अकाली दल में बड़ा धमाका, राज्यसभा के पार्टी नेता का इस्तीफा सुखबीर के खिलाफ खुली बगावत

इससे पहले सुखबीर सिंह बादल की कार्यशैली और रवैये से खासे खफा सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी के सभी पदों से 29 सितंबर को त्यागपत्र दे दिया था। तब इसे मुख्यधारा की सिख सियासत में आने वाले बड़े तूफान का संकेत माना गया था। जो अब इस इस्तीफे से सच साबित हो गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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अमरीक

शिरोमणि अकाली दल के पहली कतार के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा ने राज्यसभा में अकाली दल के नेता पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे से अकाली दल में खलबली मच गई है। इसे अकाली सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल के कई दशकों तक बेहद करीब रहे एक खांटी अकाली राजनेता की खुली बगावत माना जा रहा है।

सुखदेव सिंह ढींडसा ने खुद अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि बीते दिन उन्होंने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वैंंकेया नायडू को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इस बाबत अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को सूचित कर दिया है। इससे पहले सुखबीर सिंह बादल की कार्यशैली और रवैये खासे खफा सुखदेव सिंह ढींडसा ने पार्टी के सभी पदों से 29 सितंबर को त्यागपत्र दे दिया था। तब इसे मुख्यधारा की सिख सियासत में आने वाले बड़े तूफान का संकेत माना गया था। खुद प्रकाश सिंह बादल ने ढींडसा को मनाने की पुरजोर कोशिशें की थींं। ढींडसा को सिख राजनीति का ‘राष्ट्रीय चेहरा’ और पार्टी का बेहद मजबूत स्तंभ माना जाता है।

अब राज्यसभा में अकाली दल के ग्रुप नेता के पद से उनके इस्तीफे ने साफ कर दिया है कि सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई वाला शिरोमणी अकाली दल तेजी से विघटन की तरफ बढ़ रहा है। गौरतलब है कि सुखदेव सिंह ढींडसा अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत से ही अकाली जामा पहने हुए हैं और प्रकाश सिंह बादल के सबसे ज्यादा भरोसेमंद साथियों अथवा दोस्तों में से एक रहे हैं।

सुखदेव सिंह ढींडसा कई बार राज्यसभा और लोकसभा के सांसद रहे हैं। वाजपेयी मंत्रिमंडल में वह केंद्रीय खेल, रसायन और खाद्य मंत्री रहे। अकाली-बीजेपी गठबंधन करवाने में उनकी अहम भूमिका थी। कई विशेष संसदीय समितियों में भी वह शामिल रहे। पिछले दिनों उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ऐसा माना जाता है कि कतिपय बीजेपी नेताओं के साथ उनके 'अच्छे संबंधों' के चलते यह संभव हुआ था। तब प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल ने सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी की थी कि उन्हें केंद्र की ओर से पूर्व जानकारी नहीं दी गई कि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता को पद्म भूषण दिया जा रहा है।


राज्यसभा में अकाली ग्रुप के नेता पद से विधिवत इस्तीफा देकर सुखदेव सिंह ढींडसा ने सिख सियासत में यकीनन बहुत बड़ा धमाका किया है और इसकी गूंज बहुत दूर तक जाएगी। फिलहाल कल हुए इस इस्तीफे पर शिरोमणि अकाली दल में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल सहित कोई भी बड़ा-छोटा अकाली नेता इस पर कुछ नहीं कह रहा है। खास बात ये है कि जब से शिरोमणि अकाली दल, सुखबीर सिंह बादल और उनकी मंडली के हाथ आया है, तब से पुराने और कदम-कदम पर प्रकाश सिंह बादल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले जुझारु अकाली नेता और कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित मान रहे हैं।

इसकी वजह है कि अकाली दल को चलाने की सुखबीर सिंह बादल और विक्रमजीत सिंह मजीठिया की 'कार्पेट शैली' जिसका कई पार्टी नेता मुखर होकर खुला विरोध करते रहे हैं। इसके जवाब में सुखबीर-मजीठिया उन्हें हाशिए पर लाने की पुरजोर कोशिशें करते रहते हैं। नतीजतन मालवा, दोआबा और माझा के कई दिग्गज अकाली नेता या तो खुद पार्टी छोड़ गए या उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

अकाली दल पर सुखबीर सिंह बादल के एकमुश्त कब्जे की कवायद की पहली बड़ी बली मनप्रीत सिंह बादल की ली गई थी। इस सिलसिले में दूसरा बड़ा नाम सुखदेव सिंह ढींडसा का है। अकाली-बीजेपी गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा को संगरुर से उम्मीदवार बनाया था। सुखदेव सिंह तब भी पार्टी गतिविधियों से दूर रहे थे। नाराज सुखदेव सिंह ढींडसा ने यहां तक कह दिया था कि शिरोमणि अकाली दल अब एक परिवार की निजी जागीर बनकर रह गया है और उन जैसे टकसाली अकालियों की न उसमें जगह है और न इज्जत।

बता देंं कि जब सुखदेव सिंह ढींडसा को पद्म भूषण दिया गया तो उनकी पार्टी ने कई दिनों तक उन्हें औपचारिक बधाई अथवा शुभकामनाएं तक नहीं दींं। उल्टा ऐसा प्रभाव गया कि बादल परिवार इससे नाखुश है। बादलों ने तो कह भी दिया था कि इस बाबत उनसे बीजेपी आलाकमान ने राय तक नहीं की। बावजूद इसके किसी को आभास नहीं था कि सुखदेव सिंह ढींडसा अचानक इस्तीफा देकर अकाली दल को इतना बड़ा झटका दे सकते हैं।


पंजाब के सियासी गलियारों और शिरोमणि अकाली दल में सरगोशियांं हैं कि अकाली सियासत में अभी ऐसे कुछ और धमाके हो सकते हैं, जो सूबे में उसकी राजनीतिक नींंव को भोथरा करने का काम करेंगे। जो हो, अकाली दल के राज्यसभा ग्रुप नेता पद से सुखदेव सिंह ढींडसा के त्यागपत्र ने शिरोमणि अकाली दल में एकबारगी जोरदार भूचाल ला दिया है। जिसके झटकों का असर दूरगामी होगा। सुखदेव सिंह ढींडसा ने फिलवक्त इस प्रकरण पर ज्यादा कुछ कहने से इंकार कर दिया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वह खुलकर बोलेंगे। वह कभी भी बोलें, इतना तय है कि वह अकाली दल के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब होगा।

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