खड़गे का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: लोग मोदी और बीजेपी के झूठ को अब समझ चुके हैं, सत्ता में उनकी वापसी नहीं होने वाली

कांग्रेस अध्यक्ष को लगता है कि चूंकि कांग्रेस आम लोगों की पार्टी है और पूरा फोकस चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों पर है, इसीलिए जमीनी स्तर पर लोगों में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को लेकर उत्साह है।

फोटो : विपिन
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ऐशलिन मैथ्यू

इंडिया गठबंधन के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भरोसा है कि इस बार उनके गठबंधन की सरकार बनेगी। पांच चरणों का लोकसभा चुनाव पूरा हो जाने के बाद खड़गे का विश्वास है कि अब लोगों ने बीजेपी और पीएम मोदी द्वारा फैलाए जा रहे झूठ पर विश्वास करना बंद कर दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष को लगता है कि चूंकि कांग्रेस आम लोगों की पार्टी है और पूरा फोकस चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों पर है, इसीलिए जमीनी स्तर पर लोगों में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को लेकर उत्साह है।

नेशनल हेरल्ड के साथ खास बातचीत में खड़गे ने दोहराया कि इस बार का लोकसभा चुनाव बीजेपी बनाम देश के नागरिक है। चुनावी गहमागहमी के बीच दिल्ली में नेशनल हेरल्ड के साथ हुई उनकी बातचीत के संपादित अंश:

अब जबकि 429 सीटों पर मतदान हो चुका है, ऐसे कांग्रेस को क्या संभावनाएं या उम्मीदें नजर आती है?

कांग्रेस इस बार का चुनाव जीतने जा रही है क्योंकि यह चुनाव बीजेपी बनाम आम नागरिक और मोदी बनाम आम नागरिक है। कांग्रेस की विचारधारा और उसके गठबंधन सहयोगी हमेशा से धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर हैं। अब लोग मोदी जिस तरह से लोगों के सामने आए हैं उसे लोग पसंद नहीं कर रहे हैं। आखिर क्या जरूरत है लोगों को धर्म, समुदया के आधार पर बांटने की और वह ऐसे विषयों पर क्यों बोल रहे हैं जिन्हें लोकतंत्र में नहीं बोला जाना चाहिए। लोग उनसे उकता चुके हैं। वह कभी पाकिस्तान के बारे में बोलते हैं, कभी हिंदू-मुसलमान, कभी दलित कभी अनुसूचित जाति की बातें करते हैं। हमारा तो साफ कहना है कि हम संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए लड़ रहे हैं।

अगर वह या लोग भी जानना चाहें कि वे किस तरह संवैधानिक एजेंसियों को बरबाद कर रहे हैं, कैसे संविधान की शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं, तो मैं गिना सकता हूं। आजतक किसी एक व्यक्ति में इतनी शक्ति को कभी केंद्रित नहीं किया गया। वह ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई, सतर्कता विभाग आदि का दुरुपयोग कर रहे हैं। हमारा कहना है कि अगर ये सब चलता रहा तो देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी और वह ऐसे सभी ईमानदार और समझदार लोगों को गिरफ्तार कर लेंगे जो लोकतंत्र और संविधान में विश्वास करते हैं।

हमारा मानना है कि इस बार उनकी सीटें निश्चित घटने वाली हैं।

ऐसा लगता है कि दक्षिण में तो कांग्रेस अच्छी स्थिति में है। लेकिन देश के उत्तर को लेकर आप क्या संभावनाएं देख रहे हैं?

दक्षिण के सभी राज्यों में हमें अच्छी संख्या में सीटें मिल रही हैं। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और तमिलनाडु में हम बहुत अच्छा प्रदर्श करनेवाले हैं। निश्चित ही उत्तर भारत में भी हमारी स्थिति सुधर रही है। मिसाल के तौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हमें अच्छी सीटें मिलने वाली हैं। हमें मध्य प्रदेश में कम से कम 5-6 सीटें मिलना तो तय ही है। हरियाणा में हम 100 प्रतिशत सुधार करने वाले हैं और पंजाब में हमारी सीटें बचेंगी और दिल्ली में भी हमें फायदा होगा।

तो फिर सवाल है कि आखिर मोदी जीतेंगे कहां से?


आपको क्या लगता है कि इंडिया ब्लॉक कितनी सीटें जीतेगा, विशेष तौर पर कांग्रेस की कितनी सीटें आएंगी?

इस समय मैं सीटों के बारे में नहीं कह सकता क्योंकि हमारे गठबंधन के सहयोगी भी हैं। लेकिन मैं यह जरूर कह सकता हूं कि इंडिया गठबंधन को इतनी सीटें जरूर मिलेंगी कि वह बीजेपी को सत्ता में आने से रोक देगा। हमें सरकार बनाने लायक सीटें जरूर मिलेंगी।

क्या कांग्रेस इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने में कामयाब रही है कि बीजेपी अगर सत्ता में वापस आई तो संविधान बदल देगी?

