ज़ीनत अमान: वह हेरोइन जिसने कैमरे से बेहिचक बरताव कर बदल दी भारतीय नारी की छवि

देवानंद की फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा ‘ रिलीज़ हुई तो तूफान सा आ गया। पश्चिमी शैली की पोशाक में विदेशी संस्कृति में पली बढ़ी उस लड़की ने ‘ दम मारो दम’ गीत क्या गाया, तहलका मच गया। ये लड़की थी ज़ीनत अमान।

फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’  का एक दृश्य
फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ का एक दृश्य
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इकबाल रिजवी

रूपहले पर्दे पर उनके आने के बाद हिंदी सिनेमा पहले जैसा नहीं रह गया। पर्दे पर ही नहीं भारतीय समाज में भी नारी की छवि बदलने लगी। तब तक परंपराओं में बंधा हुआ भारतीय समाज बदलाव के लिये कभी-कभी हल्की सी करवट ले लेता था. ऐसे में देवानंद की फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा ‘ रिलीज़ हुई तो तूफान सा आ गया। पश्चिमी शैली की पोशाक में विदेशी संस्कृति में पली बढ़ी उस लड़की ने ‘ दम मारो दम’ गीत क्या गाया, तहलका मच गया। ये लड़की थी ज़ीनत अमान।

एक छोटा सा इत्तेफाक ज़िंदगी बदल देता है ऐसी ज़िंदगी जिससे करोड़ो लोगों की ज़िंदगी जुड़ जाती है। जीनत अमान के साथ तो बिल्कुल यही हुआ। मुंम्बई में 19 नवंबर 1951 में जन्मी ज़ीनत अमान जब 13 साल की थीं तब उनके पिता अमानुल्ला खान की मौत हो गयी। अमानउल्ला खां फिल्मों में संवाद और पटकथा लेखक थे। जीनत की मां ने दूसरी शादी एक जर्मन नागरिक से की और वे जीनत के साथ जर्मनी चली गईं। अगले पांच साल जीनत वहीं पली बढ़ी और पश्चिमी सभ्याता में रच बस गयी।

ज़ीनत ने भारत को ही अपनी कर्म भूमि बनाया। 1970 में वे मिस इंडिया पैसिफिक बनीं। फिर बतौर पत्रकार फैमिना पत्रिका में काम किया और मॉडलिंग भी करने लगीं। तभी उन पर निर्माता अभिनेता ओपी रल्हन की नजर पड़ी जिन्होंने पहली बार जीनत अमान को फिल्म “हलचल” से रूपहले पर्दे पर थोड़ी सी देर के लिये पेश किया। लेकिन किसी ने नोटिस भी नहीं लिया। उसी साल उनकी फिल्म ‘हंगामा’ रिलीज हुई। फिल्म और जीनत दोनों फ्लाप हो गए।


अब यहां एक इत्तेफाक होता है। देवानंद अपनी फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ के लिये अभिनेत्री जाहिदा को फाइनल कर चुके थे, जिन्हें फिल्म में देवांद की बहन का रोल अदा करना था। जाहिदा ने उनकी बहन बनने से साफ इनकार कर दिया। ऐस में किसी ने जीनत अमान की चर्चा की और वे फिल्म के लिये चुन ली गईं। फिल्म रिलीज होने के बाद जो भी हुआ वह इतिहास बन चुका है।

इस फिल्म से जीनत युवा नारी की ऐसी तस्वीर को लेकर उभरीं कि जल्द ही वह देश में सेक्स सिंबल के रूप में स्थापित हो गयीं। उन्होंने हिरोइन के अभिनय के साथ एक और चीज़ जोड़ी जो थी ग्लैमर। और आज पचास साल बाद भी हिरोइन के लिये ग्लैमरस दिखना मानो अनिवार्य सा हो गया है। तब समाज में बोल्ड शब्द का प्रचलन नहीं था उस दौर में जीनत ने बोल्ड सीन दे कर तहलका मचा दिया। रातों रात वे करोड़ों दिल की धड़कन बन गयीं। उनके हाव भाव की नकल की जाने लगी।

अब हिंदी सिनेमा के फिल्मकारों को एक ऐसी अदाकारा मिल गयी थी जिसके जरिये वे दर्शकों की सेक्सुअल फंतासियों को सहला सकते थे। फिर तो देवानन्द ही नहीं, फिरोज खान, मनमोहन देसाई, संजय खान, नासिर हुसैन और यहां तक की राजकपूर ने भी परंपरागत भारतीय नायिका की सूरत बदल देने वाली जीनत की बोल्डनेस का इस्तेमाल किया। दरअसल कैमरे के सामने हिचक तोड़, बिंदास तरीके से पेश आने वाली जीनत को यह सब करने में कोई परेशानी इसलिये भी नहीं होता थी कि उनकी किशोर अवस्था पश्चिमी समाज में परवान चढ़ी। वे जिस तरह पर्दे पर नजर आती थीं वह पश्चिमी समाज के लिये सामान्य सी बात थी।

राजकपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवंम सुंदरम’ में जीनत अमान ने जितने कम कपड़ों में कैमरे का सामना किया उससे पहले ऐसी हिम्मत राजकपूर की ही फिल्म मेरा नाम जोकर में सिर्फ सिमी ग्रेवाल ही कर सकी थीं, हालांकि नह सीन बहुत छोटा सा था जबकी जीनत अमान शरीर के कई एंगल को राज कपूर ने पर्दे पर देर तक परोसा। जीनत अमान के बाद परवीन बॉबी भी उनके नक्शे कदम पर चलीं और फिर भारतीय अभिनेत्रियों की छवि हमेशा के लिये बदल गयी।

लेकिन जिन छवियों को पर्दे पर साकार करती थीं उस तरह के किस्से उनके निजी जीवन में भी घटने लगे। वे देवानंद ही नहीं राजकपूर फिरोज खानन और संजय खान के दिल में भी जगह बना चुकी थीं। मौजूदा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और उस दौर के क्रिकेटर इमरान खान से भी उनके रिश्ते रस लेकर बयान किये जाते थे। संजय खान से तो उनके गुप्त विवाह के मामले ने बहुत तूल पकड़ा और फिर एक होटल में संजय खान के जोरदार थप्पड़ ने उन दोनों के रिश्तों को हमेशा के लिये खत्म कर दिया।


संजय खान के थप्पड़ की वजह से जीनत अमान की आंख बुरी तरह जख्मी हो गयी और उनकी आंख में हल्का सा ऐब आज भी देखा जा सकता है। आखिरकार अपने से कम उम्र के अभिनेता मजहर खान से उन्होंने शादी कर घर बसा लिया। कुछ समय बाद जीनत की फिल्मों की जगह उनके परिवार के झगड़े चर्चा में रहने लगे और तो और मजहर खान की मौत के बाद भी जीनत घरेलू झगड़ों की खबरों की वजह से याद की जाती रहीं।

कुर्बानी, डॉन, दोस्ताना, लावारिस, रोटी कपड़ा और मकान, अब्दुल्ला, यादों की बारात, इंसाफ का तराजू जैसी फिल्में करने वाली जीनत ने 70 से ज्यादा फिल्मों में काम किया जिनमें बहुत सी फ्लाप रहीं। लेकिन उनकी फिल्मों का लेखा जोखा जो भी रहा हो वह ऐसी नायिका के रूप में हमेशा याद की जाएंगी जिसने भारतीय नारी की छवि बदल दी।

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