पुण्यतिथि विशेष: कॉमेडी किंग महमूद की जिंदगी से जुड़े किस्से, लोकल ट्रेन में टॉफ़ियां बेची, बतौर ड्राइवर भी किया काम
1965 में रिलीज़ हुई फ़िल्म गुमनाम में महमूद नें अपनी कॉमेडी का भरपूर जौहर दिखाया। इसी फ़िल्म के गाने, हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं ने उन्हें रातोंरात कॉमेडी का बेताज बादशाह बना दिया।
हिंदी सिनेमा के मशहूर हास्य अभिनेता महमूद की आज 19वीं पुण्यतिथि है। अपनी दमदार कॉमेडी की वजह से उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में किंग ऑफ़ कॉमेडी का ख़िताब मिला था। फ़िल्म गुमनाम के गाने हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं से उन्होंने हर सिनेप्रेमी के दिल में अपनी ख़ास जगह बना ली थी।
महमूद की पैदाइश 29 सितम्बर 1932 को बॉम्बे में हुई थी। उनके पिता मशहूर नृतक मुमताज़ अली थे, जो बॉम्बे टाकीज़ स्टूडियो में काम करते थे। फ़िल्मों में कैरेक्टर रोल निभाने वाली मशहूर अभिनेत्री मीनू मुमताज़ उनकी बड़ी बहन थीं। महमूद ने अभिनेत्री मीना कुमारी की बहन मधु से शादी की थी। उनके बेटे मक़सूद अली फ़िल्म इंडस्ट्री के जाने माने गायक और अभिनेता हैं, जिन्हें लकी अली के नाम से जाना जाता है।
महमूद जब छोटे थे तो उनके घर की आर्थिक हालत अच्छी नही थी। इस वजह से घर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वह मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेन में टॉफ़ियां बेचा करते थे। बचपन से ही महमूद को फ़िल्मों में एक्टिंग करने का शौक़ था। वह बड़े होकर एक अभिनेता बनना चाहते थे। अपने पिता की सिफ़ारिश पर उन्हें 1943 में रिलीज़ हुई बॉम्बे टाकीज़ की फ़िल्म किस्मत में अभिनेता अशोक कुमार के बचपन का रोल निभाने का मौक़ा मिला था।
उसके बाद महमूद ने कार ड्राइव करना सीखा और फ़िल्म निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां बतौर ड्राइवर काम करने लगे। इसी बहाने उन्हें निर्माता ज्ञान मुखर्जी के साथ रोज़ स्टूडियो जाने का मौक़ा मिल जाता था, जहां वह फ़िल्मी कलाकारों को क़रीब से देख सकते थे। उसके बाद महमूद नें गीतकार भरत व्यास, राजा मेंहदी अली ख़ान और फ़िल्म निर्माता पी.एल.संतोषी के घर पर भी ड्राइवर का काम किया।
महमूद ने कुछ दिनों तक अभिनेत्री मीना कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने का काम भी किया था, जिसके बाद उन्होंने उनकी छोटी बहन से शादी कर ली थी। शादी के बाद घर की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए उन्होंने फ़िल्मों में दोबारा काम करने का फ़ैसला किया। अपनें करियर के शुरुवाती दिनों में उन्होंने बिमल रॉय की दो बीघा ज़मीन और गुरुदत्त की प्यासा जैसी फ़िल्मों में छोटे मोटे किरदार निभाए।
महमूद को पहला बड़ा ब्रेक 1958 की फ़िल्म परवरिश में मिला। इस फ़िल्म में उन्होंने राज कपूर के भाई का किरदार निभाया था। साल 1961 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ससुराल उनके करियर की अहम फ़िल्म साबित हुई। इसी फ़िल्म से उन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में बतौर हास्य अभिनेता बनने में मदद मिली। साल 1965 की फ़िल्म जौहर महमूद इन गोवा में उन्हें कॉमेडियन के साथ साथ फ़िल्म में ख़ास किरदार निभाने का भी मौक़ा मिला। 1966 में रिलीज़ हुई फ़िल्म प्यार किए जा और 1968 में आई फ़िल्म पड़ोसन नें महमूद को हिंदी सिनेमा का एक दमदार हास्य अभिनेता बना दिया।
