फीफा विश्व कप: ग्रुप स्टेज में ही टूटे आत्मघाती गोलों के रिकॉर्ड, ट्यूनीशिया और बेल्जियम ने जीते अंतिम मुकाबले
रूस में खेले जा रहे 21वें फीफा विश्व कप में ग्रुप स्टेज अभी भी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन आत्मघाती गोलों की बात करें तो फुटबॉल इतिहास का नया रिकॉर्ड अभी से बन गया है। जबकि अभी प्री-क्वार्टर फाइनल, क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल होना बाकी हैं।
फीफा विश्व कप का 21वां संस्करण रूस में परवान चढ़ रहा है। अभी इसका ग्रुप दौर अपने अंतिम पड़ाव पर ही पहुंचा है लेकिन यहां तक आते-आते इस टूर्नामेंट में अभी तक सबसे ज्यादा आत्मघाती गोल का रिकार्ड टूट चुका है।
इस विश्व कप में अभी तक कुल 8 आत्मघाती गोल हो चुके हैं जो किसी भी फीफा विश्व कप में सबसे ज्यादा हैं। इन गोलों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि अभी प्री-क्वार्टर फाइनल, क्वार्टर फाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल बाकी हैं।
इससे पहले फ्रांस में 1998 में खेले विश्व कप में सबसे ज्यादा 5 आत्मघाती गोल हुए थे। इस विश्व कप का पहला आत्मघाती गोल दूसरे दिन आया था। जब ग्रुप-बी में मोरक्को और ईरान के बीच हुए मैच में मोरक्को के अजिज बोउहादोज ने अपने ही नेट में गेंद को डाल ईरान को जीत तोहेफ में दे दी थी। इस मैच में सिर्फ यही गोल हुआ था।
इसके बाद अगले दिन 16 जून को ग्रुप-सी में फ्रांस और आस्ट्रेलिया के बीच खेले गए मैच में आस्ट्रेलिया के अजीज बेहिच ने आत्मघाती गोल कर फ्रांस को 2-1 से जीत दे दी थी। इसी दिन ग्रुप-डी में नाइजीरिया और क्रोएशिया के बीच खेले गए मैच में नाइजीरिया के ओगेनकारो इटेबो ने गोल कर क्रोएशिया को 1-0 से आगे करवा दिया था।
तीन दिन बाद ग्रुप-एच में पोलैंड और सेनेगल के बीच टूर्नामेंट का चौथा आत्मघाती गोल हुआ था जब पोलैंड के थियागो सियोनेक ने अपने ही नेट में गेंद डाल सेनेगल को गोल का तोहफा दिया था। इसी दिन एक और मैच में ग्रुप-ए में मिस्र के अहमद फतेही ने गेंद को गोल से दूर भेजने के प्रयास में गेंद को नेट में ही डाल दिया था और मेजबान रूस को फायदा पहुंचाया था।
अगले आत्मघाती गोल भी ग्रुप-ए के मैच में 25 जून को आया। रूस के डेनिस चेरिशेव ने 23वें मिनट में अपने ही पाले में गेंद डाल उरुग्वे को 2-0 से आगे कर दिया था। बुधवार को स्वीडन और मेक्सिको के बीच हुए ग्रुप-एफ के मैच में मेक्सिको के अल्वारेज ने 74वें मिनट में आत्घाती गोल कर स्वीडन के खाते में इस मैच में तीसरा गोल दागा।
बुधवार को ही ग्रुप-ई के मैच में स्विट्जरलैंड और कोस्टा रिका का मैच 2-2 से बराबर रहा। इस ड्रॉ का कारण भी आत्मघाती गोल था जो 93वें मिनट में हुआ। इस मिनट में कोस्टा रिका को पेनाल्टी मिली जो बार से टकरा कर वापस आ रही लेकिन तभी गेंद गोलकीपर सोमेर की पीठ से टकरा कर नेट में चली गई और कोस्टा रिका को गोल तथा ड्रॉ मिल गया।
पनामा को मात देकर ट्यूनीशिया ने ली विजयी विदाई
