क्या गांधी की हत्या में आरएसएस की भूमिका की दोबारा जांच कराएंगे मोदी?

जब देश के कई गांधीवादी चिंतक और इतिहासकार यह मांग कर रहे हैं कि गांधी की हत्या और उसमें आरएसएस की भूमिका की दोबारा जांच कराई जाए, तो क्या वे इसके लिए राजी होंगे?

महात्मा गांधी का पार्थिव शरीर/ फोटो: Getty Images
महात्मा गांधी का पार्थिव शरीर/ फोटो: Getty Images
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विश्वदीपक

प्रधानमंत्री मोदी तकरीबन अपने हर भाषण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम लेते हैं और देश के प्रति उनके योगदान को लेकर कृतज्ञता जताते हैं। ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता है कि जब देश के कई गांधीवादी चिंतक और इतिहासकार यह मांग कर रहे हैं कि गांधी की हत्या और उसमें आरएसएस की भूमिका की दोबारा जांच कराई जाए, तो क्या वे इसके लिए राजी होंगे?

मशहूर गांधीवादी और गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत का कहना है कि गांधी की हत्या के सिलसिले में आरएसएस की भूमिका की दोबारा जांच होनी चाहिए। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के तीन साल पुराने उस बयान को वे सही मानते हैं जिसमें राहुल गांधी ने कहा था कि गांधी की हत्या के लिए आरएसएस के लोग जिम्मेदार थे।

नवजीवन से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “ये ऐतिहासिक मौका है। बापू की हत्या के बाद चले केस में जो सामने नहीं आ सका, उसे अब सबके सामने लाया जा सकता है। कम से कम देश के लोगों को यह पता चलेगा कि गांधी की हत्या के सिलसिले में आरएसएस की भूमिका क्या थी। यह बात ठीक है कि गोडस ने गांधी की हत्या की और उसे फांसी की सजा भी मिली, लेकिन उसने आरएसएस से अपने संबंधों को लेकर क्या झूठ बोला और आरएसएस ने हत्या की साजिश में कैसे शामिल थी, इसे सामने लाने की जरूरत है।”

गांधी की हत्या को लेकर आरएसएस पर दिए गए इस बयान के बाद राहुल गांधी के खिलाफ महाराष्ट्र के भिवंडी में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुकदमा दर्ज कराने वाले राजेश कुंते नाम के शख्स ने राहुल गांधी पर “आरएएस की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने” का आरोप लगाया था।

राहुल गांधी ने 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान भिवंडी की रैली में कहा था कि आरएसएस के लोगों ने गांधी की हत्या की थी। मुकदमा दर्ज होने के बाद भी राहुल गांधी ने कहा था कि वह अपने बयान पर कायम हैं।

कुमार प्रशांत ने नवजीवन को बताया कि बापू की हत्या के सिलसिले में चले मुकदमे के दौरान नाथूराम गोडसे ने आरएएस से अपने संबंधों को लेकर साफ इनकार किया था। जबकि उसके भाई गोपाल गोडसे ने बाद में माना था कि गोडसे ने इस बारे में झूठ बोला। गोपाल गोडसे को भी इस केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। कुमार प्रशांत के मुताबिक गिरफ्तारी से छूटने के बाद गोपाल गोडसे ने अपने पहले इंटरव्यू में कहा था कि आरएसएस को बचाने के लिए उस पर झूठ बोलने का दबाव बनाया गया था।

आरएसएस के स्वयंसेवक/ फोटो: Getty Images
आरएसएस के स्वयंसेवक/ फोटो: Getty Images

राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और जाने-माने राजनीतिक कार्यकर्ता शम्सुल इस्लाम का कहना है कि आरएसएस के सदस्यों के बारे में जानना आसान नहीं है। उन्होंने नवजीवन से कहा, “कैसे साबित होगा कि कौन आरएसएस का सदस्य है या नहीं है? असल में यह साबित करना आरएसएस की जिम्मेदारी है। गोडसे आरएसएस से ही जुड़ा था, हालांकि वे इसे स्वीकार नहीं करते। चूंकि आरएसएस कोई दस्तावेज नहीं रखता, इसलिए कोर्ट में कुछ भी साबित करना मुश्किल होगा, लेकिन बहुत से ऐसे सबूत हैं जो गांधी की हत्या के सिलसिले में आरएसएस की भूमिका को स्पष्ट करने के लिए काफी हैं।”

शम्सुल इस्लाम ने यह भी कहा कि आरएसएस के उस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि तत्कालीन गृहमंत्री और कांग्रेस नेता सरदार पटेल ने बापू की हत्या के सिलसिले में आरएसएस को क्लीन चिट दी थी।

शम्सुल इस्लाम ने बताया, “देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को लिखे एक खत में सरदार पटेल ने कहा था कि बापू की हत्या के सिलसिले में आरएसएस की भूमिका को साबित करना कठिन है, लेकिन कई ऐसी कड़ियां हैं जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि गांधी की हत्या के पीछे दक्षिणपंथी ताकतों का हाथ था। और यह लोग आरएसएस के साथ गहराई से जुड़े हुए थे।”

मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब शम्सुल इस्लाम ने गांधी की हत्या में आरएसएस की भूमिका को लेकर एक खुला पत्र भी लिखा था। मोदी को संबोधित पत्र में शम्सुल इस्लाम ने पूछा था, “नाथूराम गोडसे खुद को हिंदू राष्ट्रवादी कहता था और उसने गांधी की हत्या को ईश्वरीय आदेश का फल बताया था। गांधी की हत्या के बाद आरएसएस ने मिठाईयां बांटी थीं। क्या यह महज संयोग है?”

अपनी चिट्ठी में शम्सुल इस्लाम ने मोदी को यह भी याद दिलाया था कि 2013 में हिंदू जन जागृति समिति (एचजेजेएस) द्वारा आयोजित किए गए अखिल भारतीय हिंदू सभा में के वी सीतारमैया ने कहा था कि गांधी खतरनाक, दुश्चरित्र और पापी थे। एचजेजेएस के नेता सीतारमैया ने आगे कहा था, “भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि धर्म की स्थापना के लिए और दुष्टों का विनाश करने के लिए मैं हर युग में जन्म लूंगा। 30 जनवरी 1948 की शाम भगवान गोडसे के रूप में इस धरती पर पधारे और उन्होंने गांधी का अंत किया।”

इसी सभा में मोदी द्वारा भेजा संदेश भी पढ़ा गया था। अब ऐसे में क्या मोदी क्या उन संगठनों के खिलाफ जाएंगे जिनसे वे जुड़े रहे हैं?

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Published: 17 Aug 2017, 5:10 PM