केरल पुलिस कस्टडी में भाई की मौत की जांच के लिए 765 दिन से धरने पर बैठा है श्रीजीत
पुलिस हिरासत में भाई की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर 765 दिन से केरल सचिवालय के बाहर बैठे श्रीजीत को अब बड़ी संख्या में राज्य के युवाओं का समर्थन मिल रहा है।
पुलिस हिरासत में भाई की मौत की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर करीब तीन साल से तिरुवंनतपुरम स्थित राज्य सचिवालय के बाहर बैठे 29 वर्षीय श्रीजीत की आवाज अब केरल की जनता की आवाज बनती जा रही है। बड़ी संख्या में युवाओं की टोली श्रीजीत के समर्थन में इकट्ठा हो कर सरकार से इंसाफ की गुहार लगा रही है। राज्य सचिवालय के बाहर बैठे श्रीजीत को आज 765 दिन हो गए हैं। इतने दिनों में राज्य में सरकार भी बदल गई। जो सत्ता में थे वो विपक्ष में चले गए और जो विपक्ष मे तो वे सत्ता पर काबिज हो गए। लेकिन श्रीजीत के भाई को अब तक इंसाफ नहीं मिला है।
मामला केरल के परसाला शहर का है, जहां 2014 में मोबाइल चोरी के आरोप में स्थानीय पुलिस श्रीजीत के छोटे भाई श्रीजीव को पकड़ कर ले गई। जहां पुलिस हिरासत में श्रीजीव की मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कि श्रीजीव ने पुलिस हिरासत में जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। जिसके बाद उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। लेकिन, पुलिस की इस कहानी पर श्रीजीव के परिवार को विश्वास नहीं है। मृतक के भाई श्रीजीत के अनुसार, उनके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या हुई है। जिसके लिए वह इंसाफ की आस में तिरुवंनतपुरम स्थित राज्य सचिवालय के बाहर पिछले 765 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। श्रीजीत ने अपना धरना साल 2015 से शुरू किया और इस दौरान वह कई चरणों में भूख हड़ताल पर भी रहे। वह एक बार फिर इन दिनों भूख हड़ताल पर हैं, जिसे अब 30 दिन से ज्यादा हो चुका है। भूख हड़ताल के दौरान श्रीजीत सिर्फ पानी पीते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, 2016 में इस मामले की जांच में पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने पाया कि पुलिस द्वारा किए गए दावे सच्चाई से कोसों दूर हैं। पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि श्रीजीव की मौत का कारण पुलिस हिरासत में हुई प्रताड़ना है।
एक टीवी चैनल से बातचीत में श्रीजीत ने कहा कि राज्य सरकार पहले सीबीआई जांच के लिए राजी हो गई थी। लेकिन अब वह कह रही है कि मामले की दोबारा जांच एक विशेष पुलिस दल करेगा। श्रीजीत ने कहा, “सरकार की जिम्मेदारी है कि वह मुझे न्याय दिलवाए। पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के बाद मेरे भाई की मौत हो गई थी।”
हादसे के बाद सरकार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया था। लेकिन, यहां सोचने वाली बात यह है कि यह रकम पीड़ित परिवार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए थी या पुलिस की दरिंदगी छुपाने के लिए। अगर रकम मुआवजे की है तो भी इंसान की जिंदगी के लिए दी गई कीमत क्या किसी परिवार को इन्साफ की मांग करने से रोक सकती है। श्रीजीत के अनुसार उनके परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है और उनके रिश्तेदार जरुरत पड़ने पर उनकी आर्थिक मदद करते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इस मुद्दे को केरल के युवाओं के साथ-साथ बड़े नेताओं और अभिनेताओं का समर्थन भी मिल रहा है। मुद्दे को बढ़ता देख केरल के कई बड़े राजनीतिक दलों के नेता और फिल्मी सितारे श्रीजीत से मिलने पहुंचे। मिलने वालों में सबसे पहला नाम विधानसभा में नेता विपक्ष रमेश चेन्निथला का है, जिन्होंने बीते शनिवार को श्रीजीत से मुलाकात की और केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. जीतेन्द्र सिंह को पत्र लिख जांच की मांग भी की।
तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी ट्विटर पर अपने एक प्रशंसक को इस मामले की जानकारी देते हुए कहा, “मामले की सीबीआई जांच के बारे में डॉ. जीतेन्द्र सिंह से मुलाकात होने ही वाली है।” मलयालम फिल्मों के मशहूर अभिनेता तोविनो थॉमस भी रविवार को श्रीजीत से मिलने पहुंचे और उनके साथ बैठकर बातें भी की।
इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का पूरा समर्थन मिल रहा है। आइया और औरंगजेब जैसी मशहूर हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुके दक्षिण भारतीय अभिनेता पृथ्वीराज ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिये श्रीजीत के धैर्य और उनके अपने भाई के प्रति प्रेम की सराहना की।
मलयालम फिल्मों के उभरते हुए सुपरस्टार निविन पॉली ने भी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से श्रीजीत के संघर्ष की सराहना करते हुए इस मामले को दुखद बताया।
भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी रिनो एन्टो और सीके विनीत ने भी ट्विटर के माध्यम से श्रीजीत के लिए इन्साफ की मांग की है।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 15 Jan 2018, 5:40 PM