ट्यूनीशिया ने गुरुवार देर रात एरिना में खेले गए ग्रुप-जी के अपने आखिरी मैच में पनामा को 2-1 से मात देकर टूर्नामेंट का अंत जीत के साथ किया। वहीं पहली बार विश्व कप में क्वालीफाई करने वाली पनामा इस बड़े टूर्नामेंट में एक भी जीत हासिल किए बिना विदाई ले रही है। वह इस विश्वकप में सिर्फ दो गोल कर पाई।
यह ट्यूनीशिया की भी इस विश्व कप में पहली जीत है। उसने ग्रुप दौर का अंत तीन मैचों में दो हार एक जीत के साथ तीन अंक हासिल कर तीसरे स्थान पर रहते हुए किया है। पनामा को तीनों मैचों में हार मिली और इसलिए वो चौथे स्थान पर रही। दोनों टीमें पहले ही अंतिम-16 की दौड़ से बाहर हो चुकी थीं और इस मैच में जीत हासिल करते हुए घर जाना चाहती थीं। दोनों टीमों में शुरू से अच्छी फुटबाल खेली और एक दूसरे को अच्छी टक्कर दी। ट्यूनीशिया हालांकि ज्यादा मौके बना रही थी।
बेल्जियम ने इंग्लैंड को 1-0 से हराया
बेल्जियम ने ग्रुप जी के अपने अंतिम मुकाबले में इंग्लैंड को 1-0 से मात दी। इस जीत के साथ बेल्जियम तालिका में नौ अंकों के साथ शीर्ष पर रही जबकि इंग्लैंड को दूसरे पायदान से ही संतोष करना पड़ा। यह दोनों टीमें पहले ही प्री-क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं। कालिनग्राड स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले के लिए दोनों टीमों ने कई बदलाव किए और युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जिनके बीच मैच के शुरुआत से ही कड़ी टक्कर देखेने को मिली। मैच के नौवें मिनट में बेल्जियम के मिडफील्डर मारुआन फेलेनी ने बॉक्स में हेडर लगाया और इंग्लैंड के गोलकीपर जॉर्डन पिकफोर्ड ने गेंद को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन गेंद उनक पांव के नीचे से निकल गई। हालांकि, टीम के अनुभवी डिफेंडर गैरी केहिल ने गेंद को गोल में नहीं जाने दिया।
इसके तीन मिनट बाद इंग्लैंड के ट्रेंट एलेक्जेंडर आरनोल्ड ने कॉर्नर पर शानदार क्रॉस दिया जिस पर केहिल हेडर लगाने में कामयाब रहे लेकिन अपनी टीम को शुरुआती बढ़त नहीं दिला पाए। 27वें मिनट बेल्जियम में को मैच में पहला कॉर्नर मिला जिस पर एलेक्जेंडर आरनोल्ड ने तेजी दिखाते हुए अपनी टीम को पिछड़ने से बचा लिया।
इंग्लैंड को 34वें मिनट में फ्री-किक मिली और इस बार भी एलेक्जेंडर आरनोल्ड ने शानदार क्रॉस दिया लेकिन मिडफील्डर रुबेन लोफ्टस चीक हेडर से गाल करने में कामयाब नहीं हो पाए। दूसरे हाफ में भी इंग्लैंड की शुरुआत तेज रही और 48वें मिनट में स्ट्राइकर मार्कस रैशफोर्ड ने बाएं छोर से गोल करने का प्रयास किया। हालांकि, वह गेंद को गोल में नहीं डाल पाए।
रैशफोर्ड के असफल प्रयास के बावजूद इंग्लैंड ने बराबरी का गोल करने के लिए अपने आक्रामक खेल को जारी रखा जिसके कारण मैच के अंतिम क्षणों में बेल्जियम को अपनी बढ़त को दोगुना करने का मौका मिला। हालांकि, पिकफोर्ड ने गोल के अंतर को बढ़ने नहीं दिया
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