महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन, लेकिन सरकार बनने की संभावना अभी भी बरकरार
गृह मंत्रालय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा वाली संचिका राष्ट्रपति के पास भेजी, जिसके बाद उन्होंने इस बाबत अपनी सहमति दी और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बनने की संभावना अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। पिछले माह हुए विधानसभा चुनाव के बाद कोई भी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने में सफल नहीं रही। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुशंसा की, जिसके कुछ ही घंटों बाद यह निर्णय लिया गया। राज्यपाल ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि ऐसी परिस्थिति में महाराष्ट्र सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता। हालांकि राज्यपाल ने एनसीपी को आज (मंगलवार) रात 8.30 बजे तक का समय दिया था। लेकिन उससे पहले ही राष्ट्रपति शासन लगाने का ऐलान कर दिया गया।
गृह मंत्रालय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा वाली संचिका राष्ट्रपति के पास भेजी, जिसके बाद उन्होंने इस बाबत अपनी सहमति दी। लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बनने की संभावना अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। आइए जानते हैं कि कैसे महाराष्ट्र में अब भी सरकार बनने की संभावन बरकरार है।
दरअसल राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश में विधानसभा को भंग करने या निलंबित रखने (सस्पेंडेड एनीमेशन) का उल्लेख होता है। भंग किए जाने की स्थिति में विधानसभा के पास कोई शक्ति नहीं होती और 6 महीने के अंदर दोबारा चुनाव कराने जरूरी होते हैं। अगर राज्यपाल को लगता है कि राज्य में स्थिति बदल सकती है या सरकार बनाई जा सकती है, तो वे विधानसभा को निलंबित करने की सिफारिश करते हैं। महाराष्ट्र में भी विधानसभा को निलंबित किया गया है। अब यहां आगे सरकार बनने की संभावना बनी रहेगी। सामान्य तौर पर यह राज्यपाल पर ही निर्भर करता है कि वे राष्ट्रपति को विधानसभा को भंग करने या निलंबित रखने की सिफारिश करें।
विधानसभा निलंबित किए जाने पर, राष्ट्रपति शासन कभी भी हटाया जा सकता है और विधानसभा अपनी मूल स्थिति में लौट सकती है। यानी 1 महीने या 2 महीने बाद, जब भी कभी सरकार बनने की स्थिति बने, तो राष्ट्रपति शासन हटाया जा सकता है। ऐसे में महाराष्ट्र में सरकार बनने की संभावना बरकरार है। लेकिन अगर राष्ट्रपति शासन के आदेश में विधानसभा भंग की जाती, तो फिर 6 महीने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहता और इन 6 महीनों के अंदर-अंदर राज्य में विधानसभा चुनाव कराने पड़ते।
बता दें कि 288 सदस्यीय विधानसभा में, बीजेपी 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और वह शिवसेना के साथ आसानी से सरकार बनाने की स्थिति में थी, लेकिन 56 सदस्यों वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद की वजह से बीजेपी का साथ देने से इनकार कर दिया था।
उसके बाद से शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी की मदद से सरकार गठन करने का प्रयास किया।राज्यपाल ने सबसे पहले बीजेपी को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया था, उसके बाद उन्होंने रविवार को शिवसेना को आमंत्रित किया। उसके बाद कोश्यारी ने सोमवार शाम को एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और समर्थन दर्शाने के लिए मंगलवार रात 8.30 बजे तक का समय दिया था, हालांकि उससे पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
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