सीबीआई को मिले सबूतों के आधार पर सरकार ने की ‘चीफ जस्टिस को ब्लैकमेल’ करने की कोशिश: प्रशांत भूषण

वकील, एक्टिविस्ट और कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स के संयोजक प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के मौजूदा संकट के लिए सरकार और चीफ जस्टिस दोनों को जिम्मेदार ठहराया है।

user

भाषा सिंह

देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का कदम उस प्रक्रिया का नतीजा है जो सरकार ने चीफ जस्टिस के खिलाफ सीबीआई के जरिए सबूत इकट्ठा करके शुरु की थी। यह आरोप लगाया है वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने

शुक्रवार को उन्होंने न्यायपालिका के संकट के लिए केंद्र सरकार और चीफ जस्टिस दोनों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस को उन सबूतों के आधार पर ब्लैकमेल किया जो उसने मेडिकल कॉलेज स्कैम में सीबीआई के जरिए इकट्ठा किए थे। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस स्कैम में बातचीत टैप की थी। उनका इशारा संभवत: मुख्य न्यायाधीश की तरफ था। सीबीआई ने इसी घोटाले में ओडिशा हाईकोर्ट के एक जज को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन चंद दिनों में ही उन्हें जमानत मिल गई थी।

प्रशांत भूषण ने महाभियोग को एक राजनीतिक प्रक्रिया बताते हुए कहा कि यह संसद से ही शुरु हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस कदम को उठाने में राजनीतिक दलों की हिचकिचाहट को वे समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि, किसी जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव तभी लाया जा सकता है जब आपके पास उसके खिलाफ दुर्व्यवहार और दुराचार के सबूत हों और ऐसा व्यवहार एक घोटाले से जुड़ा हो।

उन्होंने इंगित किया कि ऐसे में राजनीतिक दलों ने अपना समय लिया, सबूतों को जांचा-परखा और तौला और सलाह-मशविरे के बाद ही महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया।

महाभियोग से जुड़ी खबरों को लेकर मीडिया पर पाबंदी लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका के बारे में प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्होंने आजतक नहीं सुना कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी मामले में मीडिया पर पाबंदी लगाई हो। उन्होंने बताया कि मौजूदा न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा भी मीडिया पर पाबंदी लगाए जाने के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया पर पाबंदी बिल्कुल सही कदम नहीं होगा।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस ए के सीकरी ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मीडिया पर पाबंदी के सिलसिले में अटॉर्नी जनरल की राय मांगी थी। इसके बाद वकीलों ने कहा था कि मीडिया पर पाबंदी लगाने का सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक अधिकार नहीं है। ज्यादा से ज्यादा यह हो सकता है कि कोर्ट किसी केस में निष्पक्ष मुकदमे के लिए सुनवाई की रिपोर्टिंग करने पर रोक लगा सकता है।

प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका के संकट को बेहद गंभीर और गहरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा जनवरी में की गई प्रेस कांफ्रेंस का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि चारों जजों ने कहा था कि इस समय न्यायपालिका और लोकतंत्र दोनों के लिए खतरा है।

जिस तरह से महाभियोग प्रस्ताव को चीफ जस्टिस को बदनाम करने और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताकर हो रही प्रस्ताव की आलोचना को प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ लोग यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी जज आ चीफ जस्टिस के खिलाफ सबूत हैं, तो क्या उसे सार्वजनिक नहीं होना चाहिए?

उन्होंने कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि मौजूदा व्यवस्था बनी रहे, ताकि उन्हें मनमर्जी करने की छूट मिलती रहे।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia