वह शहर जहां लगा है जीरो मील का पत्थर...

अंग्रेजों के जमाने में नागपुर, देश का केंद्रीय हिस्सा और बराड़ की राजधानी था, इसलिए अंग्रेजों ने यहां से दूसरे शहरों की दूरी पता करने के लिए यहाँ भौगोलिक माप के आधार पर एक पत्थर स्थापित किया था।

फोटो : nagpuriphoto.blogspot.in से साभार
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नवजीवन डेस्क

महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी नागपुर गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शाता है। इस शहर में जहां आरएसएस मुख्यालय है, तो हज़रत बाबा ताजुद्दीन की दरगाह भी है। एक ओर बौद्ध अनुयायी हैं, तो दूसरी तरफ अन्य धर्मों के मानने वाले लोग भी हैं। मुंबई के बाद महाराष्ट्र का यह दूसरा बड़ा शहर है, जबकि शहरी आबादी के लिहाज से यह देश का 13 वां बड़ा शहर है। यहां साक्षरता का औसत 91.92 फीसदी बताया जाता है। सरकार ने हाल ही में इसे एक स्मार्ट शहर में बदलने की घोषणा की है।

महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र इसी शहर में होता है। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र का ये शहर राजनीतिक और व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र है। नागपुर भारत के मध्य में है, इसलिए यहाँ शून्य मील का पत्थर लगाया गया है। नागपुर के आसपास के इलाकों को शेर प्रजनन के लिए सुरक्षित वन घोषित किया गया है, इस कारण इस शहर को 'टाइगर कैपिटल ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है। नागपुर, नारंगी शहर के नाम से भी जाना जाता है।

फोटो : Getty Images
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नागपुर का बुद्ध स्तूप। यहीं 1956 में बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था

देवगढ़ के एक बादशाह बख्त ने 18वीं शताब्दी में नागपुर की स्थापना की थी। चांद सुल्ताना उन्हीं की उत्तराधिकारी थीं। चांद सुल्ताना ने भी इस शहर को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह इस शहर को दिल्ली के बराबर विकसित करना चाहती थीं। 1739 में चांद सुल्ताना की हत्या कर दी गयी और बराड़ के मराठा गवर्नर राघव जी भोंसले ने उनके बड़े बेटे को सिंहासन पर बैठा दिया। इस तरह नागपुर का नियंत्रण मराठों के हाथों में चला गया। 1817 में अस शहर पर अंग्रेजों का कब्जा होना शुरु हुआ। 1853 में जब राघव जी तृतीय की मौत हो गई, तो उसका कोई वारिस न होने के कारण यह शहर अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया। इस तरह नागपुर को बराड़ प्रांत की राजधानी बना दिया गया। 1960 में मराठी भाषी आबादी को महाराष्ट्र में शामिल कर दिया गया औक इस तरह नागपुर महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी बन गया।

हालांकि नागपुर कोई मशहूर ऐतिहासिक या पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन लोग यहहां कारोबार या निजी काम से आते हैं। अन्य बड़े शहरों की तरह, यहां कुछ मनोरंजन स्थल भी हैं, जहां लोग घूमने आते हैं। यहां हम ऐसी ही कुछ जगहों की बात करेंगे।

नागपुर तक पहुंचना बहुत आसान है। देश के बीचों-बीच में होने के कारण यहां रेल, सड़क और हवाई संपर्क बेहतर है। यहां 1867 में रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया था। यहां रेलवे की गोल्डन क्रासिंग है, यानी पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने वाली रेल लाइनें यहां से गुजरती हैं। मेट्रो भी नागपुर शहर में चलती है और सड़क संपर्क भी बेहतर है। कन्याकुमारी-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग-7 और हजीरा-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग-6 इसी शहर से गुजरते हैं। इसके अलावा यहां बी आर अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी है।

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सीता बलदी किला: यह किला शहर के मध्य में पहाड़ी पर है। यह किला मधुजा भोंसले द्वितीय ने बनवाया था। उन्हें अप्पा भोंसले भी कहा जाता है। बड़ी टिकरी कहलाने वाली इस पहाड़ी पर 1817 में एक युद्ध भी लड़ा गया था। यह युद्ध अंग्रेजों और मराठों के बीच हुआ था। इस समय, यह किला भारतीय सेना की 118वीं बटालियन का मुख्यालय है। किला साल में सिर्फ तीन दिनों के लिए जनता के लिए खोला जाता है। 26 जनवरी, 1 मई और 15 अगस्त।

