ऐसा चुनाव जिसमें जीती ही नहीं बीजेपी, मोदी ने उसकी भी दे दी बधाई
चौतरफा आलोचना, नोटबंदी-जीएसटी पर लोगों का गुस्सा और अर्थव्यवस्था के आंकड़ों पर बुरी तरह फंसने के बाद, बीजेपी अब ऐसे चुनाव नतीजों पर भी छाती ठोंक रही है, जिससे टेक्नीकली उसका कुछ लेना देना नहीं है।
महंगाई, बेरोजगारी, नोटबंदी-जीएसटी, मॉब लिंचिंग, पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार के आरोप। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अच्छे दिनों’ की परिभाषा साबित हुई है। इन सब को लेकर लोगों का गुस्सा अब खुलकर सामने आ रहा है, ऐसे में बीजेपी और उसके मुखिया प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उन चुनावों के नतीजों पर भी जश्न मना रहे हैं, जिसमें उनकी पार्टी का कमल दूर-दूर तक था ही नहीं।
महाराष्ट्र में पंचायत चुनावों के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री और अमित शाह से लेकर सरकार के सारे मंत्री और नेता जिस तरह उचक-उचक कर एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं, उसका अब मजाक उड़ना शुरु हो गया है। पंचायत चुनाव के नतीजे पूरी तरह घोषित भी नहीं हुए थे कि प्रधानमंत्री ने तड़ से बधाई संदेश भेजना शुरु कर दिए। एक के बाद एक, तीन संदेशों में उन्होंने महाराष्ट्र बीजेपी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णविस और कार्यकर्ताओं को बधाई दे डाली।
बॉस ने बधाई दी है , तो उनके खासमखास और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह क्यों पीछे रहते। उन्होंने भी कार्यकर्ताओं को बधाई संदेश भेज दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी फौरन पीएम के ट्वीट रीट्वीट कर आभार जताने से लेकर बधाई तक दे डाला। और तो और, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तो बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर जीत का ढिंढोरा पीटा।
दरअसल 7 अक्टूबर को महाराष्ट्र के विदर्भ, उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के 16 जिलों में 3,131 ग्राम पंचायतों के चुनाव हुए थे। बीजेपी ने दावा किया कि इन चुनावों में करीब 50 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतकर पंचायत चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है।
लेकिन सबसे हास्यास्पद बात ये है कि महाराष्ट्र में हुए पंचायत चुनाव दलगत आधार पर हुए ही नहीं थे। पंचायत चुनाव में पार्टियां हिस्सा नहीं लेती हैं। और यही नहीं चुनाव नतीजे आने के दौरान ही बीजेपी अपनी बड़ी जीत का दावा कैसे कर सकती है, जबकि उसने या किसी अन्य पार्टी ने तो चुनाव लड़ा ही नहीं था।
इस चुनाव में जीतने वाले सभी उम्मीदवार निर्दलीय हैं, भले ही वो किसी पार्टी की विचारधारा के समर्थक हों। आमतौर पर पंचायत चुनाव काफी छोटे स्तर पर होते हैं और सिर्फ गांव तक सीमित माने जाते हैं। इनमें ज्यादातर मुद्दे सिर्फ स्थानीय किस्म के होते हैं। ये चुनाव गांव में लोगों के आपसी समीकरण, स्थानीय सियासी माहौल पर ही लड़े जाते हैं। इसलिए तकनीकी आधार पर जीते हुए सभी उम्मीदवार निर्दलीय ही हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने भी कहा है कि पंचायत चुनाव में सभी निर्दलीय उम्मीदवार हैं। सभी उम्मीदवारों ने अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा है ना की किसी पार्टी के।
इस बारे में महाराष्ट्र चुनाव आयुक्त जे एस सहारिया ने कहा कि, “चूंकि इस चुनाव में कोई भी उम्मीदवार पार्टी के चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ता, इसलिए चुनाव आयोग पार्टी वार नतीजों का ऐलान नहीं करता है।” उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अपने तरीके से जीत का दावा कर सकते हैं, लेकिन आयोग उनके किसी दावे की पुष्टि नहीं करता।
बीजेपी के आनन फानन में किये गए दावे पर विपक्ष ने भी सवाल पूछा है कि आखिर किस आधार पर बीजेपी जीते हुए उम्मीदवारों को अपनी पार्टी का बता रही है। महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी ने कहा है कि बीजेपी सरासर झूठे दावे कर रही है। पंचायत चुनाव में बीजेपी 1 नहीं बल्कि 3 नंबर की पार्टी बन गई है। विपक्ष का कहना है कि कुल 3,131 ग्राम पंचायतों में से कांग्रेस को 1063, एनसीपी को 834, जबकि भाजपा को 813 और शिवसेना तथा निर्दलियों को 421 ग्राम पंचायतों पर जीत मिली है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा झूठे आंकड़े पेश कर जनता को भ्रमित कर रही है।
साफ है कि लोगों में अपनी सरकार के खलाफ बढ़ती नाराजगी और विपक्ष को मिल रहे जनसमर्थन से बीजेपी बुरी तरह घबरा गई है और गुजरात चुनाव में किसी भी तरह का लाभ पाने के लिये झूठ बोल रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इनदिनों गुजरात दौरे पर हैं, जहां उन्हें अपार जनसमर्थन मिल रहा है। इसके अलावा भी राजस्तान और मध्यप्रदेश में वहां की बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा कई बार सामने आ चुका है। ऐसे में बीजेपी के पास झूठे दावे कर अपने लिए हवा बनाने के अलावा शायद कोई और रास्ता नहीं बचा है।
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