BCCI बैठक में फैसला, खिलाड़ियों के लिए अब यो-यो टेस्ट के साथ डेक्सा भी जरूरी

भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट पहले से लागू था, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान खिलाड़ियों के मेंटल हेल्थ को देखते हुए यो-यो टेस्ट और डेक्सा में नरमी बरती गई थी। हालांकि, अब फिर से यो-यो टेस्ट को जरूरी कर दिया गया है। साथ ही डेक्सा भी लागू कर दिया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने टी20 वर्ल्ड कप में खराब प्रदर्शन के बाद आगे के रोडमैप को लेकर रविवार को समीक्षा बैठक की। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, इनमें ज्यादातर फैसले खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर हैं। इसी कड़ी में खिलाड़ियों के राष्ट्रीय टीम में चयन के लिए अब यो-यो टेस्ट और डेक्सा में पास होना जरूरी कर दिया गया है।

यो-यो टेस्ट पहले से ही लागू था, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान खिलाड़ियों के मेंटल हेल्थ को देखते हुए यो-यो टेस्ट और डेक्सा में थोड़ी नरमी बरती गई थी। हालांकि, अब फिर से यो-यो टेस्ट को जरूरी कर दिया गया है। साथ ही डेक्सा भी लागू किया गया है, जिसे ड्यूअल एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पटियोमेट्री कहते हैं।

भारतीय क्रिकेट में यो-यो टेस्ट पिछले कई वर्षों से चर्चा का विषय रहा है। टीम इंडिया में चयन के लिए इस टेस्ट को पास करना जरूरी था। लेकिन कोरोना के समय इसमें ढील दी गई थी। 2017 से लागू यो-यो टेस्ट के कारण ही भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस में काफी सुधार देखा गया था। कई खिलाड़ी यो-यो टेस्ट में फेल हो चुके हैं। इनमें युवराज सिंह, सुरेश रैना, अंबाती रायुडू, मोहम्मद शमी, संजू सैमसन और वरुण चक्रवर्ती जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।

अब तो आईपीएल खेलने के लिए भी यो-यो टेस्ट को जरूरी कर दिया गया है। यानी जो खिलाड़ी बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में हैं, उन्हें यो-यो टेस्ट पास करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह आईपीएल नहीं खेल सकेंगे। चूंकि पृथ्वी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में नहीं थे, इस वजह से आईपीएल 2022 में खेले थे।


क्या है यो-यो टेस्ट और भारतीय टीम में कब लागू किया गया?

यो-यो टेस्ट का आविष्कार डेनमार्क के फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट डॉ जेन्स बैंग्सबो ने 1990 के दशक में किया था। इसे इंटरमिटेंट रिकवरी टेस्ट कहा जाता है। धीरे-धीरे कई खेलों ने यो-यो टेस्ट अपनाना शुरू कर दिया। भारतीय क्रिकेट टीम में यह टेस्ट 2017 में शामिल किया गया। यो-यो टेस्ट बीप टेस्ट जैसा होता है। यह रनिंग टेस्ट होता है जिसमें दो सेटों के बीच दौड़ लगानी होती है। दो सेटों के बीच की दूरी 20 मीटर होती है। इस दौरान खिलाड़ियों को एक सेट से दूसरे सेट तक दौड़ना होता है और फिर दूसरे सेट से पहले सेट तक आना होता है। एक बार इस दूरी को तय करने पर एक शटल पूरा होता है। टेस्ट की शुरुआत पांचवें लेवल से होती है। यह 23वें लेवल तक चलता है। हर शटल के बाद दौड़ने का समय कम होता रहता है, लेकिन दूरी कमी नहीं होती। भारतीय खिलाड़ियों को यो-यो टेस्ट में 23 में से 16.5 स्कोर लाना होता है।

क्या बला है डेक्सा?

पहले खिलाड़ियों की फिटनेस की जांच के लिए स्किनफोल्ड टेस्ट किया जाता था। इसके बाद डेक्सा टेस्ट किया जाने लगा। स्किनफोल्ट टेस्ट में बॉडी फैट परसेंटेज का माप सही नहीं था। इसके बाद बॉडी फैट के सही आकलन के लिए डेक्सा टेस्ट किया जाने लगा। लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया था। अब फिर से इस की वापसी हुई है। दरअसल, आज के समय में खिलाड़ियों के लिए हड्डियों और जोड़ों का दर्द बेहद आम बात है। रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह, दीपक चाहर से लेकर रोहित शर्मा तक हड्डी में चोट के कारण काफी दिनों तक क्रिकेट से दूर रह चुके हैं। ऐसे में अब बीसीसीआई ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।

इसके अलावा आज की बैठक में यह भी तय हुआ कि भारत के घरेलू क्रिकेटर्स को राष्ट्रीय टीम में चयन के लिए पर्याप्त घरेलू क्रिकेट खेलना होगा। यानी अब सिर्फ आईपीएल ही राष्ट्रीय टीम में चयन का जरिया नहीं है। टीम में चयन के लिए खिलाड़ियों को पर्याप्त घरेलू क्रिकेट भी खेलना होगा। साथ ही वनडे विश्व कप को देखते हुए बीसीसीआई ने 20 क्रिकेटर्स के नाम शॉर्टलिस्ट किए हैं, जो वर्ल्ड कप के लिए बोर्ड की पहली पसंद हैं। इन्हें एनसीए और आईपीएल फ्रेंचाइजी मिलकर मॉनिटर करेंगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इन्हीं 20 में से वनडे वर्ल्ड कप के लिए टीम का चयन होगा।

बीसीसीआई की यह अहम बैठक श्रीलंका के खिलाफ सीमित ओवर की सीरीज से पहले हुई है, जो तीन जनवरी से मुंबई में शुरू हो रही है। बीसीसीआई ने यह भी कहा कि बैठक में क्रिकेट विश्व कप 2023 के रोडमैप के साथ खिलाड़ियों की उपलब्धता, वर्कलोड मैनेजमेंट पर भी बातचीत हुई। आज की बैठक में बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, सचिव जय शाह, टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा, मुख्य कोच राहुल द्रविड़, एनसीए चीफ वीवीएस लक्ष्मण और चेतन शर्मा शामिल हुए।

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