ग्राउंड रिपोर्ट: शामली में बीजेपी का सफाया तय! सरकार से नाराज किसान, जिन्ना पर गन्ना हावी

तीन विधानसभा सीट वाले जनपद शामली को मुजफ्फरनगर से अलग करके बनाया गया है। यहां भाजपा की धुर्वीकरण के तमाम प्रयास नाकामयाब होते दिख रहे हैं। इलाके में जिन्ना पर गन्ना हावी होता दिख रहा है। शामली की तीनों विधानसभा सीट से यह ग्राऊंड रिपोर्ट पढ़िए …

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ
user

आस मोहम्मद कैफ

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में पश्चिम उत्तर प्रदेश में वोट डाले जाएंगे। फिलहाल सभी दलों के बड़े नेता पहले चरण पर फोकस कर रहे हैं। सभी पार्टियां जमकर प्रचार करने में लगी है, लेकिन लगता है मतदाता पहले ही अपना मन बना चुके हैं। तो जानते हैं उनके मन में क्या है।

शामली में हमें जितेंद्र हुड्डा मिले। जितेंद्र बताते हैं कि वो खेड़ी गांव के रहने वाले हैं। उनके गांव में 800 वोट है। तीन लोग भाजपा को समर्थन करने की बात कह रहे हैं। बाकी सब गठबंधन को वेट करेंगे। जो तीन लोग भाजपा को वोट देने के लिए कह रहे हैं उनमें से एक भाजपा के शामली प्रत्याशी तेजेन्द्र निर्वाल का रिश्तेदार हैं, दूसरा आरएसएस से जुड़ा हुआ है और तीसरे की भी कोई निजी कहानी है। गांव जिस दिन इनसे बात करेगा तो पूरे गांव के बूथ से बीजेपी को एक वोट भी नहीं जाने वाले। वो आगे बताते हैं कि हमारा मुद्दा गन्ना है, किसानी है, ज़मीन है और फसलों का भाव है। किसान को आभास हो गया है कि यह सरकार उनकी परवाह नहीं करती है। कानून वापस लेने का फैसला चुनाव के मद्देनजर लिया गया है। गन्ना का भुगतान इस पूरे जनपद में एक समस्या है। गन्ना मंत्री इसी जनपद के रहने वाले हैं। गन्ना की क़ीमत में मामूली बढ़ोतरी हुई है। अमित शाह जी गली-गली पर्चे बांटे, खूब जिन्ना और कब्रिस्तान करें, हमारा मुद्दा गन्ना है। यहां गन्ना चलेगा। हिन्दू -मुस्लिम राग अलापने से अब कुछ नहीं होगा।

शामली विधानसभा सीट से रालोद के प्रसन्न चौधरी और भाजपा के तेजेन्द्र निर्वाल में सीधा मुक़ाबला है। 2017 में तेजेन्द्र निर्वाल ने कांग्रेस के पंकज मलिक को हराया था। तभी से राजनीति बहुत बदल चुकी है। सपा के टिकट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे मनीष चौहान अब भाजपा में है। उनके पिता वीरेंद्र सिंह भाजपा से एमएलसी है। भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रहे प्रसन्न चौधरी अब रालोद में हैं और भाजपा की मजबूत समझी जाने वाली सीट शामली से अब तक की सबसे तगड़ी टक्कर पेश कर रहे हैं। जितेंद्र बताते हैं कि शामली जनपद की तीनों विधानसभा सीटों पर इस विधानसभा सीट पर मुसलमान वोट कम हैं, वो लगभग 75 हजार है, जैसे थाना भवन विधानसभा सीट पर वो एक लाख 15 हजार और कैराना पर कुल आबादी का 48 फीसद हैं। हालांकि जाटों के साथ मिलकर समीकरण साध रहा है मगर कुछ और बिरादरियों को साथ लाना जरूरी है। यहां क़रीबी मुक़ाबला है। खेती से जुड़ी कई कौम हालांकि किसानी के मुद्दे पर सरकार से नाराज है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

