विष्णु नागर का व्यंग्य: देशद्रोह से कम नहीं अवतारी पुरुष, भगवान जैसे पीएम से सवाल पूछना!
सबको बार-बार बताया जा चुका है कि आप यहां सवाल पूछते हो और वहां पाकिस्तान में पटाखे चलने लगते हैं। दीवाली मनने लगती है। फिर भी आप सवाल दर सवाल पूछते चले जाते हो! आपको शर्म नहीं आती? पढ़ें विष्णु नागर का व्यंग्य।
इस देश की सरकार ने फिलहाल सवाल पूछने की जो सुविधा आपको कृपापूर्वक दे रखी है, उसका दुरुपयोग न किया करें। क्या आप चाहते हैं, ये सुविधा आपसे छीन ली जाए? क्या आपको यह मालूम नहीं कि इसे छीनने में सरकार बहादुर को दो मिनट भी नहीं लगेंगे? क्या आपकी भी दिली इच्छा यही है? अगर नहीं है तो जनहित और राष्ट्रहित में इस सरकार से सवाल पूछना बंद कीजिए। जब देखो, तब सवाल, जहां देखो, वहां सवाल। संसद में सवाल। अदालत में सवाल। प्रेस कांफ्रेंस में सवाल। सोशल मीडिया पर सवाल। सड़क पर सवाल। नुक्कड़ पर सवाल। मुंह के सामने सवाल। पीठ पीछे सवाल। देश में सवाल, विदेश में सवाल। सुबह उठो तो सवाल। रात में सो ओ तो सवाल। ऊपर से काम करो 18 -18 घंटे! और इस पर भी सवाल! सवाल ही सवाल। ये भारत है या सवालिस्तान? तुम सवाल पूछते हो, उनकी तपस्या अधूरी रह जाती है। फिर वे तपस्या करते हैं, फिर तुम सवाल दाग देते हो!
सबको बार-बार बताया जा चुका है कि आप यहां सवाल पूछते हो और वहां पाकिस्तान में पटाखे चलने लगते हैं। दीवाली मनने लगती है। फिर भी आप सवाल दर सवाल पूछते चले जाते हो! आपको शर्म नहीं आती? देश का, प्रधानमंत्री का, सरकार का, इस तरह अपमान होते हुए देखना आपको अच्छा लगता है? अगर अच्छा लगता है तो 2014 में ही आपको पाकिस्तान जाने का ऑफर दे दिया गया था। चले जाते! अब चलें जाओ और वहां जाकर, वहां की सरकार से जितने सवाल पूछना हो, पूछो। हम आपको रोकेंगे नहीं। ये हमारी गारंटी है।
आप अच्छी तरह जानते हो कि आप हमसे सवाल पूछोगे तो भी जवाब नहीं मिलेगा। मिलेगा तो आयबांयशांय जवाब मिलेगा। उत्तर की पूछोगे तो दक्षिण पर, पूरब की पूछोगे तो पश्चिम पर जवाब मिलेगा। गांधी पर पूछोगे तो सावरकर पर जवाब मिलेगा। 2019 पर पूछोगे तो 1964 पर जवाब मिलेगा। महंगाई पर सवाल पूछोगे तो सरकार की उपलब्धियों पर जवाब मिलेगा। और सही सवाल पर जवाब मिल भी गया तो वह कुछ इस तरह होगा कि जनहित और राष्ट्रहित में इस संबंध में जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। यह उद्घाटन, वंदन, हरी झंडी दिखावन सरकार है। यह ईडी-सीबीआई सरकार है। यह भाषण-आश्वासन सरकार है। इसके पास इतना समय कहां कि सवालों के जवाब देती फिरे? देशभक्त जनता तो इतनी अधिक देशभक्त होती है कि सवाल नहीं पूछती, बस वोट देती है। देशविरोधियों को सरकार जवाब क्यों दे?
और सवाल पूछने का इतना ही शौक है तो गांधी जी से पूछो सवाल कि बापू, जब अंग्रेजी हुकूमत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसी राष्ट्रवादी संस्था अंग्रेजों से सवाल नहीं पूछ रही थी, मुगलों से, मुसलमानों से सवाल पूछ रही थी तो किस अधिकार से आपकी कांग्रेस, भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान कर रही थी? एक बार भी ऐसा करने से पहले आपने नागपुर जाकर संघ से विचार -विमर्श किया था? 'बौद्धिक' का लाभ लिया था?
क्या नमक जैसी मामूली चीज के लिए सत्याग्रह करना शोभनीय था? विदेशी कपड़ों की होली जलाना क्या संस्कारी हिन्दू होने का लक्षण था? वीरों के देश में अहिंसा की बात करना क्या उन्हें कायर बनाने का सुनियोजित षड़यंत्र नहीं था? जब देश आजादी का जश्न मना रहा था तो गांधीजी नोआखली क्यों गए थे? क्या दंगों की आग बुझाना जरूरी है? और सबसे बड़ा सवाल यह कि अपने वध के लिए क्या वह स्वयं जिम्मेदार नहीं थे? गोडसे को इसका जिम्मेदार बताना क्या उचित था? कांग्रेस को इसके लिए देश की जनता से माफी मांगना चाहिए।
'मुसलमान' नेहरू जी से तो पिछले साढ़े नौ सालों से हम सवाल पूछ रहे हैं मगर वह एक का भी जवाब नहीं दे पाए। और पूछिए सवाल अंबेडकर जी से कि उन्होंने हिंदू राष्ट्र के सिर पर यह संविधान क्यों ला पटका? और भी पीछे चलते हैं, बाबर से पूछो सवाल, उसकी औलादों से पूछो सवाल ? हमसे क्यों पूछते हो? हम ऋषि -मुनियों की संतानें हैं, राणा प्रताप और शिवाजी की संतानें हैं। हम देशभक्त हैं। हम सवालों-जवाबों के लिए नहीं बने हैं!
तुमने कभी पत्थर से पूछा कोई सवाल और उसने जवाब दिया? तुमने ईश्वर से कभी सवाल पूछा या उनसे केवल उनसे प्रार्थना की? और तुम्हारी प्रार्थना मंजूर नहीं हुईं तो उनके विरुद्ध तुम कुछ कर पाए? तुमने अंत में यही कहा न, कि प्रभु की मर्जी! उनकी मर्जी चल सकती है, हमारी नहीं?
और तुम बेशर्मों, तुम 'युगपुरुष' से सवाल पूछते हो? भगवान विष्णु के ग्यारहवें अवतार से सवाल पूछते हो? शर्म करो, शर्म! और सरकार के रास्ते से परे हटो, बदतमीज, राष्ट्रविरोधी!
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