बहुत याद आएंगे नीलाभ मिश्र...
उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अनेक महत्त्वपूर्ण लेख और रिपोर्ट लिखीं जिनमें से एक रिपोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के खाद्य सुरक्षा के केस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एक ऐसे समय में नीलाभ मिश्र का अचानक मात्र 57 वर्ष की आयु में चले जाना बहुत त्रासद है जब पहले ही मीडिया में न्याय और सामाजिक सरोकार के स्वर कमजोर होते जा रहे हैं। वे नेशनल हेरल्ड के संपादक थे। उन्हें मीडिया में उनके अनेक मित्र तो बहुत याद करेंगे ही, पर शायद इससे भी अधिक उनके मित्र सामाजिक संगठनों और लोकतांत्रिक अधिकारों के संगठनों में मौजूद हैं। उन्होंने और कविता श्रीवास्तव ने सामाजिक सरोकारों के अनेक बड़े मुद्दों पर महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अनेक महत्त्वपूर्ण लेख और रिपोर्ट लिखीं जिनमें से एक रिपोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के खाद्य सुरक्षा के केस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद के वर्षों में लेखक और रिपोर्टर के स्थान पर उनकी संपादक की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई। उन्होंने हिंदी आऊटलुक और नेशनल हेरल्ड के संपादक के रूप में कार्य किया। हिंदी और अंग्रेजी आऊटलुक में दोनों भाषाओं में वे स्तंभ लिखते रहे। दोनों भाषाओं पर उनका समान अधिकार था।
वे राजस्थान के नागरिक स्वतंत्रता के आंदोलन से विशेषकर पीयूसीएल से नजदीकी तौर पर जुड़े रहे। वे राजस्थान के कई महत्त्वपूर्ण जन संगठनों जैसे मजदूर किसान शक्ति संगठन के भी बहुत नजदीकी रहे।
स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें हमसे ऐसे समय छीन लिया जबकि उनकी प्रतिभाओं को अभी बहुत निखरना था व समाज को उनकी बहुत सी मूल्यवान देन और उपलब्ध होनी शेष थी। कठिन परिस्थितियों में सामाजिक प्रतिबद्धताओं को निभाते रहने की उनकी क्षमता को हार्दिक श्रद्धांजलि।
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