मुख्यमंत्री से मुलाकात: सुखविंदर सिंह सुक्खू को भरोसा, अगले 10 साल में सबसे समृद्ध राज्य होगा हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को यह कसक है कि संकट के वक्त न तो केंद्र सरकार और न ही हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने आपदा से उबरने में सरकार का सहयोग किया।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जमीन से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं। वह चार बार विधायक रहे हैं। उन्होंने एनएसयूआई और फिर, युवक कांग्रेस के जरिये राजनीति में अपना जीवन आरंभ किया। सरकार संभालने के कुछ ही महीनों बाद जब बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन से हिमाचल भयंकर आपदा का सामना करने लगा, तो वह अफसरों के साथ खुद निकल पड़े। युद्ध स्तर पर किए गए राहत और बचाव के कामों से एक माह में ही हिमाचल प्रदेश फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो गया। तसलीम खान और विश्वदीपक ने शिमला में उनसे जब मुलाकात की, तो उनकी यह कसक भी सामने आई कि इस संकट के वक्त न तो केंद्र सरकार और न ही हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने आपदा से उबरने में सरकार का सहयोग किया। यहां तक कि हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव का बीजेपी ने समर्थन तक नहीं किया।
अभी सरकार की बागडोर संभाले आपको बमुश्किल 6 महीने ही हुए थे की एक के बाद एक दो आपदाएं राज्य पर टूट पड़ीं। एक जुलाई में और फिर दूसरी अगस्त में...लेकिन तकरीबन एक महीने में हिमाचल आज अपने पैरों पर खड़ा दिखने लगा है..यह करिश्मा आपने कैसे किया....
यह करिश्मा नहीं है, बल्कि मेरा कर्तव्य था, मेरी जिम्मेदारी थी। निश्चित तौर पर जब आपदा आई तो बहुत बड़ा संकट था, मैं हर जगह फील्ड में पहुंचा, महसूस किया, अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए, और सभी अधिकारियों ने, मंत्रिमंडल के साथियों ने काम किया, मैं सबका धन्यवाद करना चाहता हूं। सबने साथ दिया और उसी के कारण आज हम दोबारा से अपने पैरों पर मजबूती से खड़े हैं।
यह बात सही है कि जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, उसे बनाने में समय लगेगा, एक-डेढ़ साल का वक्त लगेगा...लेकिन आज हमने सभी रोड खोल दिए हैं, और सभी प्रकार के पर्यटकों को हम कहना चाहते हैं कि हिमाचल सुरक्षित है, आप आइए और यहां के माहौल का आनंद लीजिए। आपदा के कारण हिमाचल प्रदेश को लेकर जो माहौल बना था, वह बदल रहा है, अब यहां सबकुछ ठीक है।
देखिए आपने तो लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट की मिसाल दिखाई है। लेकिन हम एक संघीय व्यवस्था हैं, फेडरल स्ट्रक्चर है...ऐसे में केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वह आपदाग्रस्त राज्य के साथ खड़ा हो...आपको केंद्र से कितनी, कैसी और कब कितनी मदद मिली...
देखिए केंद्र सरकार से अभी तक कोई सहयोग नहीं मिला....अभी तक जो मिला है, वह पूरे देश के राज्यों के लिए पहले से तय आपदा का जो बजट होता है, उसी में से एडवांस मिला है...लेकिन जिस स्पेशल रिलीफ पैकेज की हम मांग कर रहे हैं, वह मिलता या नहीं मिलता है अभी तक स्पष्ट नहीं है...लेकिन हमने अपनी तरफ से (हिमाचल सरकार की तरफ से) 4500 करोड़ का स्पेशल पैकेज राज्य के लिए शुरु किया है...लेकिन केंद्र के जो नियम हैं, उसके मुताबिक तो हमें पैसे मिलने ही हैं, लेकिन वह भी अभी नहीं मिले हैं, स्पेशल पैकेज की तो बात छोड़ ही दीजिए...हमारा जो अधिकार है, वह भी हमें अभी नहीं मिला है...
