चिराग के इस चाल से पस्त होंगे पशुपति पारस? 'चाचा' के लिए 'भतीजे' को अध्यक्ष पद से हटाना इतना आसान नहीं
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच बढ़ी दरार से पार्टी में भी घमासान मचा हुआ है।
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच बढ़ी दरार से पार्टी में भी घमासान मचा हुआ है। मंगलवार को पारस ने जहां चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया, वहीं चिराग ने बागी सभी पांच सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इन घटनाक्रमों के बाद यह तय है कि यह राजनीतिक परिवार की लड़ाई का पटाक्षेप जल्दी नहीं होता दिख रहा है। दोनों अब आमने-सामने नजर आ रहे हैं। इधर, लोजपा का दावा है कि अध्यक्ष चिराग पासवान को हटाना इतना आसान नहीं है। दो दिनों से शांत एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी अब अपने तेवर कड़े कर लिए हैं।
एलजेपी के प्रवक्ता अशरफ अंसारी कहते हैं, '' पार्टी संविधान स्पष्ट कहता है कि अध्यक्ष स्वेच्छा से या उसके निधन के बाद ही अध्यक्ष पद से हट सकता है। उन्होंने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंगलवार को पांच सांसदों को पार्टी से निकाल दिया गया है। बैठक में कम से कम कार्यकारिणी के 35 से ज्यादा सदस्यों की संख्या की जरूरी थी जबकि बैठक में 40 से अधिक सदस्य भाग लिए। '' उन्होंने कहा कि पांचों सासदों को हटाने का प्रस्ताव पार्टी के प्रधान सचिव अब्दुल खलिक ने लाया और सर्वसम्मति से हटा दिया गया।
सूत्र कहते हैं कि पारस गुट अब तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों के समर्थन जुटाने में असफल रही है। इधर, राजनीतिक विष्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार सिंह भी कहते हैं, '' पषुपति पारस के लिए चिराग को अध्यक्ष पद से हटाना आसान नहीं है। '' उन्होंने कहा, '' जहां तक मेरी समझ है लोकसभा अध्यक्ष पारस गुट को अलग मान्यता दे सकते हैं कि लेकिन लोजपा पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ही होंगे।'' उन्होंने कहा कि यह तय करना चुनाव आयोग का काम है। हालांकि वो यह भी कहते हैं कि यह लंबी लड़ाई हो सकती है।
कहा जा रहा है कि चिराग ने अध्यक्ष पद की हैसियत से तकनीकी तौर पर मजबूत चाल चली है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बागी सांसदों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ऐसी स्थिति में ये सभी बागी सांसद एलजेपी में जब होंगे ही नहीं तो चुनाव आयोग के पास गए भी तो चिराग के पास जवाब देने के लिए जवाब होंगे।
इधर, पारस ने एक निजी समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि एलजेपी के छह सांसदों के दल के नेता की मान्यता लोकसभा अध्यक्ष ने दी है। उन्होंने एलजेपी में इस परिवर्तन को स्वाभाविक परिवर्तन बताते हुए कहा कि नेता परिवर्तन सभी दलों में होता है। उन्होंने कहा कि एलजेपी के अधिकांष सदस्य एनडीए के साथ बिहार चुनाव में जाना चाहते थे। एलजेपी के गलत चुनाव लड़ने से विवाद गहराया।
इधर, सूत्रों का कहना है कि दिल्ली से प्रारंभ हुई यह आंतरिक विवाद अब पटना पहुंचने वाली है। चिराग भी अब जल्द पटना पहुंचने वाले हैं और वह लोगों से मिलकर अपना समर्थन मजबूत करेंगे।
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Published: 16 Jun 2021, 2:20 PM