सिर्फ कांग्रेस ने ही यह मुद्दा नहीं उठाया है। कांग्रेस के साथ गठबंधन के सभी साझीदारों ने इसे उठाया है और लोग इस बात को समझ रहे हैं। बीजेपी के सभी शीर्ष नेता कहते रहे हैं कि अगर उनके पास संख्या होगी तो वे संविधान बदल देंगे। यह हम नहीं कह रहे हैं। यह तो मोहन भागवत, हेडगेवार और यूपी के सांसदों का कहना है। वे तो इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।


कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर गठबंधन के बड़े साझीदारों के मुताबिक गठबंधन को जारी रखने के लिए कौन से बड़े अहम राजनीतिक फैसले लिए गए?

हमने सभी फैसले अन्य पार्टियो के साथ सलाह-मशविरे से लिए हैं। हमने पटना में, मुंबई में, चेन्नई में और यूपी में, जहां भी जरूरत पड़ी बैठकें की। महाराष्ट्र में गठबंधन में तीन दल हैं। तमिलनाडु में आपने देखा ही हमने क्या किया। उत्तर प्रदेश में भी राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने कई साझा जनसभाएं की हैं।

जहां भी एडजस्ट करने की जरूरत पड़ी, और भले ही हमें कम सीटें मिलीं, हमने वहां एडजस्ट किया है। हमें उनको जगह देनी पड़ी। इसके बाद भी अगर कोई मतभेद होते हैं तो हमारी टीम काम करती है। मैंने अन्य दलों के साथ मुद्दों को सुलझाने और सहमति पर पहुंचने के लिए पांच सदस्यीय टीम बनाई है।

प्रधानमंत्री मोदी अपने सांप्रदायिक और नफरत वाले भाषणों पर जोर दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग दोनों ही इस पर खामोश हैं। आपको क्या लगता है कि क्या ध्रुवीकरण का लोगों के बीच असर हुआ है। क्या इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ है?

मोदी हमेशा से ही लोगों को ध्रुवीकृत करते रहे हैं, यह आज की बात नहीं है। उन्होंने 2014 और 2019 में भी यही काम किया था। वे तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति छीन लेगी और लोगों को बांट देगी। वह कह रहे हैं कि संपत्ति उन्हें दे दी जाएगी जिनके ज्यादा बच्चे हैं। वे साफ तौर पर हिंदू-मुसलमानों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अहमदाबाद में भी ऐसी बातें की। वे सिर्फ नफरती भाषण दे रहे हैं, वे कोई स्टेट्समैन तो हैं नहीं। वह सिर्फ एक संघ प्रचारक की तरह बातें करते हैं और वही कर रहे हैं। लेकिन लोग अब उन्हें समझ गए हैं और उनकी वापसी की कोई संभावना नहीं बची है।

यह चुनाव कांग्रेस के बारे में है ही नहीं। यह चुनाव तो लोगों और मोदी के बीच है। जो लोग हमारे गठबंधन का समर्थक करते हैं वे ही मोदी और आरएसएस से लड़ रहे हैं।


हेट स्पीच के जाल में उलझने से कांग्रेस कैसे बची रही?

वे जो भी कह रहे हैं कहने दीजिए। लोग सब समझ रहे हैं। कांग्रेस का फोकस अपने मैनिफेस्टों पर है और इस पर है कि वह लोगों के लिए क्या करेगी। वे सिर्फ वोट हासिल कर सत्ता में आने के लिए हेट स्पीच का सहारा ले रहे हैं। लोग इस जाल में नहीं फंसने वाले। लोग से इसके ही खिलाफ हैं। उनका सत्ता में वापस आना संभव नहीं है।

प्रधानमंत्री कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस साफ हो जाएगी। इस पर आप क्या कहेंगे?

वे तो हमेशा से कांग्रेस मुक्त की बात करते रहे हैं। जब हम कर्नाटक में आ गए, हिमाचल में आ गए और तेलंगाना में आ गए तो ऐसी बातें करने लगे। हम मध्य प्रदेश में सत्ता में आए थे, लेकिन उन्होंने इसे छीन लिया। हर जगह लोग हमारे साथ हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में भी सत्ता छीनी। वे फेयर गेम नहीं खेल रहे, कोई फेयर गेम नहीं हो रहा है। वे तो हमेशा दूसरे दलों को तोड़कर सत्ता में आते हैं। क्या इसकी जरूरत है। क्या लोकतंत्र में ऐसा होना चाहिए?


