बुराड़ी कांडः 11 मौतों के रहस्य का पता लगाने के लिए पुलिस ले सकती है ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ का सहारा
मनोचिकित्सकों का मानना है कि बुराड़ी का सामूहिक आत्महत्या कांड भारत ही नहीं, दुनिया का सबसे अजीब मामला है। इस घटना को अगर मेडिकल साइंस समेत अन्य नजरियों से देखा जाए तो सिर्फ अंधविश्वास के कारण सामूहिक आत्महत्या की बात गले नहीं उतरती।
राजधानी दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की रहस्यमयी मौत का मामला अब तक नहीं सुलझा है। इस मामले में अब ये बात सामने आ रही है कि मृतक भाटिया परिवार साझा मनोविकृति (साइकोटिक डिस्ऑडर) से ग्रस्त हो सकता है। कहा जा रहा है कि इस मामले को सुलझाने के लिए पुलिस ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ का सहारा ले सकती है। इससे पहले सुनंदा पुष्कर और आरुषि हत्याकांड को सुलझाने में भी पुलिस साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा ले चुकी है। पुलिस के सूत्रों के अनुसार जांच में मृतक परिवार में साझा मनोविकृति के लक्षण दिखाई दिये हैं।
बुराड़ी कांड में पुलिस को घटनास्थल से जो रजिस्टर और हाथ से लिखे नोट मिले हैं, उनसे ये बात निकल कर आई है कि भाटिया परिवार के बेटे ललित को मृत्यु के बाद भी अपने पिता को देखने और उनसे बात करने का भ्रम था। वह अक्सर घर वालों से पिता की आवाज में बातें किया करता था और उन्हें निर्देश दिया करता था। उसी ने रजिस्टर में आत्महत्या करने का पूरा तरीका भी लिखा था। अब तक की जांच में ये आशंका जताई जा रही है कि ललित का पूरे परिवार पर इतना प्रभाव था कि उसने सभी को भगवान से मिलने के नाम पर आत्महत्या के लिए तैयार कर लिया था। चूंकि पूरा परिवार उसके भ्रम को मान्यता देने लगा था, तो इसलिए सभी आसानी से इसके लिए तैयार हो गए।
क्या होती है साझा मनोविकृति (साइकोटिक डिस्आर्डर)
साइकोटिक डिस्ऑडर यानी साझा मनोविकृति ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें कोई एक व्यक्ति भ्रमपूर्ण मान्यताओं का शिकार होता है, लेकिन उससे जुड़े दूसरे लोग इस बीमारी से ग्रस्त नहीं होते, लेकिन उसके भ्रम और विश्वास को मान्यता देने लगते हैं। यह मनोविकृति धीरे-धीरे एक से दूसरे व्यक्ति में प्रेषित होती है। इस मनोवकृति के लोग अन्य मनोविकृतियों से ग्रसित लोगों की तरह समाज से अलग-थलग नहीं होते और आस-पड़ोस से दोस्ताना संबंध बनाकर रखते हैं। बुराड़ी कांड में भी ऐसी आशंका जताई जा रही है कि भाटिया परिवार के बेटे ललित भाटिया को मृत्यु के बाद भी अपने पिता को देखने और उनसे बात करने का भ्रम था। धीरे-धीरे उसके इस भ्रम को परिवार के दूसरे सदस्य भी सच मानने लगे थे। भाटिया परिवार के बारे में भी पड़ोसियों का कहना है कि वे ज्यादातर खुद को अलग रखते थे, लेकिन उनका व्यवहार सभी के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण था।
क्या है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी
साइकोलॉजिकल ऑटोपसी आत्महत्याओं की जांच करने का तरीका है। इसमें मृतक के परिजनों, दोस्तों, जानने वालों, उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों से उसके बारे में बात कर मृतक की मानसिकता का विश्लेषण किया जाता है। इसके अलावा इस विश्लेषण में मृतक के इंटरनेट और सोशल मीडिया प्रोफाइल, उनपर कमेंट्स, फोन कॉल्स और मैसेजेज, पसंद-नापसंद और आमजीवन में व्यवहार संबंधी जानकारी के अलावा फॉरेंसिक जांच की मदद से मृतक की मानसिकता की अवस्था का विश्लेषण किया जाता है। इससे पहले आरुषी हत्याकांड और सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में साइकोलॉजिकल ऑटोपसी का सहारा लिया जा चुका है।
कई मनोचिकित्सकों का भी मानना है कि इस मामले को अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र का मामला नहीं माना जा सकता। यह मामला कहीं ना कही मनोविकृति की समस्या का नतीजा हो सकता है। मनोचिकित्सकों के अनुसार दिल्ली का बुराड़ी कांड सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया का सबसे अजीब मामला हो सकता है। इसलिए इस मामले की हर कोण से सटीक जांच होनी जरूरी है।
बता दें कि 1 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी के संत नगर में भाटिया परिवार के 11 सदस्य घर में मृत पाए गए थे। परिवार के 10 सदस्य फंदे पर लटके पाये गये थे, जबकि परिवार की मुखिया 77 वर्षीय नारायण देवी का शव दूसरे कमरे में फर्श पर पड़ा मिला था। मृतकों में उनकी विधवा बेटी प्रतिभा (57), उनके दो पुत्र भवनेश (50) और ललित भाटिया (45) के साथ ही दोनों की पत्नियां सविता (48) और टीना (42) और उनके बच्चे मीनू (23), निधि (25), ध्रुव (15) और शिवम (15) भी शामिल थे। मृतकों में प्रतिभा की बेटी प्रियंका (33) भी शामिल है, जिसकी पिछले महीने ही सगाई हुई थी।
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