चेतन चौहान की पुण्यतिथि: क्रिकेट ही नहीं राजनीति के पिच पर भी छोड़ी छाप, आउट करना था गेंदबाजों के लिए बड़ा टास्क
क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के बाद चेतन चौहान ने राजनीति के मैदान में भी अपना लोहा मनवाया, लेकिन कोरोना काल में 16 अगस्त 2020 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान का क्रिकेट और राजनीतिक करियर शानदार रहा था। क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के बाद चेतन चौहान ने राजनीति के मैदान में भी अपना लोहा मनवाया, लेकिन कोरोना काल में 16 अगस्त 2020 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी पुण्यतिथि के मौके पर चलिए उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प कहानी और क्रिकेट में उनके शानदार रिकॉर्ड पर एक नजर डालते हैं।
चेतन चौहान ने भारतीय क्रिकेट में सुनील गावस्कर के 'सबसे बड़े पार्टनर' के रूप में पहचान बनाई थी। अपने क्रिकेट करियर (1969-1981) के दौरान चेतन ने खूब सुर्खियां बटोरीं।
चेतन चौहान का जन्म 21 जुलाई 1947 में बरेली में हुआ था। पहले बात चेतन चौहान की क्रिकेट करियर की करते हैं। उन्होंने 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू किया था। साल 1981 में उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का सफर खत्म हो गया लेकिन 1985 में उन्होंने कॉम्पिटिटिव मैच खेला।
भारतीय क्रिकेट के सबसे साहसी सलामी बल्लेबाजों में से एक, चेतन चौहान को मुख्य रूप से 70 और 80 के दशक की शुरुआत में कई टेस्ट मैचों में सुनील गावस्कर के जोड़ीदार के रूप में याद किया जाता है। सहवाग-गंभीर की जोड़ी आने तक, यह जोड़ी दस शतकीय साझेदारियों के साथ टेस्ट क्रिकेट में सबसे सफल भारतीय सलामी जोड़ी थी।
चौहान की तकनीक और उनका स्ट्रोक-प्ले ज्यादा बेहतर नहीं था लेकिन कोई भी उनके साहस, उनके डिफेंस और गेंद की लाइन को समझने की उनकी क्षमता पर सवाल नहीं उठा सकता था। उन्हें आउट करना गेंदबाजों के लिए हमेशा मुश्किल रहा। उनके धैर्य और दृढ़ निश्चय ने 1969 से 1981 के दौरान भारत को टेस्ट मैचों में बहुत अच्छी स्थिति में पहुंचाया। उन्होंने 22 साल की उम्र में मुंबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना डेब्यू किया और इसी सीजन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी खेले।
गावस्कर-चौहान की साझेदारी का सबसे बड़ा कारनामा 1979 में ओवल में हुआ जब उन्होंने 213 रन जोड़े और विजय मर्चेंट-मुश्ताक अली का प्रसिद्ध रिकॉर्ड तोड़ा। जिन्होंने 1936 में ओल्ड ट्रैफर्ड में 203 रन की साझेदारी बनाई थी। चौहान ने 80 रन बनाए। वह दुर्भाग्यशाली रहे कि टेस्ट शतक नहीं बना सके, हालांकि टेस्ट मैचों में उनके कुल रन 2000 से अधिक थे (वह टेस्ट इतिहास में बिना शतक के 2000 से अधिक रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी थे)।
वह घरेलू क्रिकेट में काफी रन बनाने वाले खिलाड़ी थे और उन्होंने रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता में महाराष्ट्र और दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया था। संन्यास लेने के बाद चौहान उत्तर क्षेत्र से चयनकर्ता बन गए थे। बता दें, चेतन ने टीम इंडिया की मैनेजर की भूमिका भी निभाई। उन्होंने भारत के लिए 40 टेस्ट मैचों में 31.57 के एवरेज से 2084 रन बनाए, जिसमें 16 अर्धशतक शामिल रहे। उन्होंने 7 वनडे इंटरनेशनल मैचों 21.86 के एवरेज से 153 रन बनाए।
साल 1969 से 1981 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे चेतन चौहान ने 1991 में चुनावी पिच पर उतरने का फैसला लिया। यहां भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। वह 1991 के लोकसभा चुनाव में अमरोहा से बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे। अपने पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की।
दिलचस्प बात ये है कि उस समय देश में कांग्रेस का दबदबा था और केंद्र में कांग्रेस ने ही बाजी मारी थी, लेकिन बीजेपी की ओर से अपना पहला चुनाव लड़ रहे चेतन ने शानदार जीत दर्ज की। उनकी इस जीत के हालांकि, इसके बाद उनका राजनीतिक करियर उनके नाम के मुताबिक नहीं रहा लेकिन उनका नाम आज भी दोनों ही मैदानों में बड़े खिलाड़ियों में लिया जाता है।
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