मेले में लोगों के मनोरंजन का भी ख्याल रखा गया था। मेले में नुक्कड़ नाटक जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जिसने लोगों का खूब मन मोहा।
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Published: 14 Jan 2018, 10:59 AM