लैंडर विक्रम से संपर्क साधने में सफल हो सकता है चंद्रयान-2 , राह में बस ये हैं रोड़े

चंद्रयान-1 के निदेशक ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि, ‘हमने लैंडर का चांद की सतह पर पता लगा लिया है, अब हमें इसके साथ संपर्क स्थापित करना होगा। जिस जगह पर लैंडर उतरा है, वह सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अनुकूल नहीं है। वहां कुछ बाधाएं हो सकती हैं, जो कि हमें उससे संपर्क स्थापित करने में रोक सकती है।’

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लैंडर विक्रम का पता तो लगा लिया है लेकिन, उससे संपर्क अब भी नहीं साधा जा सका है। लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशें लगातार जारी है। वहीं चंद्रयान-1 के निदेशक एम. अन्नादुराई ने बाताय है कि आखिर क्यों संपर्क साधने में इसरो को कामयाबी नहीं मिल रही है। एम. अन्नादुराई ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर मौजूद बाधाएं लैंडर विक्रम को सिग्नल प्राप्त करने से रोक रही हैं।

चंद्रयान-1 के निदेशक ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि, ‘हमने लैंडर का चांद की सतह पर पता लगा लिया है, अब हमें इसके साथ संपर्क स्थापित करना होगा। जिस जगह पर लैंडर उतरा है, वह सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अनुकूल नहीं है। वहां कुछ बाधाएं हो सकती हैं, जो कि हमें उससे संपर्क स्थापित करने में रोक सकती है।’


साथ ही उन्होंने कहा, ‘पहले चंद्रयान के ऑर्बिटर ने संपर्क साधने के लिए लैंडर की तरफ सिग्लन भेजे, लेकिन मौजूदा हाल में यह देखना होगा कि वह सिग्नल पकड़ पाता है या नहीं। ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा दो-तरफा संचार होता है, लेकिन हम एक तरफा संवाद करने का प्रयास कर सकते हैं।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि संचार 5-10 मिनट से अधिक के लिए नहीं होगा। इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘यह एक मुश्किल स्थिति है लेकिन हमारे वैज्ञानिक इसे संभालने में काफी सक्षम हैं।’

हालांकि, समय निकलने के साथ-साथ चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क बहाल होने की संभावना भी कम होती जा रही है। लेकिन, इसरो लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की हर संभव कोशिश कर रहा है। इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क बहाल करने की कोशिश करेगी। चंद्रयान-2 में लगे कैमरों से चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम का रविवार को पता चलने के बाद उन्होंने दोहराया कि ये (संपर्क बहाल करने की) कोशिशें जारी रहेंगी।


अभियान से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा...यह मुश्किल होगा(संपर्क बहाल करना)।’ एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि, सही अनुकूलन के साथ यह अब भी ऊर्जा पैदा कर सकता है और सौर पैनल के जरिए बैटरियों को रिचार्ज कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा संभावना कम होती चली जाएगी।’

वहीं इसरो प्रमुख के. सिवन ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम' के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है और लैंडर ने निश्चित ही ‘हार्ड लैंडिंग' की है। इसी के साथ सिवन ने स्वीकार कर लिया कि नियोजित ‘सॉफ्ट लैंडिंग” सफल नहीं रही।

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Published: 09 Sep 2019, 9:07 AM