महाराष्ट्र के सियासी बिसात पर शरद पवार ही साबित हुए ग्रैंड मास्टर, बीजेपी को शह देकर दी मात

अपने 50 साल से ज्यादा लंबे राजनीतिक अनुभव के जरिये शरद पवार ने अपने सभी विधायकों को न सिर्फ एकजुट रखा, बल्कि जो लापता कर दिए गए थे, उन्हें सिर्फ 24 घंटे के अंदर ढूंढकर फिर से अपने पाले में करने में सफल भी रहे और बीजेपी के हर दांव का मुंहतोड़ जवाब देते रहे।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

महाराष्ट्र में रातोरात बड़ा उलटफेर कर सुबह होते के साथ अचानक मुख्यमंत्री बन बैठे बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस की सरकार चली गई है। मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट के बहुमत परीक्षण के आदेश के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने भतीजे अजित पवार के साथ ही देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी की भी सारी अकड़ निकल गई और दोनों ने इस्तीफा देकर स्वीकार कर लिया कि उनके पास बहुमत नहीं था। इसके बाद महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया।

महाराष्ट्र में शनिवार से तीन दिन तक चले सियासी ड्रामे के पटाक्षेप के साथ एक और बात साबित हो गई कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की तमाम कोशिशों के महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार ही असल चाणक्य हैं। शनिवार सुबह भतीजे अजित पवार के पाला बदलने की खबर के साथ बीजेपी की तरफ से मिले शह के जवाब में जिस तरह शरद पवार ने एक के बाद अपने दांव चले उससे ना सिर्फ अजित पवार ढीले पड़ गए, बल्कि बीजेपी को भी करारी मात मिली। जोड़तोड़ कर पीछे दरवाजे से सरकार बनाने के अब तक सफल रहे दांव पर महाराष्ट्र में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी, तो उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ शरद पवार का अनुभव और राजनीतिक कौशल ही रहा।

बीजेपी द्वारा भतीजे अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी विधायकों को तोड़ने के बाद जिस तरह शरद पवार ने खुद मोर्चा संभालते हुए सभी पार्टी विधायकों को फिर से अपने खेमे में लाया और उन्हें एकजुट रखा, वह नामुमकिन नहीं तो असाधारण जरूर है। अपने 50 साल से ज्यादा लंबे राजनीतिक अनुभव के जरिये शरद पवार ने अपने सभी विधायकों को ना सिर्फ एकजुट रखा, बल्कि जो विधायक लापता कर दिए गए थे, उन्हें सिर्फ 24 घंटे के भीतर ढूंढकर फिर से अपने पाले में करने में कामयाब भी रहे और आखिर तक मजबूती के साथ हर मोर्चे पर बीजेपी के हर दांव का मुंहतोड़ जवाब देते रहे।

शरद पवार पूरे घटनाक्रम के दौरान बीजेपी के मुकाबले में ‘तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात’ की तर्ज पर जवाब देते रहे। सबसे पहले उन्होंने रातोरात फडणवीस सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एनसीपी विधायक धनंजय मुंडे को फिर से अपने पाले में कर लिया। बताया जाता है कि धनंजय मुंडे ही वो शख्स थे जिन्होंने फडणवीस सरकार के शपथ ग्रहण के पहले एनसीपी विधायकों को अपने घर पर जुटाया था। वहीं से सभी विधायक राजभवन पहुंचे थे। बता दें कि दिग्गज बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की मौत के बाद जब बेटी पंकजा मुंडे को उनकी विरासत मिली तो भतीजे धनंजय मुंडे को एनसीपी में लाने और पंकजा के खिलाफ चुनाव में जीत दिलाने में अजित पवार ने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन शरद पवार के खुद डैमेज कंट्रोल में उतरने के बाद धनंजय मुंडे फिर से उनके खेमे में लौट आए, जिससे उसी समय साफ हो गया कि सत्ता अब बीजेपी के हाथ से जानी तय है।


इसके बाद शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने बगावत करने वाले एक-एक विधायक को ढूंढ निकाला। बताया जा रहा है कि शरद पवार के आदेश पर एनसीपी कार्यकर्ताओं ने ऐसे विधायकों को ढूंढ निकालने के लिए बड़े पैमाने पर खोज अभियान चलाया और दिल्ली से सटे गुरुग्राम से लेकर महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में छिपे बैठे इन विधायकों का पता लगाकर उन्हें शरद पवार के सामने हाजिक किया। गायब विधायकों को मुंबई से लेकर दिल्ली तक से ढूंढने के बाद शरद पवार के आदेश पर कार्यकर्ता ऐसे नेताओं पर हर पल नजर रख रहे थे। इतना ही नहीं, मिली जानकारी के अनुसार शरद पवार हर तीन घंटे में सभी मौजूद विधायकों की हाजिरी ले रहे थे ताकि किसी कीमत पर एक भी विधायक इधर-उधर ना होने पाए।

फिर जिन एनसीपी विधायकों को मुंबई से फ्लाइट के जरिए दिल्ली लाया गया था उनसे संपर्क कर उन्हें वहां से निकालने की व्यवस्था पवार ने की। ऐसे ही एक विधायक दौलत दरोडा ने बताया कि उन्हें यह कह कर दिल्ली लाया गया था कि एनसीपी ने आधिकारिक तौर पर बीजेपी को समर्थन दे दिया है। लेकिन दिल्ली लाने के बाद उन्हें गुरुग्राम के एक होटल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की निगरानी में रखा गया था, जहां उनका फोन भी छीन लिया गया था। किसी तरह उन्होंन शरद पवार से संपर्क किया तब जाकर उन्होंने उनके वहां से निकालने का इंतजाम किया।

इसी तरह शरद पवार के ही आदेश पर एनसीपी के एक और विधायक संजय बंसोडे को शिवसैनिकों ने मुंबई एयरपोर्ट से पकड़ कर वाईबी चौहान सेंटर पहुंचाया था। बताया जा रहा है कि बंसोडे को पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा में एक होटल में रख गया था, जिसकी खबर मिलते ही सबसे पहले एकनाथ शिंदे पहुंचे और फिर वहां पुलिस के रुख को देखते हुए शिवसैनिकों को बुलाया गया, जिसके बाद पुलिस और बीजेपी नेताओं से हल्की नोंकढोंक के बाद एनसीपी विधायक को वहां से निकाला जा सका।

इस तरह शरद पवार ने अपने लंबे अनुभव, राजनीति कौशल और नेतृत्व क्षमता के जरिए गायब हुए सभी विधायकों को ढूंढ निकाला और उन्हें एक बार फिर अपने पक्ष में एकजुट कर लिया। और इसी के साथ बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा कर्नाटक और गोवा की तर्ज पर ही महाराष्ट्र में भी तमाम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और नैतिकता को ताक पर रखकर सरकार बनाने के लिए बिछाई गई बिसात पर उल्टा उन्हें ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शह देकर तीखी मात दे दी। और इस तरह शरद पवार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अमित शाह खुद को चाहे जितना बड़ा चाणक्य कह लें औऱ समझ लें, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति के असल चाणक्य वही हैं।

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Published: 26 Nov 2019, 7:06 PM