तमिलनाडु : एडीएमके के दोनों धड़ों में सुलह, पनीरसेल्वम बने उप मुख्यमंत्री

दोनों धड़ों के विलय पर जिस तत्परता से प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर बधायी दी, उससे राजनीतिक विश्लेषक इस विलय के पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति देख रहे हैं।

तमिलनाडु के नए उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम / फोटो : Getty Images
तमिलनाडु के नए उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम / फोटो : Getty Images
user

नवजीवन डेस्क

तमिलनाडु में एडीएमके के दोनों धड़ों का विलय हो गया है और इस तरह ओ पलनीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम के गुटों के बीच सुलह हो गयी। इस विलय के बाद ओ पनीरसेल्वम को पार्टी का संयोजक और उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। उनके पास वित्त और शहरी विकास मंत्रालय होंगे। सुलह और विलय के बाद पनीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री ओ पलानीस्वामी के साथ मंच पर आकर एक मां, एक पार्टी और एक परिवार का नारा दिया। पार्टी का चुनाव चिन्ह एएडीएमके का दो पत्तियों वाला पुराना चुनाव चिह्न ही होगा।

इस दौरान माना जा रहा था कि पलानीस्वामी के नेतृत्व वाला धड़ा पार्टी प्रमुख वीके शशिकला के बारे में भी कोई घोषणा करेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में संभावना है कि जल्द ही शशिकला को पार्टी से निकाल दिया जाए। जयललिता की लंबे समय तक दोस्त रहीं शशिकला फिलहाल आय से अधिक संपत्ति मामले में जेल में बंद हैं।

लेकिन शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरण लगातार मोर्चा संभाले हुए हैं। अब सारी नजरें उनके अगले कदम की तरफ लगी हुई हैं। दिसंबर में जयललिता की मौत के बाद शशिकला ने पार्टी का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था और सीएम पद पर अपना अधिकार करना चाह रही थीं। लेकिन खुद पर खतरे को देखते हुए पन्नीरसेल्वम ने विद्रोह कर दिया था। शशिकला को उस समय झटका लगा था, जब भ्रष्टाचार के आरोप में अदालत ने उन्हें चार साल की सजा सुना दी। उन्होंने जेल जाने से पहले पलानीस्वामी का नाम नए मुख्यमंत्री के तौर पर आगे किया और अपने भतीजे दिनाकरन को उपमहासचिव बनाकर पार्टी की कमान सौंप दी थी।

इस विलय के बाद अब दिनाकरन को भी अपने पद से हटना पड़ेगा। क्योंकि पलानीस्वामी का धड़ा पहले ही 10 अगस्त को एक प्रस्ताव के जरिये दिनाकरन को बाहर का रास्ता दिखा चुका है। इस बीच दिनाकरने गुट ने इस विलय को सिर्फ एक नाटक बताया है।

दोनों धड़ों के विलय पर जिस तत्परता से प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर बधायी दी, उससे राजनीतिक विश्लेषक इस विलय के पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति देख रहे हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि दोनों गुटों को एक करने में बीजेपी नेतृत्व ने अहम भूमिका निभायी है। दरअसल, एईडीएमके में जारी विवाद के जरिये बीजेपी तमिलनाडु में अपने पैर जमाना चाहती है। विश्लेषकों का कहना है कि अब एएडीएमके के एनडीए में शामिल होने की संभावना मजबूत हो गयी है। हो जाएगा। जिससे भाजपा को दक्षिण के इस बड़े राज्य में अपना पैर जमाने में बड़ी मदद मिलेगी।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 21 Aug 2017, 6:50 PM