क्या प्रणब मुखर्जी संघ को राष्ट्रवाद पर आईना दिखाएंगे !
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को संघ शिक्षा वर्ग के ‘तृतीय वर्ष’ यानी कोर्स के तीसरे साल के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में आयोजित संघ के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस खबर के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गयी है। बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टी कर दी है और सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि मुखर्जी इस कार्यक्रम में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर अपने विचार रखेंगे और आरएसएस को आईना दिखाएंगे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है। सूत्रों के मुताबिक मुखर्जी इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में संघ को राष्ट्रवाद का वास्तविक अर्थ समझाएंगे और माना जा रहा है कि वह इस बात की भी आलोचना कर सकते हैं कि अपने राजनीतिक लाभ को पूरा करने के लिये किस तरह कुछ लोग राष्ट्रवाद को अपने हिसाब से परिभाषित कर रहे हैं।
इस मामले को लेकर एक बड़ी सियासी बहस शुरू हो गया है। हालांकि, कांग्रेस की ओर से फिलहाल इस पर कोई बड़ा आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन दिल्ली से पूर्व लोकसभा सांसद संदीप दीक्षित ने प्रणब मुखर्जी के इस दौरे को लेकर कुछ सवाल जरूर उठाए हैं। उनका कहना है कि प्रणब मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा के मामले को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं और ये बातें आरएसएस को भी पता होंगी। प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि “आरएसएस जैसा कोई देश विरोधी संगठन नहीं है। इसे इस देश में नहीं होना चाहिए।” संदीप दीक्षित ने सवाल उठाया कि “ऐसा शख्स जो आरएसएस को सांप से भी जहरीला मानता है, उसे कार्यक्रम में बुलाया जा रहा है, तो क्या प्रणब मुखर्जी ने अपना विचार बदल लिया है या फिर आरएसएस में कोई अभिमानी ही नहीं बचा है।”
संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के जाने को लेकर राजनीतिक बहस तेज होने पर बीजेपी और आरएसएस की तरफ से भी इसको लेकर बयान आए हैं। बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी को बुलाए जाने का बचाव करते हुए कहा कि अगर पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस के कार्यक्रम में आते हैं तो इसमें क्या समस्या है। उन्होंने कहा, आरएसएस देश का एक संगठन है और देश में कोई राजनीतिक छुआछूत नहीं होनी चाहिए।
वहीं आरएसएस की ओर से भी इस मुद्दे पर बयान जारी कर कहा कि संघ हमेशा से अपने कार्यक्रमों में समाज के प्रमुख लोगों को आमंत्रित करता रहा है और जो लोग संघ को जानते हैं, उनके लिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आरएसएस ने अपने बयान में आगे कहा, “इस बार हमने डॉ. प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया है और यह उनका बड़प्पन है कि उन्होंने हमारे निमंत्रण को स्वीकार किया है।”
आरएसएस इस तरह के अपने कार्यक्रमों में देश की जानी मानी हस्तियों को आमंत्रित करता रहा है। पिछले साल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बोलते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि देश में राष्ट्रवाद की किसी नई परिभाषा की जरूरत नहीं है। ध्यान रहे कि राष्ट्रपति के पद से सेवानिवृत होने के बाद से प्रणब मुखर्जी की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से 4-5 बार मुलाकात हो चुकी है। इन मुलाकातों को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिस कांग्रेस पार्टी से मुखर्जी का संबंध रहा है आरएसएस हमेशा से उसकी बड़ी विरोधी रही है।
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