यूपी में फिर BJP के साथ जाएंगे राजभर! योगी के डिप्टी ने बताया सच्चा दोस्त, दूरियां कम होने के संकेत
यूपी चुनाव के बाद सपा से नाता तोड़ चुके राजभर बीजेपी से मेलजोल बढ़ाने की कोशिश में हैं। उन्होंने बीजेपी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था और कई मुद्दों पर सरकार के साथ दिखे हैं। उन्होंने कई बार योगी की शैली की सराहना भी की है।
उत्तर प्रदेश का चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और सत्तारूढ़ बीजेपी के बीच एक बार फिर दूरियां कम होती नजर आ रही हैं। दरअसल योगी सरकार के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बुधवार को बलिया में एक समारोह में राजभर के साथ न सिर्फ मंच साझा किया, बल्कि राजभर को 'सच्चा मित्र' भी कहकर संबोधित किया। इस पर लोगों के सवाल करने पर पाठक ने जोर देकर दोहराया, ''हां राजभर जी मेरे पक्के दोस्त हैं।' इसके बाद एक बार फिर राजभर और बीजेपी के बीच दूरियां कम होने की चर्चा शुरू हो गई है।
यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने वाले राजभर तभी से बीजेपी के साथ मेलजोल बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बीजेपी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था और कई मुद्दों पर सरकार का साथ भी दिया है। उन्हें कई मौकों पर योगी आदित्यनाथ की शासन शैली की सराहना करते हुए सुना गया है।
यूपी के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि एसबीएसपी के साथ से सपा को 2022 के विधानसभा चुनावों में अपनी सीट और वोट शेयर बढ़ाने में मदद मिली। एसबीएसपी के पास बड़ा समर्थन आधार नहीं है, लेकिन कम से कम 30-35 विधानसभा क्षेत्र और लगभग 10 संसदीय क्षेत्र में इसका समर्थन है। बीजेपी निश्चित रूप से 2024 के चुनाव से पहले पार्टी को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी और राजभर के पास भी एनडीए के पाले में लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
एसबीएसपी का गठन 2002 में राजभर द्वारा किया गया था और पूर्वी उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय के बीच इसकी बड़ी पैठ भी है। राजभर के पास राज्य के कुल मतदाताओं का लगभग 4 प्रतिशत समर्थन है। एसबीएसपी ने 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की। तब राजभर योगी सरकार में मंत्री भी बने। लेकिन मनमुटाव के चलते बाद में इस्तीफा देकर अलग हो गए। फिर 2022 के विधानसभा चुनावों में एसबीएसपी ने सपा के साथ गठबंधन किया और 19 सीटों पर चुनाव लड़कर छह सीटों पर जीत हासिल की।
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