ये आंकड़े दे रहे गवाही, ईवीएम में हुई बड़े पैमाने पर गड़बड़ी? देशव्यापी जन आंदोलन की तैयारी
सभी विपक्षी दल ईवीएम में गड़बड़ी की बात कह रहे हैं। सभी ने ईवीएम पर शक जताया है। वहीं कई पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी इसकी सही तरीके से जांच की मांग करते रहे हैं।
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार को बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने बैठक की। इस बैठक में ईवीएम मशीनों में हुई गड़बड़ी का मुद्दा सबसे प्रमुखता से उठाया गया। बीएसपी के कई सांसद ने ईवीएम में गड़बड़ी की बात कही। मायावती भी ईवीएम में गड़बड़ी की शक जता चुकी हैं।
बीएसपी के साथ साथ लगभग सभी विपक्षी दल ईवीएम में गड़बड़ी की बात कह रहे हैं। सभी ने ईवीएम पर शक जताया है। वहीं कई पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी इसकी सही तरीके से जांच की मांग करते रहे हैं। लखनऊ में रह रहे सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक फ्रैंक हुजूर कहते है "ईवीएम में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। इसके लिए तमाम बुद्धिजीवियों को आगे आना चाहिए और ऐसा भी हो रहा है। दरअसल राजनीतिक दल या तो समझ ही नहीं पाए और बड़ा खेल हो गया है। अब हमारी मांग है कि भविष्य के सभी चुनाव सिर्फ बैलेट पेपर से हो तथा लोकसभा 2019 चुनाव गहराई से जांच की जाएं।”
फ्रेंक कहते हैं, “यह चौंकाने वाली बात है कि भारत का चुनाव आयोग इन विसंगतियों को स्पष्ट करने से इनकार करता है। बड़ी संख्या में भारत के लोग यह मानते हैं कि ईवीएम के माध्यम से उनके द्वारा डाले गए वोटों में हेरफेर और छेड़छाड़ की गई है। इस षडयंत्र में अंतरराष्ट्रीय कोण हो सकता है।”
ऐसा कहने और सोचने वाले फ्रैंक हुजूर अकेले नहीं हैं। देश भर से ऐसी आवाजें उठ रही है। 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में ये आवाजें जोरशोर से उठी थी। तब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम पर संदेह जताया था। अब इस तरह की आवाजें हर तरफ है।इसी सिलसिले में 8 जून को लखनऊ में समाजवादी और बहुजन विचारधारा के कुछ कार्यकर्ताओं ने ईवीएम के विरोध में प्रतिरोध दिवस बनाने के निर्णय लिया है। इस दिन शाम को कैंडिल मार्च भी निकाला जाएगा।
इस तरह की आवाज़ देश भर से उठ रही है। महाराष्ट्र में भी ईवीएम के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। यहां 12 जून से देशव्यापी अभियान चलाने का ऐलान किया गया है। इसकी कमान देश भर के दर्जनों बुद्धिजीवी संभालेंगे। इनमें डॉ जीबी पारिख और तुषार गांधी जैसे नाम भी शामिल हैं।
ईवीएम विरोधी अभियान के अगुआ फिरोज मोतिबोरेवाला कहते हैं "हम मुंबई में 12 जून से ईवीएम इवीएम के विरोध लड़ाई का ऐलान कर रहे हैं यह ईवीएम सरकार है। हम ईवीएम विरोधी राष्ट्रीय जन आंदोलन खड़ा कर रहे हैं। देश भर से हमें समर्थन मिल रहा है। हम मुंबई में एक सम्मेलन बुला रहे हैं, जिसमें ईवीएम फ्रॉड को लेकर हम जनता को जागरूक करेंगे। साथ ही हम एक तारीख तय करेंगे। जिस दिन सभी राज्य के चुनाव दफ्तरों का घेराव किया जाएगा।”
वो कहते हैं "भारत के लोगों का एक बड़ा वर्ग 23 मई, 2019 को घोषित किए गए लोकसभा चुनाव परिणामों के नतीजों से हैरान और निराश हैं। देश भर में कई निर्वाचन क्षेत्रों में परिणाम लोगों द्वारा दिए गए जनादेश से मेल नहीं खाता है। 373 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों से आने वाले आंकड़ों के साथ ईवीएम में हुए मतदान और उन मतों की गणना में बेमेल दिखता है। इसलिए हमने इसके खिलाफ लड़ने का इरादा किया है।”
बता दें कि लोकसभा चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की खबरें लगातार आती रहीं। 373 लोकसभा सीटों पर हुई वोटों की गिनती पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई जगह मतदान से ज्यादा वोट गिने गए। बंदायू के पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव ने ईवीएम में गड़बड़ी के खिलाफ कोर्ट में शिकायत भी की है। धर्मेंद्र यादव के अनुसार उनकी एक विधानसभा बिल्सी में डाली गई वोट और गिनती में साढ़े आठ हजार का अंतर पाया गया।
मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय लोक दल के सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह की हार में भी वोटों की गिनती का अंतर सबसे बड़ा फैक्टर है। आरएलडी प्रवक्ता अभिषेक चौधरी के मुताबिक 11 अप्रैल को हुए मतदान के बाद चुनाव आयोग ने 66.66 प्रतिशत मतदान का आंकड़ा जारी किया था। लेकिन अगले दिन यह आंकड़ा बढ़कर 68.21 प्रतिशत हो गया। इसकी वजह लाइन में लगे वोटरों को बताया गया जो मतदान के अतिंम समय में पहुंचे थे। कुल मतदान में करीब 2 फीसदी का अंतर आया और 30 हजार वोट बढ़ गए। ऐसी खबरें बिहार से भी आई। जहां मतदान से ज्यादा वोट गिने गए।
पहले यह सभी आंकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उप्लब्ध थे। लेकिन विवाद बढ़ता देख उसे हटा लिया गया। चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि वो आंकड़े अधूर थे। आंकड़े पूरे होने पर डाल दिए जाएंगे।
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