1965 में रिलीज़ हुई फ़िल्म गुमनाम में महमूद नें अपनी कॉमेडी का भरपूर जौहर दिखाया। इसी फ़िल्म के गाने, हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं ने उन्हें रातोंरात कॉमेडी का बेताज बादशाह बना दिया। यह गाना आज भी देखने वालों को बहुत गुदगुदाता है। हेलेन के साथ महमूद ने भी इस गाने में डांस किया था। इस फ़िल्म के बाद महमूद ने प्यार किए जा, पड़ोसन, लव इन टोक्यो, आंखें और ज़िद्दी जैसी हिट फ़िल्मों में काम किया।
महमूद ने अपना ख़ुद का प्रोडक्शन हॉउस भी खोला था, जिसके तहत उन्होंने बहुत सी क़ामयाब फ़िल्मों का निर्माण भी किया। उनकी पहली होम प्रोडक्शन फ़िल्म थी साल 1961 में रिलीज़ हुई छोटे नवाब। इस फ़िल्म में उन्होंने पहली बार आर.डी.बर्मन को बतौर संगीतकार मौक़ा दिया था। इसके बाद आर.डी.बर्मन फ़िल्म इंडस्ट्री के एक क़ामयाब संगीतकार साबित हुए। साल 1965 में उन्होंने ख़ुद के निर्देशन में सस्पेंस और कॉमेडी बेस्ड फ़िल्म भूत बंगला बनाई, जोकि सुपरहिट साबित हुई थी। 1968 में महमूद नें कॉमेडी से भरपूर फ़िल्म पड़ोसन बनाई। इस फ़िल्म में वह फ़िल्म के लीड एक्टर पर भारी नज़र आए। फ़िल्म पड़ोसन को हिंदी सिनेमा की श्रेष्ठ फ़िल्मों में गिना जाता है।
महमूद नें अमिताभ बच्चन के करियर को उठाने के लिए, उन्हें लेकर 1972 में बॉम्बे टू गोवा फ़िल्म बनाई। इस फ़िल्म में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ ख़ुद भी काम किया था। इसके साथ ही उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री के नामी हास्य कलाकारों को इस फ़िल्म में लिया था। फ़िल्म बॉम्बे टू गोवा में उन्होंने कॉमेडी का ज़बरदस्त तड़का लगाया था। 1979 में उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना को लेकर फ़िल्म जनता हवलदार बनाई। कहते हैं कि इसी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान उन्होंने सेट पर देर से आने पर राजेश खन्ना को कड़ी फ़टकार लगाई थी, जबकि राजेश खन्ना तब एक सुपरस्टार हुआ करते थे।
अपने हास्य किरदारों से दर्शकों को हंसाने और गंभीर किरदार से रुलाने वाले महमूद अभिनय के प्रति पूरी तरह समर्पित थे। अपने बहुमुखी अभिनय और कला के प्रति समर्पण ने उन्हें बुलंदियां दीं और उनको फ़िल्मफ़ेयर समेत कई पुरस्कारों से नवाज़ा गया। उन्होंने कई फ़िल्मों में गाने भी गाए, जिसे आज तक दर्शक भुला नही पाए हैं। साल 1974 में उन्होंने फ़िल्म कुंवारा बाप बनाई। इस फ़िल्म में उन्होंने एक लावारिस विकलांग बच्चे को पालने वाले का दमदार किरदार निभाया था। इस फ़िल्म में महमूद के अभिनय को आज तक दर्शक भूल नही पाए हैं।
महमूद की कुछ ख़ास फ़िल्मों में पड़ोसन, गुमनाम, प्यार किए जा, भूत बंगला, बॉम्बे टू गोवा, पत्थर के सनम, अनोखी अदा, नीला आकाश, नील कमल और कुंवारा बाप जैसी हिट फ़िल्मों का शुमार किया जाता है। बतौर डॉयरेक्टर उनकी आख़िरी फ़िल्म थी 1996 में रिलीज़ हुई दुश्मन दुनिया का, इस फ़िल्म से उन्होंने अपने बेटे मंज़ूर अली को बड़े पर्दे पर उतारा था, लेकिन यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर फ़्लॉप साबित हुई।
अपनी ज़िन्दगी के आख़िरी दिनों में महमूद की सेहत काफ़ी ख़राब हो गई थी। वह इलाज के लिए अमेरिका गए हुए थे, जहां आज ही के दिन यानी 23 जुलाई 2004 को उन्होंने इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह दिया।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 23 Jul 2023, 10:43 AM