ना तेज, ना तेजस्वी, जेल से लालू ही चलाएंगे पार्टी, लगातार 11वीं बार आरजेडी अध्यक्ष बनना तय
आरजेडी की स्थापना के बाद से यह पहला मौका है, जब लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी में उनका नामांकन पत्र उनके किसी प्रतिनिधि ने दाखिल किया। साल 1997 में आरजेडी के गठन के समय से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए हर बार लालू प्रसाद को ही निर्विरोध चुना जाता रहा है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद का एक बार फिर अपनी पार्टी के सर्वोच्च पद पर निर्विरोध चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है। यह लगातार 11वीं बार होगा जब लालू आरजेडी के अध्यक्ष बनेंगे। पार्टी के संगठनात्मक चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र नामांकन लालू प्रसाद का ही दर्ज हुआ है। ऐसे में उनका एकबार फिर पार्टी का अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा 10 दिसंबर को ही की जाएगी।
बता दें कि फिलहाल लालू यादव चारा घोटाले के कई मामलों में सजा पाने के बाद रांची में न्यायिक हिरासत में रहते हुए अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे में उनकी अनुपस्थिति में आरजेडी के संगठनात्मक चुनाव के लिए मंगलवार दोपहर को पटना स्थित पार्टी कार्यालय में चार सेटों में उनका नामांकन पत्र दाखिल किया गया। आरजेडी विधायक और लालू यादव के बेहद करीबी भोला यादव ने उनका नामांकन पत्र दाखिल किया। इस मौके पर आरजेडी के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव सहित बड़ी संख्या में पार्टी नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे।
गौरतलब है कि आरजेडी की स्थापना के बाद से यह पहला मौका है, जब लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी में उनका नामांकन पत्र उनके किसी प्रतिनिधि ने दाखिल किया। साल 1997 में आरजेडी के गठन के समय से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए हर बार लालू प्रसाद को ही निर्विरोध चुना जाता रहा है। अभी तक किसी भी चुनाव में लालू के सामने किसी अन्य दावेदार ने पर्चा तक नहीं भरा है। इस बार भी सिर्फ एक ही नामांकन पत्र भरा गया है।
आरजेडी के एक नेता ने बताया कि 10 दिसंबर को राष्ट्रीय परिषद के मुक्त अधिवेशन के पहले लालू प्रसाद की नई पारी की विधिवत घोषणा कर दी जाएगी। वहीं, लालू की गैरमौजूदगी में पार्टी की कमान संभाल रहे उनके बेटे और विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने नामांकन पत्र भरे जाने के बाद कहा कि लालू प्रसाद बिहार के लोगों के दिल में बसते हैं। एकबार फिर उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन का पर्चा दाखिल किया है। उन्होंने कहा, "आज भले ही शारीरिक तौर पर वह यहां नहीं हैं, लेकिन उनकी सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्ष छवि को लोग भूल नहीं पाए हैं। उनके कार्य को आज भी लोग याद कर रहे हैं।”
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