विष्णु नागर का व्यंग्य: 'लिंकिंग-बिजनेस' के मास्टर-माइंड हैं मोदी, उन्होंने बताया कि सरकार क्या होती है!

अगर जनता ने 2024 में मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बना दिया तो घर के अंदर नित्यकर्म को शायद बख्श दिया जाए मगर सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करने की जरूरत पड़ी तो आधार कार्ड को उससे लिंक करवाना होगा।

फोटो: सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

मोदी जी 'लिंकिंग-बिजनेस' के मास्टर-माइंड हैं। इसको उससे, उसको इससे लिंक करवाते रहते हैं। उन्हें इसमें बहुत आनंद आता है। इधर लोग लिंकिंग करने-करवाने में उलझे रहते हैं, उधर वे और उनकी मंडली देश चलाने के नाम पर मौज मारती रहती है। इनके आने के बाद हिंदू धर्म, हिंदुत्व से लिंक्ड हुआ। हिंदुत्व; गोहत्या, लव जिहाद, धर्म परिवर्तन, हिजाब, बढ़ती जनसंख्या आदि-आदि से लिंक्ड हुआ। मुसलमान अतीत और आज के भारत की सारी बुराइयों से लिंक्ड हुए। ये तो लिंकिंग-बिजनेस का केवल एक रूप है। इसका एक और रूप आधार कार्ड लिंकिंग है। एक तो हर आदमी के पास आधार कार्ड होना चाहिए। आधार कार्ड नहीं, यानी आदमी, आदमी नहीं, औरत, औरत नहीं। वह कुत्ता या बिल्ली या चूहा या छिपकली है। कल ये भी आधार कार्ड से जोड़ दिए गए तो मनुष्य की गति कुत्ता-बिल्ली-चूहा, छिपकली से भी बदतर हो जाएगी!

पहले आधार कार्ड बनवाने के लिए दौड़ो। दौड़ते रहो, दौड़ते रहो। दस्तावेज़ पर दस्तावेज़ देते रहो। इसके बाद सरकार अगर संतुष्ट हो जाए कि यह आदमी अब काफी थक चुका है, इसे समझ में आ गया है कि सरकार क्या होती है, तब शायद आधार कार्ड बन जाए या बनते-बनते लटक जाए! फिर जगह-जगह बायोमेट्रिक कराते रहो, कराते रहो। आधार कार्ड बनेगा तब, जब किसी के पास मोबाइल नंबर होगा। यानी मोबाइल खरीदने, उसे चार्ज और रिचार्ज करवाने के पैसे होंगे। अगर मोबाइल का नंबर बदल गया, पता बदल गया, तो गया, आधार कार्ड पानी में।फिर दौड़ो। फिर हांफो। फिर बनवाओ। बुढ़ापे में हाथ की उंगलियों की छाप मिट गई हो तो मरते दम तक लंगड़ाते रहो, भागते रहो।


सब हो गया, आधार कार्ड बन गया तो इसे कभी, इससे तो कभी उससे लिंक करवाते रहो। कभी इसके ताऊ से, कभी उसकी चाची से इसे लिंक करवाते रहो। चाचा-चाची, ताऊ-ताई सबकी लिंकिंग हो जाए तो फूफा-फूफी को लिंक कराओ। एक बार लिंकिंग की यह बीमारी पाल ली, तो नई-नई रिश्तेदारियां निकलती जाएंगी। लिंकिंग की यह बीमारी शुगर की बीमारी से कम नहीं है, जो चाहो, खाकर देख लो, शुगर जाएगी नहीं और नये-नये रोगों का प्रजनन करती रहेगी‌।

अगर जनता ने  2024 में मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बना दिया तो घर के अंदर नित्यकर्म को शायद बख्श दिया जाए मगर सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करने की जरूरत पड़ी तो आधार कार्ड को उससे  लिंक करवाना होगा। इंटरनेट कनैक्शन खराब हुआ तो बाहर लाइन में खड़े रहो। इंटरनेट आ गया जल्दी तो ठीक वरना निकासी के लिए सड़क किनारे कोई जगह ढूंढो।अगर किसी बच्ची या स्त्री को जरूरत पड़े तो आधार कार्ड से लिंकिंग और इंटरनेट कनैक्शन कुछ काम नहीं आएगा, सड़क काम नहीं आएगी। पड़ोसी होगा नहीं, वह भी काम नहीं आएगा!


छप्पन इंची, भले चीन से घुसपैठ को लिंक न कर पाए मगर हमें सबकुछ को सबकुछ से लिंक करना है। वह शुभ दिन भी आएगा, जब 250 ग्राम आटा खरीदने पर दुकानदार आधार कार्ड मांगेगा और दया करके, माल बेचने के लालच में उसने बिना आधार कार्ड के आटा दे दिया और वह पकड़ जाएगा तो और आप भी। दोनों जेल की हवा का लुत्फ उठाएंगे! राशन कार्ड, आधार कार्ड जुड़ ही चुका है। नो आधार, नो राशन। बैंक में खाता खोलो, तो आधार। एलपीजी सिलेंडर लो, तो आधार। रेल की सीट बुक कराओ, तो आधार। हवाई अड्डे जाओ, तो आधार। राज्य सरकार की किसी योजना से जुड़ना है, तो आधार। किसी धर्मशाला,किसी होटल में ठहरना है, तो आधार। वोटर कार्ड बनवाना है, तो आधार। सरकार निराधार चल सकती है, आधार का डाटा पांच सौ रुपये में बिक सकता है मगर बिना आधार कार्ड आदमी अब सांस भी नहीं ले सकता!जैसे जब आधार नहीं था, उससे लिंकिंग नहीं थी, तब आदमी, आदमी नहीं थे, बंदर थे। हमारे जीवन का बेहतर हिस्सा बिना आधार कार्ड के बीता। खराब हिस्सा इससे, उससे लिंक कराते बीत रहा है। और हां मरें तो आधार कार्ड साथ ले जाना न भूलें। एकदम पक्का है, ऊपर भी आधार से लिंक्ड है।

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