बहुत दुख होता है कि भारतीय जनता पार्टी की हिमाचल इकाई ने उस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया जिसमें हमने हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है, हिमाचल के हितों को ध्यान में न रखते हुए उन्होंने हमारी 12,000 करोड़ के स्पेशल पैकेज की मांग का समर्थन नहीं किया है...
आपने विधानसभा में पारित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है, क्या केंद्र की तरफ से उस पर कोई प्रतिक्रिया आई है?
हम प्रस्ताव केंद्र को भेज चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं
वापस आते हैं आपदा से हुए नुकसान और उसके कारणों पर...काफी बातें हुई हैं, कोई किसी को जिम्मेदार बता रहा है कोई किसी को...आपने भी कुछ बातें कही थीं, और आंकलन करने का जिक्र किया था...क्या वह आंकलन आदि पूरा हो चुका है और जिन भी कारणों से आपदा से नुकसान हुआ...वैसे फिर न हो उसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
देखिए जो क्लाउड बर्स्ट (बादल फटे) हुए, उससे हिमाचल प्रदेश का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ...अत्यधिक बारिश से हिमाचल को काफी नुकसान हुआ..बिजली घरों के डैम पर जब अधिक भर गए और उनसे पानी छोड़ा गया, तो उसने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया...हमारा इंफ्रास्ट्रक्चर, पीने के पानी, बिजली और सिंचाई आदि की व्यवस्था..सभी प्रभावित हुई हैं...इन सबका आंकलन करने के बाद हमने पाया कि टेम्परेरी तौर पर तो इन्हें जोड़ा जाए, इसी कारण हिमाचल प्रदेश में इतनी बड़ी आपदा के बाद भी कोई हाहाकार नहीं मचा, कोई अराजकता नहीं हुई, सब शांति से संभाल लिया गया...केंद्र की सरकार की तरफ हिमाचल की जनता की भी नजरें थीं कि इस संकट की घड़ी में हिमाचल को कुछ मिलेगा, लेकिन अभी तक हमारे हाथ में कुछ आया नहीं...
मैं हिमाचल की जनता को धन्यवाद कहना चाहता हूं कि उन्होंने हिमाचल सरकार के काम में हाथ बंटाया, और सरकार के साथ खड़ी हुई, लेकिन बीजेपी के नेता विधानसभा में प्रस्ताव पर राष्ट्रीय आपदा का नाम लेने से भी कतराते रहे..स्पेशल पैकेज का नाम लेने से डरते रहे...उन्हें कौन सा अपनी जेब से देना था, हमें दुख है कि हिमाचल से सांसद है बीजेपी के उन्होंने भी कुछ नहीं किया... उन्होंने एक ज्ञापन तक नहीं दिया केंद्रीय गृहमंत्री को कि हिमाचल की मदद कर दो, बीजेपी विधायक दल का प्रतिनिधिमंडल तक नहीं गया केंद्र के पास कि हिमाचल की मदद कर दो. तो यह किस प्रकार की राजनीतिक कर रहे हैं जो अपने राज्य के लोगों के साथ नहीं हैं...
यह समय राजनीति का समय नहीं था...संकट प्रदेश पर थी, प्रदेश की जनता पर था, राजनीति के लिए बहुत समय है..
तमाम खबरें देखीं हमने कि बड़ी सड़कें तो बहीं ही, बहुत से मार्गों को और लोगों के घरों आदि को भी काफी नुकसान हुआ है खासतौर से ग्रामीण इलाकों में, उस विषय में आपने क्या किया है, रिलीफ मैन्युअल में क्या बदलाव आदि किए हैं?