महाराजा बाग चिड़ियाघर: यह नागपुर में एक दिलचस्प पर्यटन स्थल है। भोंसले शासकों ने इसे स्थापित किया। अपने नाम के मुताबिक महाराजा बाग एक उद्यान है, जिसे अब बोटेनिकल गार्डन के तौर पर विकसित किया गया है। यहां का चिड़ियाघर जानवरों के लिए छोटा पड़ रहा था, इसलिए वन विभाग ने इसे बंद करने का नोटिस दिया था। लेकिन, लोगों की मांग पर इसे फिर से खोल दिया गया

जीरो मील का पत्थर: भारत के किसी भी स्थान से किसी भी स्थान तक जाने के रास्ते में मील के पत्थर दिखाई देते हैं जिन पर दूरी लिखी होती है। लेकिन किसी भी पत्थर पर शून्य मील नहीं लिखा होता। नागपुर शहर में एक ऐसा मील का पत्थर है, जिसे जीरो मील का पत्थर कहा जाता है। इस पत्थर के साथ, भारत के दूसरे शहरों की दूरी का पता चलता है। अंग्रेजों के जमाने में नागपुर, देश का केंद्रीय हिस्सा और बराड़ की राजधानी था, इसलिए अंग्रेजों ने यहां से दूसरे शहरों की दूरी पता करने के लिए यहाँ भौगोलिक माप के आधार पर एक पत्थर स्थापित किया था, जिसे जीरो मील का पत्थर नाम दिया गया है।

नागपुर झीलों का शहर भी है। यहां कई आकर्षक झीलें हैं जहां लोगों का जमावड़ा रहता है।

शुक्रवारी झील: यह झील रमन विज्ञान केंद्र के करीब है। बताया जाता है कि 275 साल पुरानी इस झील को चांद सुल्ताना ने शहर को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए सुरक्षित कराया था।

फुटाला झील: यह झील भोंसले राजाओं ने बनवायी थी। ये झील रंग-बिरंगे फव्वारों की वजह से मशहूर है। शाम के समय यहां खूब लोग घूमने आते हैं। रंग-बिरंगी रोशनी से इसे मुंबई जुहू चौपाटी की तरह बनाने की कोशिश की गयी है।

अंबाजारी झील: नागपुर के आसपास कुल 11 झीलों में एक अंबाजारी झील भी है। इसके पास अंबाजारी गार्डन भी बनाया गया है। इस गार्डन का निर्माण 1958 में हुआ था। ये करीब 20 एकड़ में फैला है। इसमें बच्चों के लिए टॉय ट्रेन भी चलती है।



फोटो : nagpuriphoto.blogspot.in से साभार
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अंबाजारी झील

दीक्षा भूमि: बौद्ध धर्मे के मानने वालों के लिए यह एक पवित्र स्थल है। यहाँ एक बहुत बड़ा स्तूप है। ये स्तूप वही स्थान है जहां बाबा साहेब अंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को अपने तीन लाख समर्थकों के साथ बौद्ध अपनाया था।

रेल संग्रहालय: नागपुर में एक शानदार रेल संग्रहालय है, जहां भारतीय रेल के विकास के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस संग्रहालय में बच्चों और बड़ों दोनों के लिए मनोरंजन की व्यवस्था है।

तोडा बाई टाइगर रिजर्व: यह महाराष्ट्र का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। इस पार्क का इलाका 625 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 1955 में इस पार्क को महज 116 वर्ग किलोमीटर में शुरू किया गया था, जिसे बाद में विस्तार किया गया। इस राष्ट्रीय उद्यान का 32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र घना जंगल है, जो शेरों के लिए सुरक्षित है। यहाँ 200 मीटर ऊंची पहाड़ियां हैं। वहाँ भी एक झील है जो 120 हेक्टेयर में फैली हुई है। इस झील में मगरमच्छ भी पाए जाते हैं। पर्यटकों के लिए यह राष्ट्रीय उद्यान जंगल सफारी के तौर भी इस्तेमाल होता है।

दरगाह सैयद मोहम्मद ताजुद्दीन: नागपुर के प्रसिद्ध बुजुर्ग सूफी संत बाबा ताजुद्दीन का जन्म 1861 में हुआ था। हालांकि उनका जन्म चेन्नई (तब के मद्रास) में हुआ था, लेकिन वह नागपुर के कामटी इलाके में रहने लगे। लोग उन्हें पागल समझते थे, लेकिन बाद में उनके करिश्में देखकर लोग उनके भक्त बन गए। उनकी दरगाह मध्य भारत की सबसे बड़ी दरगाह है और उनके उर्स में हर साल सभी धर्मों के लाखों लोग शामिल होते हैं।

इसके अलावा भी इस शहर में बहुत कुछ है घूमने और देखने के लिए।

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Published: 25 Aug 2017, 7:44 PM