विष्णु नागर का व्यंग्य: महामानव को शिकायत, लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं!
आप अपना मज़ाक उड़वाने का नया मसाला लेकर आ गए। गुजरात में आप कह आए कि हम अगले एक हजार साल के विकास की तैयारी कर रहे हैं।
अभी सोमवार को माननीय रोते हुए पाए गए कि लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं। बिलकुल उड़ाते हैं और रोज उड़ाते हैं, बल्कि पल -पल उड़ाते हैं और उड़ाना भी चाहिए और आगे भी उड़ाते रहेंगे। यह उनका लोकतांत्रिक दायित्व है और अधिकार भी कि लोग अपने शासकों को उनकी बुद्धि और ताकत की सीमाएं समय- समय पर बताते रहें, उन्हें उनकी असली जगह दिखाते रहें। वे इशारे में न समझें तो उनका कान पकड़ कर उन्हें समझाएं, बताएं, ताकि वे सत्ता पाकर इतने मदमस्त न हो जाएं कि लोगों के सिर काटते जाएं और लोग चुपचाप कटवाते जाएं। वे झुकाते जाएं और लोग झुकते जाएं। वे खरीदें और लोग बिकते जाएं। वे लोगों को दंगाई बनाएं, हत्यारा बनाएं और लोग बनते जाएं।
जहां तक आपका मजाक उड़ाने का सवाल है महोदय, हम आपका मज़ाक अपने आप नहीं उड़ाते, इसका इंतजाम तो आप खुद करते रहते हैं। अपना मज़ाक़ आप खुद उड़वाते रहते हैं। हास्यास्पदता का आपका एक लंबा इतिहास रहा है, उस क्रम में अभी लोकसभा चुनाव के समय भी आपने अपने आपको नान बायोलॉजिकल बताकर मजाक उड़ावाया था! आपका मज़ाक़ इतना उड़ा, इतना उड़ा कि आज तक उड़ता ही जा रहा है,नीचे आने को तैयार ही नहीं। यह आपसे जूं की तरह चिपक गया है। लोगों ने अब आपका नामकरण ही 'नान बायोलॉजिकल' कर दिया है मगर इससे भी आपको संतोष नहीं हुआ। आप अपना मज़ाक उड़वाने का नया मसाला लेकर आ गए। गुजरात में आप कह आए कि हम अगले एक हजार साल के विकास की तैयारी कर रहे हैं। सोचिए एक हजार साल के विकास की तैयारी? किसे कहते हैं एक हजार साल? कौन जानता है अगले दस साल बाद क्या होगा और ये चले हैं अगले एक हजार साल के विकास की बात करने? जिन्हें इसका ठीक- ठीक पता नहीं कि दो या चार महीने बाद ये खुद सत्ता में रहेंगे या नहीं रहेंगे, वे एक हजार साल की बात करने चले हैं! जिसकी कल्पना करना आज वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, लेखकों-कलाकारों के लिए भी लगभग असंभव है, उस रास्ते पर ये बुद्धिविरोधी जी सरपट दौड़े चले जा रहे हैं! जहां न पहुंचे रवि, वहां नान बायोलॉजिकल पहुंच रहे हैं! बुद्धि जैसी कोई चीज़ भी दुनिया में होती है या नहीं? शायद नहीं होती होगी वरना कौन ऐसी बात करता है?