एक केंद्र सरकार का रिलीफ मैन्युअल है और एक राज्य सरकार का रिलीफ मैन्युअल है... राज्य के मैन्युअल के मुताबिक घर के पूरी तरह नष्ट हो जाने पर एक लाख और आंशिक रूप से नुकसान होने पर 6,500 रुपए का रिलीफ मिलता था...हम देश का पहला राज्य हैं जहां घर के पूरी तरह नुकसान होने पर रिलीफ को एक लाख से बढ़ाकर सात लाख कर दिया...बिजली और पानी का कनेक्शन फ्री कर दिया...घर बनाने के लिए लगने वाले सीमेंट की बोरी का टैक्स हटाकर उसे सिर्फ 280 रुपए प्रति बोरी कर दिया...16000 परिवारों को राहत दी है, इनमें से 3,500 परिवारों के घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, उन्हें 7 लाख रुपए प्रति घर हिमाचल सरकार देगी, और जिनके घर आंशिक तौर पर नष्ट हुए हैं उन्हें एक लाख रुपए सरकार देगी। जिन किसानों या परिवारों की गाय, भैंस आदि मारी गई है, उसे प्रति पशु 55,000 रुपए सरकार देगी, घोड़ा आदि मरने पर 55,000 रुपए देगी, भेड़-बकरी मारे जाने पर 6,500 रुपए सरकार देगी। पूरे हिंदुस्तान में ऐसा रिलीफ पैकेज किसी राज्य ने नहीं दिया होगा, जैसा हमारी सरकार ने दिया है।
अभी जब हम दिल्ली से आ रहे थे तो हमने देखा कि काफी जगहों पर पहाड़ों को एकदम सीधा यानी लगभग 90 डिग्री पर काटा गया है...विशेषज्ञों ने इस बारे में काफी कुछ कहा है कि पहाड़ों को ऐसे काटना मुसीबत को दावत देना है...?
निश्चित तौर पर...जब भी सड़कें बनती हैं, और ऐसा नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में 22,000 किलोमीटर सड़कें बन रही हैं...जब भी सड़क बनाई जाती है, तो लैंडस्लाइड होता ही है...लेकिन पहाड़ को स्लोप में काटना चाहिए...और वैसे काटने पर भी उस पहाड़ को सैटल होने में चार-से पांच साल का समय लगता है...इन्होंने तो 90 डिग्री पर काट दिया...अभी एनएचएआई के साथ बात हुई, उन्होंने इस पर विचार किया है और अब उन्होंने कहा है कि वे पहाड़ों को अब स्लोप में ही काटेंगे...
बात ओवर टूरिज्म की हो रही है, खासतौर से शिमला, मनाली या धर्मशाला जैसे शहरों पर पर्यटकों का ज्यादा दबाव है और वे पर्यटकों का दबाव नहीं झेल पा रहे...क्या इसे नियंत्रित करने की कोई योजना या कोई अन्य उपाय पर आप काम कर रहे हैं?
देखिए हमारे यहां...पर्यटकों के लिए सारी व्यवस्थाएं हैं....होम स्टे हैं, होटल आदि हैं...और टूरिज्म की बात नहीं है...और शहरों पर दबाव का आपदा से कुछ लेना-देना नहीं है...ओवर टूरिज्म शब्द ठीक है, कई बार पर्यटक ज्यादा आ जाते हैं...गाड़ियां ज्यादा आ जाती हैं. ट्रैफिक की समस्या होती है, उस व्यवस्था को सरकार ठीक कर रही है...इस दिशा में हम काम कर रहे हैं...हम तो चाहते हैं कि अभी तक जो 1.50 करोड़ टूरिस्ट आते रहे हैं, उनकी संख्या पांच करोड़ हो., उसके लिए हम कंसल्टेंसी कर रहे हैं...स्टडी कर रहे हैं...ओवर टूरिज्म नहीं कहना चाहिए..हम अपनी क्षमता के हिसाब से ही इसको बढ़ा रहे हैं...
एक विचार यह भी है कि शिमला या मनाली जैसे नए शहर बनाए-बसाए जाएं...आपकी सरकार इस दिशा में क्या कर रहे हैं...
