जानिए कौन हैं पीटी उषा-मिल्खा सिंह के रिकॉर्ड तोड़ने वाली हिमा दास?, गर्व से भर देगी उनकी कहानी
आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली हिमा दास असम की रहने वाली हैं। एक साधारण किसान परिवार में पैदा होने वाली हिमा के पिता चावल की खेती करते हैं। हिमा का जन्म 9 जनवरी 2000 में हुआ और अभी उनकी उम्र 18 साल है।
भारत की हिमा दास ने गुरुवार को फिनलैंड के टेम्पेरे में जारी आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीत कर इतिहास रचा है। हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की। इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयु वर्गो में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं। यही नहीं वह विश्व चैंपियनशिप की ट्रैक स्पर्धा में पीला तमगा जीते वाली पहली भारतीय (महिला और पुरुष) एथलीट भी बन गईं।
हिमा से पहले भारत की किसी भी महिला ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के किसी भी स्तर पर गोल्ड मेडल नहीं जीता था। वह वर्ल्ड लेवल पर ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। चौथे नंबर की लेन में दौड़ रही हिमा दास अंतिम मोड़ के बाद रोमानिया की आंद्रिया मिकलोस से पिछड़ रहीं थी। लेकिन आखिर में काफी तेजी दिखाते हुए वह बाकी धावकों से काफी आगे रहीं।मिकलोस ने 52 .07 सेकेंड के साथ सिल्वर मेडल हासिल किया जबकि अमेरिका की टेलर मेनसन ने 52 .28 सेकेंड के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता।
स्वर्ण पदक जीतने वाली हिमा दास ने कहा, “वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर मैं काफी खुश हूं। मैं स्वदेश में सभी भारतीयों को धन्यवाद देना चाहती हूं और उन्हें भी जो यहां मेरी हौसला अफजाई कर रहे थे।”
अपने इस प्रदर्शन के साथ हिमा, भाला फेंक के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की सूची में शामिल हो गई। जिन्होंने 2016 में पिछली प्रतियोगिता में विश्व रिकार्ड प्रयास के साथ गोल्ड जीता था। विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भारत के लिए इससे पहले सीमा पूनिया (2002 में चक्का फेंक में कांस्य) और नवजीत कौर ढिल्लो (2014 में चक्का फेंक में कांस्य) पदक जीत चुके हैं। हिमा मौजूदा अंडर 20 सत्र में सर्वश्रेष्ठ समय निकालने के कारण यहां खिताब की प्रबल दावेदार थी। वह अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों की 400 मीटर स्पर्धा में तत्कालीन भारतीय अंडर 20 रिकॉर्ड 51 . 32 सेकेंड के समय के साथ छठे स्थान पर रही थी।
कौन हैं हिमा दास:
हिमा दास का यहां तक का सफर इतना आसान नहीं था उनकी इस अपार सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और हिम्मत का बड़ा योगदान है। असम के एक साधारण किसान परिवार में पैदा होने वाली हिमा के पिता चावल की खेती करते हैं। हिमा का जन्म 9 जनवरी 2000 में हुआ और अभी उनकी उम्र 18 साल है।
उनका परिवार बेहद साधारण है। उनके कोच निपोन दास ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास था कि हिमा कम से कम टॉप थ्री में जरूर शामिल होगी। 400 मीटर की रेस में उन्होंने अपनी ताकत का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया है। उनके कोच ने बताया कि हिमा ने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। वह 6 बच्चों में सबसे छोटी बेटी है। वह पहले लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं और एक स्ट्राइकर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं।
बेटी को एथलीट बनाने के लिए परिवार के पास पैसे की कमी थी लेकिन शुरुआत से ही उनके कोच ने उनकी सहायता कर आज हिमा को एक नया मुकाम दिलाया। एथलीट बनने के लिए हिमा को अपना परिवार छोड़कर लगभग 140 किलोमीटर दूर आकर रहना पड़ा। पहले तो परिवार वाले इस बात के लिए राजी नहीं थे, हालांकि कोच निपोल के कहने पर परिवार राजी हुआ और फिर जो हुआ वो आज इतिहास बन गया।
राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर लिखा कि, यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है। विश्व अंडर-20 चैंपियनशिप में 400 मीटर स्वर्ण जीतने के लिए हमारी शानदार स्प्रिंट स्टार हिमा दास को बधाई। विश्व चैंपियनशिप में यह भारत का पहला ट्रैक गोल्ड है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट किया कर देश की होनहार बेटी को बधाई दी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर हिमा दास के रेस पूरी करने वाला वीडियो पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा, “मैं इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए आपको सलाम करता और बधाई देता हूं।”
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