विष्णु नागर का व्यंग्य: न तो प्रधानमंत्री जी झूठ बोलते हैं, न उनके पार्टी के कार्यकर्ता, बस उन्हें...!
प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं तो निश्चय ही सच कह रहे होंगे क्योंकि उनकी छवि वैसे भी हमेशा से 'सत्य वक्ता' की रही है। इस छवि में सेंध लगाने की बहुत कोशिश की गई मगर किसी को सफलता नहीं मिली।
सोशल मीडिया पर पढ़ा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि न तो मैं झूठ बोलता हूं, न मेरी पार्टी के लोग झूठ बोलते हैं। यह तो बहुत ही अच्छी खबर है बल्कि पिछले एक दशक की सबसे धमाकेदार खबर है। इसे तो ' द टाइम्स ऑफ इंडिया', 'नवभारत टाइम्स', 'दैनिक भास्कर' सहित सभी समाचार पत्रों को उस दिन की लीड खबर बनाना चाहिए था। बेईमानी की गई, नहीं बनाया गया। मैं इसकी घोर निंदा करता हूं। अगर मैं संयोग या दुर्योग से आज कहीं संपादक हुआ होता और संपादक न सही, चीफ सब एडिटर भी हुआ होता तो मेरे परिवारजनों, चाहे सुनामी आ जाती, चाहे भूकंप में हजारों लोग मारे जाते मगर लीड खबर मैं इसे ही बनाता। अब अखबार छपते हैं मगर संपादकों को लीड खबर की समझ नहीं रही। हर दिन प्रधानमंत्री जी का हर सड़ा-गला भाषण फ्रंट पेज पर छापते हैं मगर इतनी बड़ी बात उन्होंने कही, इतनी बड़ी खबर उन्होंने दी और उसे ऐसे पी गए, जैसे खबर न हो, दारू का पैग हो!
मुझे तो गहरा संदेह है कि सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री जी के इस कथन को किसी नेक इरादे से प्रचारित नहीं किया गया बल्कि उनकी हंसी उड़ाने के 'अपवित्र उद्देश्य' से, प्रधानमंत्री जी को 'झूठों का मसीहा ' साबित करने के लिए किया गया है, जो कि अटल जी के शब्दों में कहूं तो अच्छी बात नहीं है।
प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं तो निश्चय ही सच कह रहे होंगे क्योंकि उनकी छवि वैसे भी हमेशा से 'सत्य वक्ता' की रही है। इस छवि में सेंध लगाने की बहुत कोशिश की गई मगर किसी को सफलता नहीं मिली। वे गांधी जी के प्रदेश गुजरात से आते हैं, जहां वे 2002 से ही झूठ बोलना पाप घोषित कर चुके हैं। उन्होंने तब से झूठ बोलना छोड़ा तो आज तक छोड़ रखा है, इसीलिए तो वे यह कहने का 'साहस' कर सके कि न तो मैं झूठ बोलता हूं,न मेरी पार्टी के लोग झूठ बोलते हैं! उन्हें यह सफाई देनी पड़ी, यह हमारे लिए शर्मिंदगी की बात है। नहीं प्रधानमंत्री जी, मुझे पूरा विश्वास है कि आप सच बोलते हैं और सच के सिवा भी सच ही बोलते हैं।
वैसे भी आपके पास, आपकी पार्टी के पास आज सत्ता है, आपको झूठ बोलने की जरूरत भी क्या? झूठ तो विपक्ष के लोग बोलते हैं, जिनके पास आपको पता है, 'झूठ की मशीन' है। यह आपकी 'महानता' है कि उसे आज तक आपने जब्त नहीं करवाया। उनके पास रहने दिया कि बोलो जितना झूठ बोल सकते हो, बोलो। झूठ बोलो, झूठ बोलो, झूठ बोलो। जीत तो अंततः 'सत्य' की होगी और गोदी मीडिया सच ही बताता है, सच आपके साथ है। सच हमेशा सत्ता के साथ होता है। वैसे भी आप चाल, चरित्र माशाअल्लाह आपका चेहरावाले लोग हैं और क्या ही खूब चेहरा पाया है आपने वरना आपके लिए क्या मुश्किल था! फ़ौरन मशीन जब्त करवाते और ए के -47 की तरह आप खुद धड़ -धड़ आप खुद झूठ बोलना शुरू कर देते मगर आपने ऐसा नहीं किया। सच्चरित्र जो हैं आप!
मगर प्रधानमंत्री कितना ही सच्चरित्र हो, कितना ही सत्यवादी हो, उसे आज अगर देश चलाना है तो झूठ बोलने का दायित्व भी सबसे अधिक उसे ही निभाना पड़ेगा। केवल सच बोलना खतरनाक है। यह देश हित और हिंदुत्व के हित में नहीं है, इसे प्रधानमंत्री जी आपसे बेहतर कौन जानता है! अच्छा होता, आप स्पष्ट रूप से कह देते कि वैसे तो मैं सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और महात्मा गांधी की परंपरा का हूं मगर देशहित में झूठ बोलना पड़ा तो एक बार क्या, सौ बार और हज़ार बार भी बोलूंगा! उत्तर प्रदेश में बोलूंगा, महाराष्ट्र में बोलूंगा, अमेरिका हो या जापान, हर जगह, हर दिन झूठ बोलूंगा और झूठ के अलावा भी झूठ ही बोलूंगा। देश से बड़ा मेरे लिए कुछ नहीं है।
जनता ने तीसरी बार यह सोच कर आपको देश की बागडोर सौंपी है कि यही एक आदमी है, जो झूठ बोलने सहित सभी जिम्मेदारियां संभालने में पूर्णतया सक्षम है, इसलिए आप कृपया झूठ बोलें और बार -बार बोलें। जनता का भरोसा मुश्किल से हासिल होता है, उसे टूटने न दें। जयश्री राम कहने का मौसम चला जाए तो जय जगन्नाथ कहने में संकोच न करें !झूठ बोलें और अपनी पार्टी के लोगों को भी इसकी इजाज़त दें। झूठ की हमें ऐसी बुरी आदत पड़ चुकी है महोदय कि इसके बगैर अपना देश, अपना देश नहीं लगता!
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