आप सही कह रहे हैं...हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही है...हमने चर्चा की है कि नए टूरिस्ट स्पॉट बनाए जाएं, नए सिटी बनाए जाएं. एक जाख्या देवी जगह है जहां नया सिटी बसाने का विचार है...एक पालनपुर में नया सिटी बसाने का विचार है...75 साल में हिमाचल ने नई सिटी नहीं बनी है, इसी पर हम विचार कर रहे हैं...जहां पानी उपलब्ध रहेगा वहां नई सिटी बना सकते हैं...
लेकिन ऐसा राज्य जहां की करीब 65 फीसदी जमीन वन भूमि है, जहां पर्यावरण का मुद्दा है, वहां नए इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा करना पर्यावरण की दृष्टि से कितना सही है?
देखिए दिक्कतें तो रहती हैं...लेकिन हमें शहर तो बसाने ही हैं न...लेकिन हम पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ही शहर बसाएंगे और हमारी सरकार इसी दिशा में काम कर रही है...अभी काफी स्टडी होनी है..लेकिन हम इसे 2-3 साल में आगे बढ़ाएंगे
आपदा के बाद आपने स्पेशल राहत कोष बनाया..उससे लोगों को मदद दी जा रही है... आपने भी हमने निजी खाते से इस कोष में 51 लाख रुपए दिए..क्या प्रेरणा रही...
देखिए, जब छोटे-छोटे बच्चे अपने गुल्लक लेकर राहत कोष में दान देने आ गए. ..सवाल पैसे का नहीं था, सवाल भाव और भावनाओं का था...मेरी प्रवृति रही है ऐसी.. तो मैंने भी अपनी सारी जमा-पूंजी से 51 लाख रुपया राहत कोष में दिया, मैंने कोरोना काल में भी दान दिया था...51 लाख देने के बाद मेरे पास सिर्फ 17 हजार रुपए बचे थे, लेकिन मुझे चिंता नहीं थी...हमें तो अगले महीने तनख्वाह मिल जाती है, तो खर्च चल जाता है...तो मुझे चिंता नहीं थी... कोरोना काल में तो बीजेपी की सरकार थी. उस समय मैंने 19 लाख रुपए दान किया था। और इस पहले के चलते ही हमारे राहत कोष में ऐतिहासिक पैसे इकट्ठा हुए...करीब 200 करोड़ रुपए जमा हुए...
आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आप हिमाचल को टूरिज्म कैपिटल ऑफ इंडिया बनाना चाहते हैं...मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर में यह संभव है...इसके लिए क्या काम हो रहा है...मसलन हवाई कनेक्टिविटी आदि..
देखिए मैंने कहा था कि हिमाचल प्रदेश उत्तर भारत के लंग्स की तरह काम करते हैं...68 पर्सेंट फॉरेस्ट कवर है...और उस फॉरेस्ट कवर का हमें कुछ मिलता नहीं है...फेडरल स्ट्रक्चर में केंद्र सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जो राज्य सरकारें अपने फॉरेस्ट को बचाकर रखती हैं, नए पौधारोपण करती रहती हैं. पर्यावरण को बचाती हैं. उन्हें इसका कुछ न कुछ कम्पंसेशन मिलना चाहिए...इस दृष्टि से मैने यह बात कही थी...जहां तक बात टूरिज्म कैपिटल की बात है तो हम कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल बनाने जा रहे हैं...लेकिन वह अभी बहुत समस्याग्रस्त है...
