कोई तो समझाए, रोजगार जरूरी या बुलेट ट्रेन?
बुलेट ट्रेन बड़ी चीज़ हो सकती है, लेकिन इससे देश पर बोझ बढ़ने के सिवा कुछ नहीं होगा। जिस देश में भारी तादाद में किसान आत्महत्या कर रहे हों और युवा बेरोजगार हों, वहां बुलेट ट्रेन नहीं रोजगार चाहिए।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में अपने जापानी दोस्त शिंज़ो आबे के साथ बुलेट ट्रेन की नींव रखी। इस ट्रेन की कुल लागत करीब एक लाख दस हजार करोड़ रुपए (₹ 1.10 लाख करोड़) है। इस प्रोजेक्ट के कुछ हिस्से की फंडित जापान कर रहा है। जापानी तकनीक से बनने वाले इस प्रोजेक्ट में जापान रेलवे ग्रुप या जापान इंटरनेशनल कंसल्टेंट्स सहित छह जापानी कंपनियां शामिल होगी। सरकार की तरफ से बताया जा रहा है कि इस परियोजना के लिए जापान बहुत ही मामूली ब्याज पर कर्ज देगा और इस कर्ज को 50 साल में वापस करना है।
इस पूरी परियोजना पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत को बुलेट ट्रेन की जरूरत है? ऐसे देश में जहां गरीबों के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं, वहां क्या बुलेट ट्रेन जैसी महंगी परियोजना पर इतना पैसा खर्च करना समझदारी है? एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या महंगी बुलेट ट्रेन हवाई सफर से मुकाबला कर सकती है?
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अभी तक देश के हर घर में साफ शौचालय तक नहीं है, हर भारतीय को साफ पानी मुहैया नहीं है, हर गांव तक अभी बिजली नहीं पहुंची है, गरीबों को अपने सगे-संबंधियों के शव कंधे पर ढोना पड़ते हैं, जहां चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो यह कैसी समझदारी है कि उस परियोजना पर पैसा खर्च किया जाए जिससे गरीबों को कोई फायदा होने वाला ही नहीं है।
बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि वह सभी को स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराएंगी। लेकिन हकीकत ये है कि चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में भारत अभी बांग्लादेश से भी पीछे है। इस मामले में बांग्लादेश का नंबर 88 है जबकि भारत 112वें नंबर पर है। 2015 में दी सरकार ने पैसे की कमी का हवाला देकर चिकित्सा सुविधा देने वाले कार्यक्रम को ही खत्म कर दिया था। ध्यान रहे कि इस कार्यक्रम का बजट बुलेट ट्रेन की लागत से महज 25 फीसदी ही ज्यादा था।
सरकार या भक्त ये तर्क दे सकते हैं कि बुलेट ट्रेन तो जापान से मिलने वाले कर्ज से शुरु की जा रही है, लेकिन यह पैसा तो ब्याज सहित वापस करना पड़ेगा। और इस सबका बोझ हमारी-आप की जेब पर ही पड़ेगा।
मोटा-मोटी हिसाब लगाएं तो जापान इस ट्रेन के लिए ₹ 88000 करोड़ दे रहा है। और इस पर 0.1 फीसदी का ब्याज लगेगा। अगर जोड़ें तो इस कर्ज की ईएमआई यानी मासिक किश्त ₹150.37 करोड़ और साल भर की किश्तें ₹1804.4 करोड़ होंगी।
यह भी तर्क दिया जा सकता है कि 2017-18 का जो हमारा बजट है उसमें अनुमान लगाया गया है कि टैक्स की मद से ₹19.12 लाख करोड़ की आमदनी होगी और यह रकम तो इस बजट का महज 0.09 फीसदी ही होगी। लेकिन यह टैक्स आएगा कहां से, हमारी आपकी जेब से ही। और अगर अकेले तेल पर हमसे वसूले जा रहे टैक्स की बात करें तो सरकार हमसे करीब ₹ 3.4 लाख करोड़ वसूलेगी। तो इस बात भुलावे में रहने की जरूरत नहीं है कि आपके लिए सरकार कुछ काम कर रही है। दरअसल सरकार या फिर प्रधानमंत्री अपने सपनों के लिए आपके पैसों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अब अगर इस मुद्दे पर आएं क्या बुलेट ट्रेन की यात्रा, हवाई यात्रा के मुकाबले बेहतर विकल्प हो सकती है? तो समझ लें, पहली बात यह है कि हवाई यात्रा में दुर्घटना दर ट्रेन दुर्घटनाओं से बहुत कम है। देश में आखिरी हवाई दुर्घटना 22 मई, 2010 को हुई थी, जिसमें 158 यात्रियों की जान गई थी। दूसरी यह कि हवाई यात्रा और बुलेट ट्रेन लगभग बराबर होती है। वैसे भी, वह लोग जो बुलेट ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं, वे हवाई यात्रा ही पसंद करेंगे, क्योंकि अगर फ्रांस का उदाहरण लें तो वहां बुलेट ट्रेन और हवाई यात्रा में वक्त और पैसा बराबर ही लगता है।
वैसे नाम के लिए बुलेट ट्रेन बड़ी चीज़ हो सकती है, लेकिन भारत की आर्थिक हालत के मद्देनजर इससे देश पर बोझ बढ़ने के सिवा कुछ और होने वाला नहीं है। जिस देश में भारी तादाद में किसान आत्महत्या कर रहे हों और युवा बेरोजगार हों, वहां बुलेट ट्रेन नहीं रोजगार चाहिए।
इस बीच बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी बुलेट ट्रेन को लाल झंडी दिखा दी है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र दैनिक ‘सामना’ में इस परियोजना की आलोचना करते हुए कहा है कि ये देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महंगा सपना हैं। शिवसेना ने ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ में कहा कि बुलेट ट्रेन बनानी वाली जापानी कंपनी कील से लेकर ट्रैक और तकनीक तक सब कुछ अपने देश से लानी वाली है। यहां तक काम करने के लिए मजदूरों को भी जापान से ही लाया जाएगा। जमीन देने वाले किसानों को भी नौकरी देने का विरोध जापानी कंपनी ने किया है। इसका मतलब यह है कि जमीन और पैसा गुजरात और मुंबई से आएगा और पूरा मुनाफा जापान लेगा। लूट और धोखाधड़ी के बावजूद इस परियोजना के लिए प्रधानमंत्री मोदी को सभी लोग बधाई दे रहे हैं। सामना के जरिए शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी पर एक और तीर छोड़ा है। सामाना में लिखा है कि गुजरात में चुनाव जल्द होने वाला है, इसलिए व्यापारी वर्ग को नया कुछ तो देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरूआत की है।
शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में कई परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं। मुंबई कर्ज के बोझ से दबा हुआ है, लेकिन मुबंई को अधर में रखकर बुलेट ट्रेन बिना मांगे दी जा रही है।
दूसरी तरफ गुजरात के किसानों ने भी इस परियोजना का विरोध किया है।
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Published: 14 Sep 2017, 11:50 PM