काशी में मोदी के प्रस्तावक रहे छन्नूलाल मिश्र ने की मनमोहन की तारीफ, कहा- यह सरकार नहीं करती कला का सम्मान
वाराणसी में पीएम मोदी के प्रस्तावक रहे शास्त्रीय गायक छन्नूलाल मिश्र ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संगीत के बहुत बड़े कद्रदान हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में उनके सामने गाया तो उन्होंने पद्मभूषण की अनुशंसा कर दी, और मिल गया, तो काफी अच्छा लगा।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा बीजेपी सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं। वह इतना दुखी हैं कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावक बनेंगे या नहीं। छन्नूलाल मिश्र 2014 के चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे थे और स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त नवरत्नों में से भी एक हैं।
छन्नूलाल मिश्र ने कहा है कि उनकी उम्र का वाराणसी में अब कोई शास्त्रीय गायक नहीं है, जो अभी भी संगीत के लिए पूरी तरह समर्पित है, लेकिन पूरा जीवन संगीत के लिए समर्पित करने के बावजूद केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था।
83 वर्षीय छन्नूलाल मिश्र स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नियुक्त नवरत्नों में से एक हैं। उन्हें और वाराणसी के लोगों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें भारत रत्न मिल सकता है, लेकिन जब पुरस्कारों की घोषणा हुई तो उनका नाम न तो भारत रत्न की सूची में था, और न ही पद्मविभूषण की सूची में। खास बात ये है कि छन्नूलाल मिश्र को 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने पद्मभूषण से नवाजा था।
छन्नूलाल भावुक मन से कहते हैं, "लोगों को लगता है कि मैं इन पुरस्कारों के लायक हूं, लेकिन देने वालों को नहीं लगा तो मुझे इसकी कोई इच्छा भी नहीं है। मेरी एक मात्र इच्छा मेरा संगीत और मेरा गायन है। मेरा एक शेर है- 'इलाही कोई तमन्ना नहीं इस जमाने में, मैंने सारी उम्र गुजारी है अपने गाने में'।"
किराना घराने के वाराणसी निवासी शास्त्रीय गायक मिश्र ने कहा, "पद्मविभूषण तो कम से कम मिलना चाहिए था। लेकिन मैंने न तो कभी पुरस्कारों के लिए किसी से कहा है और न कभी कहूंगा। किसी से क्यों मांगूं, मांगना होगा तो भगवान से मांगेंगे। मेरा संगीत, लोगों का प्यार ही मेरे लिए पुरस्कार है।"
ठुमरी गायकी में बड़ा नाम छन्नूलाल मिश्र ने आगे कहा, "पद्मभूषण तो मिला है, टंगा हुआ है। कौन-सा लाभ मिल रहा है उससे। रेलगाड़ी में दो टिकट तो मिलता नहीं कि एक सहायक के साथ कहीं आ-जा सकूं इस बुढ़ापे में। सरकार से कहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। फिर पद्मभूषण, पद्मविभूषण का क्या मतलब। ये सब कहने को है बस।"
शास्त्रीय गायक ने कहा, "दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित संगीत की बहुत प्रेमी और कद्रदान थीं। उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी संगीत के कद्रदान थे। दिल्ली में मैंने उनके सामने गाया था। उन्होंने पद्मभूषण की अनुशंसा कर दी, और मिल गया। अच्छा लगा था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी यश भारती पुरस्कार दिया था। मैंने उनसे कलाकारों को पेंशन देने के लिए कहा तो अखिलेश यादव ने सभी कलाकारों के लिए 50,000 हजार रुपये पेंशन शुरू कर दी। लेकिन नई सरकार आई तो पेंशन भी बंद हो गया। मैंने सीएम योगी से कहा तो उन्होंने 25,000 रुपये पेंशन शुरू की, लेकिन अब मैं उसे भी नहीं लेता हूं।"
तो क्या इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वह मोदी का समर्थन करेंगे, उनका प्रस्तावक बनना चाहेंगे, या किसी दूसरी पार्टी का समर्थन करेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "यह सवाल राजनीतिक है। मैं कलाकार हूं। मेरे लिए सभी पार्टियां समान हैं। मेरे पास जो भी आएगा, उसका स्वागत है। नरेंद्र मोदी पिछले चुनाव में मेरे पास आए थे। वह ईमानदार आदमी लगे थे। उन्होंने प्रस्तावक बनने के लिए कहा, मैंने स्वीकार कर लिया था। मैंने उनके लिए गाना बनाकर गाया, लोगों ने उन्हें वोट दिया और वह जीत गए। इस बार क्या होगा अभी कुछ तय नहीं है। समय आएगा, जब वह आएंगे, तब देखा जाएगा।"
हालांकि वाराणसी में विकास को लेकर छन्नूलाल ने कहा, "सड़क, बिजली-पानी की व्यवस्था ठीक हो गई है। साफ-सफाई भी है, पहले 10 बजे तक झाड़ू नहीं लगता था, अब सुबह पांच बजे ही झाड़ू लग जाता है। बाकी चुनाव में क्या होगा, राम जाने।"
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