शामली से सिर्फ 10 किमी की दूरी पर कैराना है। कैराना विधानसभा सीट पर इस समय समाजवादी पार्टी का कब्जा है। इस सीट के विधायक नाहिद हसन फिलहाल जेल में बंद हैं। उन पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया है। नाहिद हसन की मां पूर्व सासंद तब्बसुम हसन पर गैंगस्टर लगा हुआ है। गैंगस्टर आमतौर पर समूहबद्ध अपराधियों पर लगता है और पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। तब्बसुम हसन दो बार सासंद रह चुकी हैं। उनके पति मन्नवर हसन सबसे कम उम्र भारत के सभी सदनों के सदस्य रहने के कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। वो राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद, विधान परिषद सदस्य और विद्यायक रहे हैं। वो दो बार सासंद भी चुने गए। जिस समय मुन्नवर हसन की मौत हुई वो उस समय भी सांसद थे। मुन्नवर हसन के पिता अख्तर हसन भी कैराना से सांसद रह चुके हैं। कैराना के वाजिद मंसूरी कहते हैं "बताइए क्या ये लोग समूहबद्ध अपराधी हैं! हसन परिवार, कांग्रेस ,सपा ,बसपा और रालोद सभी दल में रह चुका है। बस वो भाजपा में नहीं गया है। भाजपा की वाशिंग मशीन में धूल जाते तो सब ठीक था। इन्हें जनता वोट देकर चुनती हैं। इन्हें अपराधी बताना जनता का अपमान है। हसन परिवार ने जितनी भी लड़ाइयां लड़ी हैं वो सब जनता के लिए लड़ी है। नाहिद हसन जिस मुक़दमे में जेल में बंद हैं उसमें वो ग़रीब और बेसहाराओं को जबरदस्ती उनके घर से बाहर निकालने का विरोध कर रहे थे, लोग उन्हें पसंद करते हैं, नाहिद हसन एक बार फिर विद्यायक बनेंगे।"

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

कैराना का चुनाव इसलिए भी रोचक हो गया है क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह पलायन के मुद्दे पर बात करके गए हैं और घर -घर पर्चे बांट कर गए हैं। बीजेपी यहां पूर्व सांसद हुकुम सिंह की पुत्री मृगांका सिंह को चुनाव लड़ा रही है। कैराना के ही रहने वाले अफसर चौधरी कहते हैं, अमित शाह के चुनाव प्रचार ने नाहिद हसन के समर्थकों ने उत्साह भर दिया है। अमित शाह के प्रचार के बाद यह बात चर्चा में आ गई कि नाहिद हसन को हराने खुद गृह मंत्री कैराना में घर घर पर्चे बांट रहे हैं। अफसर बताते हैं कि इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैराना में गर्मी उतारने की बात कहकर माहौल अधिक गर्म कर दिया। अफसर चौधरी बताते हैं कि राजनीतिक रूप से पलायन के मुद्दे की बात का शायद वो बड़ा लाभ लेना चाहते हों मगर इसका सच तो खुद बाबू हुकुम सिंह बता गए थे। मोहम्मद वसीम बताते हैं कि कैराना विधानसभा सीट का परिणाम जनता ने तय कर दिया है। नाहिद हसन के प्रति लोगों में सहानुभूति है। नाहिद हसन जेल में हैं और उसकी बहन इक़रा हसन इतिहास रचने की दहलीज़ पर खड़ी हैं।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

इक़रा हसन दिवंगत चौधरी मुन्नवर हसन की बेटी हैं। भाई के जेल में होने और मां पर गिरफ्तारी की तलवार के चलते वो तमाम परेशानियों को दरकिनार कर इस समय अपने परिवार का तारणहार बनकर उभरी हुई हैं। कैराना की समीन ज़ैदी कहती हैं कि इक़रा हसन काफी पढ़ी लिखी लंदन रिटर्न लड़की हैं। वो सादगी और आधुनिकता का मिश्रण हैं। वो राजनीति अच्छी तरह समझती है। वो लोकप्रियता के शिखर पर हैं। पूरे कैराना की सहानभूति इक़रा की तरफ शिफ्ट हो गई है। यहां यह आम बात है कि एक अकेली लड़की अपने भाई और मां को बचाने के लिए सिस्टम से जूझ रही है। हमें उसके साथ होना चाहिए। इक़रा अपने परिवार की राजनीति की अगली पीढ़ी हैं। हर ज़बान पर उसका ही नाम है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

