मुझे राखी बांधती थीं गिरिजा देवी: अमजद अली
प्रसिद्ध सरोद वादक अमजद अली खान का कहना है कि गिरिजा देवी का जाना उनका व्यक्तिगत नुकसान है, वह हर साल उन्हें राखी बांधती थीं।
प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी की मौत से संपूर्ण भारतीय संगीत जगत को भारी धक्का लगा है। कई शास्त्रीय संगीतकारों और गायकों ने उनकी मौत पर गरहा दुख जताया है। भारत के प्रसिद्ध सरोद वादक अमजद अली खान ने गिरिजा देवी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि 'ठुमरी रानी' के नाम से प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी को भारत हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने सुना कि बनारस की महान गायिका गिरिजा देवी का निधन हो गया है, तब मुझे काफी दुख हुआ। वह कोलकाता में थीं। यह संगीत की दुनिया के लिए काफी बड़ा नुकसान है, विशेष रूप से गायन की शैली ठुमरी के लिए।’
अमजद अली ने कहा, ‘मैंने कई बार उनके साथ प्रस्तुति दी हैं। हमने साथ में लंदन स्थित एक रिकॉर्ड लेबल 'नवरस' के लिए सरोद वादन और गायन की जुगलबंदी रिकॉर्ड की है। उन्होंने अपनी विरासत को बरकरार रखने का जिम्मा अपने शिष्यों पर छोड़ा है। अमजद अली ने कहा, वह अपने जीवनकाल के दौरान एक संस्था बन गईं। वह मेरे जीवन में एकमात्र ऐसी महिला थीं, जो हर रक्षाबंधन मेरी कलाई पर राखी बांधती थीं।’ गिरिजा देवी का निधन 24 अक्टूबर की रात दिल का दौरा पड़ने से हो गया था।
सरोद वादक अमजद अली ने कहा, "भारत हमेशा उन्हें याद करेगा। यह मेरा व्यक्तिगत नुकसान भी है। भागवान उनकी आत्मा को शांति दे। जब हमने ग्वालियर स्थित सरोद घर के आंगन में उन्हें हमारे वार्षिक हफीज अली खान पुरस्कार से सम्मानित किया, तो गिरिजा देवी ने पुरस्कार राशि लेने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा, इस घर को हमें सिर्फ देना है, लेने का हक हमारा नहीं है। गिरिजा देवी जी के दिल में मेरे पूर्वजों और गुरुओं के लिए बहुत सम्मान था। वह एक आध्यात्मिक संगीतज्ञ थीं और पूरी तरह से संगीत व सरस्वती मां को समर्पित थीं।‘
अमजद अली खान मानते हैं कि ठुमरी कला सीखना सबसे मुश्किल काम है। कुछ गायक तो अभी इसके व्याकरण को ही समझने में लगे हुए हैं।
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