आखिर छा ही गया ‘चिराग’ तले अंधेरा, चाचा पशुपति होंगे लोकसभा में LJP के नेता, स्पीकर ने दी मान्यता
एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने एलजेपी सांसद पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दे दी है। एक दिन पहले एक बड़े घटनाक्रम में एलजेपी के पांच सांसदों ने बैठक कर पारस को नेता चुन लिया था।
दिवंगत केंद्रीय मंत्री और एलजेपी संस्थापक रामविलास पासवान के परिवार में दिन भर सियासी ड्रामे के बाद उनके बेटे और पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान को करारा झटका लगा है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने एलजेपी के पांच सांसदों की ओर से की गई मांग को स्वीकार करते हुए चिराग की जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी है। इसी के साथ एलजेपी संसदीय दल के नेता पद से चिराग की आधिकारिक विदाई हो गई है।
बता दें कि एक दिन पहले 13 जून को एक नाटकीय घटनाक्रम में 6 सांसदों वाली एलजेपी के पांच सांसदों ने चिराग पासवान को हटाते हुए स्वर्गीय रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को पार्टी के संसदीय दल का नेता चुन लिया था। इन पांच सांसदों में पशुपति पारस के अलावा चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज शामिल हैं।
इसके बाद पशपति पारस के नेतृत्व में इन पांच सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मिलकर अपने फैसले की प्रति सौंपते हुए पारस को संसदीय दल का नेता के तौर पर मान्यता देने की मांग की थी। इसी मांग पर आज लोकसभा स्पीकर ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
इससे पहले कल से लेकर आज पूरे दिन तक एलजेपी में सियासी ड्रामा चलता रहा। पार्टी के सांसदों के फैसले का पता चलते ही चिराग पासवान आज भागे-भागे चाचा पशुपति पारस से मिलने उनके घर पहुंचे। लेकिन 25 मिनट तक हॉर्न बजाते रहे, लेकिन उनके घर का दरवाजा नहीं खुला। काफी फोन करने के बाद जब दरवाजा खुला और चिराग अंदर गए तो पता चला कि पशुपति पारस घर पर नहीं हैं। इस तरह उनकी चाचा से मुलाकात नहीं हो सकी।
वहीं, इससे पहले एलजेपी में टूट की खबरों पर पशुपति कुमार पारस ने मीडिया के सामने आकर कहा कि मैंने पार्टी तोड़ी नहीं है, उसे बचाया है। जब तक जिंदा हूं, एलजेपी को जिंदा रखूंगा। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार को विकास पुरुष बताया और कहा कि एनडीए के साथ रहेंगे। उन्होंने कहा कि सभी की इच्छा थी कि 2014 की तरह पार्टी एनडीए में बनी रहे, लेकिन गलत फैसला लिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे चिराग से कोई दिक्कत नहीं है। चिराग अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं। वे पार्टी में पहले की तरह रह सकते हैं।
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