महाशय ये बात किसी रैली में कहकर नहीं आए हैं बल्कि, वैश्विक अक्षय ऊर्जा सम्मेलन में विशेषज्ञों के बीच यह ज्ञान बघारकर आए हैं। जो हास्यास्पद होता है, उसे पता नहीं चलता कि वह कितना अधिक हास्यास्पद हो चुका है। वहां विदेशी इन पर कितने हंसे होंगे?इनके अपने अफसर और मंत्री भी मन ही मन हंसे होंगे। कुछ हंसने के लिए पेशाब करने के बहाने बाहर चले गए होंगे। किसी ने मुंह के आगे रूमाल रख लिया होगा। कुछ एक- दूसरे को देखकर मुस्कुराए होंगे। बाहर आकर उन्होंने खूब ठहाके लगाए होंगे।
इतिहास में इतना 'बुद्धिमान 'शासक मुझे एक ही याद आता है और वह था हिटलर, जिसने इनकी तरह हास्यास्पदता की आखिरी हदों को छूते हुए ऐसी ही बात कही थी! वह जर्मन राष्ट्रीयता को पूर्णता तक पहुंचाने के लिए एक हजार साल तक राज करने का सपना देख रहा था मगर बेचारा बारह साल में ही धराशाई हो गया। जीवन के इस पार से उस पार चला गया। अपनी जान खुद लेने के लिए वह बाध्य हो गया। जिसने अपने देश और जर्मन जाति को तबाह कर दिया, वह और उसकी मूर्खता आपका आदर्श कैसे हो सकती है महामानव जी! वैसे भी यह भारत है और यह इक्कीसवीं सदी का सन् 2024 है। भूलिए मत आपकी पार्टी का अकूत पैसा और अकूत झूठ भी आपको 240 सीट से आगे नहीं पहुंचा पाया। हरियाणा के चुनाव में इन दिनों आपके उम्मीदवारों को गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा है। महाराष्ट्र का चुनाव बाद में होगा मगर वहां भी हालत बहुत पतली बताई जा रही है। और आप एक हजार साल के विकास का नक्शा बना रहे हैं! दस साल बाद ही जिससे लोग ऊब गए हैं, वह एक हजार साल के विकास की बात करे, यह क्या कम हास्यास्पद है! जो झूठ और नफरत के सिवाय कुछ नहीं जानता, जो सड़क तथा पुल तक ढंग के बनवा नहीं पाया, जिसके बनाए संसद भवन में पानी चूता है, वह एक हजार साल बाद के विकास की योजना बना रहा है! अरे भाई अभी तो अपने सुरक्षित रिटायरमेंट की योजना बना लो, इतना ही काफी है। फिर ये सब फालतू की बातें फुर्सत में गप लड़ाने और हंसने -हंसाने के लिए करते रहना! आपकी ये खामखयाली, ये चुटकुलेबाजी तब कोई नहीं छापेगा। आनेवाले आपको सुखी रहने दें तो सुखी रहना और हम भी रहने देना।
कुछ सोचा करो माननीय आज आप दुनिया में 140 करोड़ जनता के प्रतिनिधि हो। एक प्राचीन देश की विरासत संभाल रहे हो। एक ऐसे मुल्क के प्रतिनिधि हो, जिसने अंग्रेज़ों की गुलामी की जंजीरें दुनिया में सबसे पहले तोड़ी थीं, जहां महात्मा गांधी और नेहरू जैसे महान नेता हुए हैं, साहित्य, विज्ञान और संस्कृति आदि की अनेक महान हस्तियां हुईं हैं, वहां इस तरह की बातें करके अपने साथ हम भारतीयों को भी हास्यास्पद मत बनाओ। अगले एक हजार साल में एक से एक प्रखर और एक से एक मूर्ख पैदा होंगे,एक से एक जवाहरलाल नेहरू और एक से एक नरेन्द्र मोदी पैदा होंगे, उन्हें उनका काम करने दो। अपनी अकल पर इतना भरोसा मत करो कि वे आपकी अकल पर भरोसा करके आगे बढ़ेंगे या पीछे हटेंगे। इतिहास की किताबों के हास्यास्पद चरित्रों में अपना नाम मत लिखवाओ। भविष्य के हास्यास्पदों के लिए भी कुछ काम छोड़कर जाओ। उनको तो बेरोजगार मत बनाओ! और बोलो- जय जगन्नाथ!
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Published: 22 Sep 2024, 8:00 AM