आम धारणा से इतर आंकड़ों में भी कहानी मजबूत दिखती है। कैराना विधानसभा सीट पर 49 फीसद मुसलमान हैं, जबकि 20 हजार से ज्यादा जाट हैं। जाट समुदाय इससे पहले नाहिद हसन की मां तब्बुसम हसन को रालोद के टिकट पर सांसद बनवाने में सहायता कर चुका है। जाट बहुल इलाके ऊन के पप्पू चौधरी स्पष्ट करते हैं कि उनके समाज मे कोई कन्फ्यूजन नहीं है और हमारे समाज ने मुनव्वर हसन जी की बेटी इक़रा हसन को गोद ले लिया है अब वो हमारी बेटी है। किसी मे कोई कन्फ्यूजन नहीं है। कैराना की जीत एक इतिहास लिखेगी।


शामली जनपद की तीसरी विधानसभा सीट थाना भवन पर जाटों की संख्या 60 हजार है,जबकि मुस्लिम एक लाख 15 हजार हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा यहीं से विधायक हैं। 2017 के चुनाव में उन्होंने बसपा के राव वारिस को नजदीकी अंतर से हराया था। उस समय जावेद अली रालोद से चुनाव लड़ रहे थे जबकि समाजवादी पार्टी ने सुधीर पंवार को अपना प्रत्याशी बनाया था। इस बार माहौल बिल्कुल अलग है, 2017 में सुरेश राणा को 90995 वोट मिले थे, जबकि राव वारिस को 74178 वोट मिली थी। इस बार गठबंधन से सिर्फ अशरफ अली खान चुनाव लड़ रहे हैं और राव वारिस उनके लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। राव वारिस बताते हैं थाना भवन विधानसभा सीट के साथ ही जनपद की तीनों सीटों पर गठबंधन की जीत तय है क्योंकि यह किसान बहुल जिला है और किसान और मजदूर इस सरकार को बदलने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं। पूर्व विधायक राव वारिस कहते हैं कि खासकर स्थानीय थानाभवन विधानसभा सीट पर गन्ना मंत्री सुरेश राणा से अत्यधिक नाराजग़ी है। गन्ने का भुगतान और कम भाव इस जनपद की एक बड़ी समस्या है। थानाभवन में भी इसकी नाराजग़ी है। राव वारिस दावा करते हैं कि गठबंधन को सिर्फ जातिगत आंकडो में नहीं बांधा जा सकता क्योंकि कामगार वर्ग सरकार से अधिक त्रस्त है वो बदलाव चाहता है।

थानाभवन में भाजपा की उम्मीद जाट से अलग हिन्दू जातियों पर टिकी है मगर स्थानीय घटनाक्रम भाजपा के लिए नकारात्मक होता चला गया है। जैसे बसपा ने इस सीट पर पहले राजकुमार सैनी को प्रत्याशी बनाया था मगर बाद में उन्हें हटाकर जहीर मलिक को टिकट दे दिया। इसमें सैनी समाज में चर्चा है कि ऐसे एक बड़े नेता के इशारे पर हुआ , वो नाराज हैं। ठाकुर समाज से शेर सिंह राणा का टिकट नहीं हुआ तो वो निर्दलीय लड़ रहे हैं। रामपाल बताते हैं कि सोटा, भनेड़ा, काशमपुर, खानपुर, बुतराडा, हाथी करौंदा, तलवा माजरा, खेड़ी बैरागी, फतेहपुर, बंटीखेड़ा, बाबरी, भैंसवाल, भदेह जैसे गांवो में भाजपा के लोग प्रचार भी करने नहीं जा रहे हैं। वो गए थे मगर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली तो दूसरे रास्ते चले गए।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia