एमपॉक्स से कैसे सुरक्षित रह सकता है भारत, क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञ भारत में एमपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं, जिसमें जन जागरूकता अभियान, टीकाकरण अभियान और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है।

एमपॉक्स को लेकर क्या है विशेषज्ञों की राय?
एमपॉक्स को लेकर क्या है विशेषज्ञों की राय?
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नवजीवन डेस्क

सबसे पहले मध्य अफ्रीका में दिखाई देने वाले एमपॉक्स वायरस (मंकीपॉक्स) के मामले अब पूरी दुनिया से सामने आ रहे हैं, जिससे यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।

अलग-अलग क्षेत्रों तक सीमित यह वायरस अब भारत की ओर बढ़ रहा है। पाकिस्तान में पहले ही इसके मामले सामने आ चुके हैं। अनुत्तरित प्रश्न यह है कि क्या भारत एक और संभावित महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है?

दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के इमरजेंसी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रशांत सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, "यह स्पष्ट है कि एमपॉक्स निकट मानव संपर्क से फैलता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति को छूने, गले लगाने, चूमने या उसके बर्तन या कपड़े शेयर करने से भी फैल सकता है।''

 उन्होंने कहा कि वायरस दूषित सामग्री जैसे बिस्तर, तौलिये या वायरस के संपर्क में आने वाली सतहों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।

 डॉ. सिन्हा ने कहा, "हमें किसी संक्रमित व्यक्ति के करीब आने के मामले में अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है, विशेष रूप से जिसका किसी अफ्रीकी देश की यात्रा का इतिहास रहा हो।''


फोर्टिस अस्पताल के प्रधान निदेशक तथा न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, "एमपॉक्स मस्तिष्क के कामकाज को प्रभावित करता है। सिरदर्द इसका एकमात्र लक्षण है। यह वायरस मस्तिष्क के ऊतकों (टिशू) में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे एन्सेफलाइटिस जैसी अधिक गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। हमें इसके लिए सतर्क रहने और रोगियों की बारीकी से निगरानी करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से उन रोगियों पर नजर रखने की जरूरत है जिनमें न्यूरोलॉजिकल लक्षण हैं।''

 उन्होंने कहा कि एमपॉक्स के न्यूरोलॉजिकल प्रभाव के कारण रोग के प्रबंधन के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

विशेषज्ञ भारत में एमपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं, जिसमें जन जागरूकता अभियान, टीकाकरण अभियान और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है।

 मामलों का शीघ्र पता लगाना और उन्हें अलग करना महत्वपूर्ण है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और आइसोलेशन जैसे उपायों की सिफारिश करता है।

 एमपॉक्स को व्यापक महामारी बनने से रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान और तैयारियां आवश्यक हैं। कोविड-19 महामारी से मिले सबक भारत के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए।


मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाने वाला एमपॉक्स एक संक्रामक रोग है जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित एमपीवीएक्स वायरस के कारण होता है।

 यह वायरस दो अलग-अलग जेनेटिक क्लेड I और क्लेड II से संबंधित है। यह बीमारी मुख्य रूप से संक्रमित लोगों, जानवरों या दूषित वस्तुओं के सीधे संपर्क से फैलती है। इसके लक्षणों में गंभीर चकत्ते, बुखार और बढ़े हुए लिम्फ नोड्स शामिल हैं।

 इस वायरस की खोज मूल रूप से 1958 में डेनमार्क में अनुसंधान के लिए रखे गये बंदरों में हुई थी। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कांगो में दर्ज किया गया था। सन 1980 में चेचक के खात्मे के बाद, एमपॉक्स मध्य, पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका में उभरने लगा।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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