बंगाल भी एक अलग युद्ध है। गठबंधन के सहयोगी के तौर पर आम ममता बनर्जी को कैसे देखते हैं?

मैं इस बारे में अभी कुछ नहीं कहना चाहता। हम कुछ सीटों पर लड़ रहे हैं। देखते हैं कि हमें कितनी सीटें मिलती हैं। चुनाव के बाद हम सब एक साथ आ जाएंगे।

कई जगह से चुनावी गड़बड़ियों की रिपोर्ट मिली हैं, कहीं वोटों को धमकाया गया है, कहीं उन्हें डराया गया है। कई जगह नाबालिगों ने वोट डाले हैं। आपको क्या लगता है कि चुनाव आयोग अपना काम ठीक कर रहा है?

ये सब देखना चुनाव आयोग का कर्तव्य है। हम न तो इस पर टिप्पणी करना चाहते हैं और न ही चुनाव अधिकारियों के काम में दखल देना चाहते हैं। लेकिन बीजेपी-आरएसएस हमेशा से वोटर लिस्ट में फर्जी नाम शामिल कराती रही है, और अंदरूनी इलाकों में चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश करती रही है। क्योंकि उनके पास अभी सत्ता है, सरकारी मशीनरी है, अफसरों को अपने साथ मिलाया है। फिर भी वे लोगों को धमका रहे हैं, हाल में तो मीडिया को भी धमकाया है। पहले तो वे मीडिया की तारीफ करे थे। अब वे बोलते हैं कि मीडिया उनका साथ नहीं दे रहा, खासतौर से प्रिंट मीडिया को निशाना बना रहे हैं।


उत्तर प्रदेश में क्या कुछ अहम चुनावी मुद्दे रहे हैं, खासतौर से रायबरेली में। क्या इसीलिए राहुल गांधी ने अपनी सीट बदली है।

वहां अब चुनाव हो चुका है। उसका विश्लेषण होना है। अभी दो चरण बाकी हैं और हमारा ध्यान उन पर है।

आपने अब तक के मतदान में वोटरों की संख्या जारी न किए जाने का मुद्दा उठाया है। क्या वह चिंता है...

मेरी चिंता तो यह है कि मतदान के आंकड़े जारी नहीं हो रहे। मैंने चुनाव आयोग के संज्ञान में यह बात डाली है। वे इस बात से सहमत नहीं है। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा इस बारे में। कोर्ट ने कहा है, “चुनावों के आंकड़े जारी करने में क्या दिक्कत है।” उन्हें तो सिर्फ 543 सीटों के आंकड़े जारी करने हैं, तो आखिर वे चरणबद्ध तरीके से क्यों नहीं जारी करते।

हमारी बात सुनी गई है, लेकिन चुनाव आयोग अभी भी अपने ही फैसले पर है। देखते हैं क्या होता है।


कई निर्दलीय उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट गए हैं कि उन्हं फॉर्म 17 सी नहीं मिला। क्या कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। क्या कांग्रेस अपने फॉर्म 17 सी जारी करेगी?

यह ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें मैं सीधे नहीं देखता हूं। महासचिव (संगठन) इसे देखेंगे। इसके अलावा चुनाव प्रभारी हैं वे देखेंगे। विभिन्न राज्यों के प्रभारी महासचिव देखेंगे। इस बारे में उन्हें जानकारी है।

हम तो पारदर्शिता के पक्षधर हैं और चाहते हैं सभी डेटा सामने आए। देखते हैं क्या होता है। हम आगे क्या करेंगे अभी कहना मुश्किल है।

क्या इस बारे में कांग्रेस कोर्ट जाएगी?

मैंने वोटरों की संख्या का मुद्दा उठाया था. हमारे गठबंधन के सहयोगियों ने भी चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर आंकड़े जारी करने में क्या दिक्कत है। उन्हें भी संदेह है। अभी मैं कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि दो चरणों का मतदान बाकी है।

चुनाव आयोग को जो काम करना चाहिए वह ठीक तरीके से नहीं कर रहा है। चुनाव आयोग ने हमारी चिंताओं का संज्ञान लिया है सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की है।


पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार की चुनावी प्रक्रिया को आप कैसे देखते हैं?

मैं चुनाव आयोग के बारे में नहीं बोलना चाहता। कैसे चुनाव जीतें यह मेरी समस्या है। प्रक्रिया कैसी है उस बारे में चुनाव समिति देखेगी।

आपको क्या लगता है कि बीजेपी को बहुमत नहीं मिलेगा। आपको उनके लिए कोई दिक्कत दिखती है?

मैं नहीं जानता कि प्रधानमंत्री क्या करेंगे, लेकिन स्वाभाविक है कि गठबंधन की निर्वाचित पार्टियां तय करेंगी कि क्या करना है। एक आदमी इस बारे में फैसला नहीं कर सकता।

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