कुछ पॉलिटिकल बाते करते हैं...अभी दो सप्ताह पहले विधानसभा सत्र हुआ...जिसमें आपकी सरकार ने इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पास किया। दो बातें समझना चाहते हैं...एक- राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से क्या होगा...और दूसरा..बीजेपी आखिर इससे भाग क्यों रही है
इसका जवाब तो बीजेपी देगी, लेकिन उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है. जनता देख रही है...भले ही इस समय हमारी सरकार है, लेकिन आपदा तो जनता पर आई है, और वह आपदा सरकार द्वारा नहीं लाई गई है...प्राकृतिक आपदा है...कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है यह, राजनीतिक मुद्दा होता तो आप साथ न होते तो कोई बात नहीं, लेकिन यह तो लोगों पर मुसीबत थी, वे सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं
एक और सवाल राजनीति से ही जुड़ा हुआ...इंडिया गठबंधन..बन चुका है...सारा विपक्ष एकजुट हो गया है.. और इसके साथ ही बीजेपी की प्रतिक्रिया विभिन्न रूपों में हमारे सामने है...अभी बीते कुछ दिनों की घटनाएं ही हैं...क्या कहेंगे आप...
जो कुछ हो रहा है या जो घटनाएं घट रही हैं वह लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं हैं...मेरा मानना है कि जो गठबंधन बना है, वह देशहित में है...इस समय मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, उसके नेतृत्व में गठबंधन को आगे बढ़ना चाहिए...वर्ना यह रीजनल पार्टीज़ को ऐसे ही हैरेस करेंगे...कांग्रेस की विचारधारा के लोग सारी जगह हैं...कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी जी को नेतृत्व दे देना चाहिए...और कहना चाहिए कि इस गठबंधन का नेतृत्व वे करेंगे...और यह तय है कि निश्चित तौर पर बीजेपी अब सत्ता में नहीं आएगी...
वापस कुछ आपदा से जुड़ी बातें हैं...कुछ ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान हुआ है, ऐसी खबरें आई कि पुराने वॉयसरॉय लॉज को नुकसान हुआ जहां ऐतिहासिक शिमला समझौता हुआ था...
नहीं... उसे कुछ नुकसान नहीं हुआ है....वहां कुछ लैंडस्लाइड हुए थे...लेकिन इमारत ठीक है..
आपदा के दौरान आपने निर्माण पर रोक लगाई थी, वह अभी जारी है. उसे खोलने की क्या योजना है..
अभी वह रोक जारी है...समय आने पर उसकी समीक्षा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे...
आपने राहत की बात की है...देश का सबसे बड़ा पैकेज आप दे रहे हैं, आपने बताया...हिमाचल की अर्थव्यवस्था मुख्यता पर्यटन और सेब बागबानी से जुड़ी है...उनके लिए क्या पैकेज या राहत की है आपने
हमने ऐतिहासिक तौर पर सेब का समर्थन मूल्य बढ़ाया है...75 साल में किसी सरकार ने इतना समर्थन मूल्य कभी नहीं बढ़ाया...जहां तक आर्थिक स्थिति की बात है...हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है...लेकिन हमने बजट में कुछ प्रावधान किए थे, उनमें आपदा के बाद हमने कुछ कटौती की है...हमने प्राथमिकताएं तय की हैं...हम अपनी अर्थव्यवस्था को ठीक करने में लगे हैं...हर दिन नए आइडिया को कंसीव करके हम इम्पलीमेंट करना चाहते हैं....मेरा विश्वास है कि हम चार साल में हिमाचल की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आएंगे...और 10 साल में हिंदुस्तान का सबसे समृद्ध राज्य हिमाचल को बना देंगे...
दिसंबर में आपकी सरकार का एक साल पूरा हो रहा है...आपदा में किए गए कार्यों के अलावा आप एक साल की उपलब्धि के तौर पर क्या कहना चाहेंगे...
कई मोर्चों पर परिवर्तन हो गया है, हमने कई चीजों को बदला है...हमने लोगों का विश्वास जीता है और उसे जीतने में हम समर्थ हैं...लोग हमारी बात पर विश्वास करते हैं क्योंकि हमने काम करके दिखाया है...भ्रष्टाचार पर हमने लगाम लगाई है...सभी विभागों की व्यवस्था में बदलाव किए हैं..जहां काम होने में महीनों लगते थे, वहां हमने 20 दिन की व्यवस्था की है, कई सारी चीजें हुई हैं...स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम काफी काम कर रहे हैं...
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia