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पुण्यतिथि विशेष: ‘गोदान’ का अंश, जेठ के दिन हैं, खलिहानों में अनाज मौजूद है, मगर किसी के चेहरे पर खुशी नहीं

शख्सियत

पुण्यतिथि विशेष: ‘गोदान’ का अंश, जेठ के दिन हैं, खलिहानों में अनाज मौजूद है, मगर किसी के चेहरे पर खुशी नहीं

प्रेमचंद के ‘गोदान’ का अंश: जेठ के दिन हैं, अभी तक खलिहानों में अनाज मौजूद है, मगर किसी के चेहरे पर खुशी नहीं

शख्सियत

प्रेमचंद के ‘गोदान’ का अंश: जेठ के दिन हैं, अभी तक खलिहानों में अनाज मौजूद है, मगर किसी के चेहरे पर खुशी नहीं

ईरान: सड़क पर किताब खरीदने के लिए लगी कतार कोई पुरानी तस्वीर नहीं है 

किताबें

ईरान: सड़क पर किताब खरीदने के लिए लगी कतार कोई पुरानी तस्वीर नहीं है