नए दोस्तों की खुशी और चुनावों के लिए कैबिनेट में फेरबदल
सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक झटके खाने और आर्थिक मोर्चे पर लगातार खिंचाई और पोल खुलने के बाद अचानक कैबिनेट फेरबदल की चर्चाएं शुरु हो गयीं।
मोदी सरकार असली मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने में माहिर है। पहले सुप्रीम कोर्ट में एक के बाद एक झटके खाने और फिर आर्थिक मोर्चे पर लगातार खिंचाई और पोल खुलने के बाद अचानक कैबिनेट फेरबदल की चर्चाएं शुरु हो गयीं। फेरबदल हो भी रहा है और शायद यह जरूरी भी था। और, सरकारों में कैबिनेट फेरबदल एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन जिस तरह से पूरे माहौल को सिर्फ और सिर्फ इस विस्तार या फेरबदल के आसपास केंद्रित किया जा रहा है वह अटपटा है।
बहरहाल फेरबदल हो रहा है और यह फेरबदल शनिवार-रविवार किसी भी दिन हो सकता है। इसकी कवायद कल देर रात शुरु हुयी और कौशल विकास यानी स्किल इंडिया के मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके अलावा फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्रनाथ पांडेय का भी इस्तीफा हो गया। पांडेय को गुरुवार को ही उत्तर प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा चर्चा कुछ और मंत्रियों के इस्तीफे की है, इनमें उमा भारती, संजीव बालियान और कलराज मिश्र के नाम मुख्य हैं।
आखिर मोदी को अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल की जरूरत क्यों महसूस हो रही है। जानकारों की मानें तो सरकार इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गयी है। इसीलिए मंत्रिमंडल में बदलाव के लिए मोटा-मोटी जो फार्मूला अपनाया गया है, उसके मुताबिक उन राज्यों के मंत्रियों की संख्या कम की जाएगी जहां चुनाव हो चुके हैं और अगले दो-तीन साल वहां चुनाव नहीं है। इसके बजाय उन राज्यों से मंत्री बनाए जाएं, जहां चुनाव होने हैं। इसके अलावा 2019 की तैयारियों के मद्देनजर कुछ मौजूदा मंत्रियों को संगठन यानी पार्टी में काम करने के लिए लगाया जाएगा। और उन मंत्रियों की सजा के तौर पर छुट्टी होगी जिनका काम ठीक नहीं रहा है।
तो क्या रूडी के काम से प्रधानमंत्री खुश नहीं थे? इस पर रूडी का जवाब था, “मैं पार्टी का अनुशासनात्मक सिपाही हूं और पार्टी का जो भी फैसला है, उसका सम्मान करता हूं। सरकार में काम करने का मौका मिला, आगे भी पार्टी में काम करने का अवसर मिले। इसी सोच के साथ आगे बढ़ते रहेगें। यह प्रधानमंत्री और सरकार का फैसला होता है। इसमें कोई तर्क नहीं होता।" दूसरी तरफ उमा भारती ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होने शुक्रवार को ट्वीट किया, "इस्तीफे का कोई सवाल मैंने सुना ही नहीं। इस पर न तो सुनूंगी और न ही बोलूंगी।"
वैसे मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की चर्चाएं काफी समय से थीं। इसके कुछ प्रत्यक्ष कारण थे कि कई मंत्रालय खाली पड़े थे। मसलन, अनिल माधव की मौत के बाद वन और पर्यावरण मंत्रालय, वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद शहरी विकास मंत्रालय, मनोहर पर्रिकर के गोवा वापसी के बाद रक्षा मंत्रालय। इसके अलावा स्मृति ईरानी के पास सूचना प्रसारण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार ही है।
अब कयास उन नए चेहरों पर जिन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इनमें दो पार्टियां मुख्य रूप से नजर आएंगी। एक है बिहार में महागठबंधन से धोखा कर बीजेपी से गलबहियां करने वाले नीतीश की जेडीयू और दूसरी है तमिलनाडु में आपसी मतभेद खत्म कर केंद्र से रिश्तेदारी बनाने वाली एडीएमके। चर्चा है कि इस विस्तार और फेरबदल में जेडीयू को कम से कम तीन पद मिल सकते हैं। उधर एडीएमके को भी दो या तीन पद मिलने के कयास हैं।
इसके अलावा जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां के नेताओं को भी कुर्सी मिल सकती है। इनमें हिमाचल प्रदेश और राजस्थान मुख्य हैं।
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