विष्णु नागर का व्यंग्य: हर मसले को सीधा-सरल बनाने की विधि सीखें संघ-बीजेपी वालों से!
कर्नाटक बीजेपी के नेता केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि जो मुसलमान कांग्रेस के साथ हैं, वे ‘हत्यारे’ हैं और जो हमारी पार्टी के साथ हैं, वे ‘अच्छे मुसलमान’ हैं। अगर आइंस्टीन होते तो ज्ञान के लिए उनके पास आते!
संघियों और बीजेपी वालों में एक बहुत बड़ी खूबी है कि वे जार्ज बुश की तरह हर चीज, हर मसले को बहुत ही सीधा-सरल बना देते हैं। टेढ़ापन उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं और जटिलता से उन्हें उतनी ही नफरत है, जितनी मुसलमानों से है। ऐसे संघी-बीजेपी वाले बहुतेरे हैं जो हर दिन टीवी और अखबारों में सादर उपलब्ध होते हैं। मगर हम ताजा उदाहरण से काम चला रहे हैं। कर्नाटक के बीजेपी के एक बड़े नेता केएस ईश्वरप्पा हैं। केएस ईश्वरप्पा नाम तो बड़ा अच्छा है। वह खुद कितने सरल या कठिन हैं, हमें नहीं मालूम मगर भैया साहब ने अभी-अभी बुश-मोदी-ट्रंप टाइप एक बहुत ही सरल सी बात कही है। इतनी सरल कि जो मुसलमान कांग्रेस के साथ हैं, वे ‘हत्यारे’ हैं और जो हमारी पार्टी के साथ हैं, अच्छे मुसलमान हैं।
अगर आइंस्टीन आज होते तो शायद ईश्वरप्पा साहब के पास आते कि भैया जी मुझे भी कोई ऐसा फार्मूला बता दो कि मैं रिलेटिवेटी (आपेक्षिकता) के सिद्धांत को इतने सरल शब्दों में पेश कर सकूं। ईश्वरप्पा उनसे कहते कि पहले मेरे पांव छुओ, फिर दिल्ली जाकर मोदी जी के पैर छुओ, फिर वहां से नागपुर चले जाना, मोहन भागवत साहब को दंडवत कर आना और हां, ध्वज प्रणाम करना मत भूलना। भारत को ‘जगद्गुरू’ जरूर कहके आना, तब आगे बताऊंगा। गुरुज्ञान ऐसे ही नहीं मिलता, समझे बच्चा।
अब आइंस्टीन साहब इतने विनम्र हो पाते या नहीं, नहीं मालूम। अगर मान लो हो जाते तो एस ईश्वरप्पा साहब उनसे कहते कि बच्चा अब सचमुच ही तू अपना सच्चा कल्याण चाहता है तो जा सीधे संघ में भर्ती हो जा और फिर प्रोग्रेस करके बीजेपी में आ जाना, तब तक तू सारी रिलेटिविटी-फिलेटिविटी भूल जाएगा, हमारे काम का बन जाएगा। और अगर ये भूल गया तो फिर तेरे लिए कठिन क्या रह जाएगा? जैसे हम ‘जगद्गुरु’ होकर भी नहीं जानते कि यह रिलेटिविटी क्या बला है और हां तुम्हारे आने से पहले हमें यह भी मालूम नहीं था कि आइंस्टीन नाम का भी कोई प्राणी इस धरती पर रहता है। यह किसी इंसान का नाम है और विज्ञान भी कोई विषय होता है और वैज्ञानिक भी कुछ होता है। हम तो भैया पहले अटल जी और आडवाणी जी को जानते थे और आजकल सिर्फ मोदी जी को जानते हैं,इसलिए हमारे लिए तो सबकुछ सीधा-सरल है।
ऐसा सुनहरा मौका ईश्वरप्पा साहब को मिल न सका। आइंस्टीन जब थे तो ईश्वरप्पा कहीं नहीं थे और जब ईश्वरप्पा और उनके जैसे प्राणी समस्त भारतभूमि में मुक्त विचरण कर रहे हैं, तो आइंस्टीन नहीं हैं। यह पाठक ही तय करें कि यह आइंस्टीन का सौभाग्य था या ईश्वरप्पा का ‘दुर्भाग्य’ है। ऐसा सौभाग्य हमें प्राप्त हो जाता तो फिर बात ही क्या थी। वैसे आइंस्टीन के समय भी केवल ईश्वरप्पा ही नहीं थे, इस तरह के पितामह श्री और पितामह श्री के भी पितामह श्री भी मौजूद थे। वह तो यहूदी होते हुए भी किसी तरह बच गए।
भैया देश के मुसलमानों, अब तुम्हें तय करना है कि तुम ‘हत्यारे’ बनना चाहते हो या ‘अच्छे मुसलमान’। चयन करना तुम्हारे हाथ में है। वैसे जो मुसलमान न बीजेपी के साथ हैं, न कांग्रेस के साथ, वे क्या हैं, यह भी ईश्वरप्पा साहब लगे हाथ बता ही देते तो अच्छा था। वे भी ‘हत्यारे’ ही होंगे क्योंकि जार्ज बुश साहब के फार्मूले के अनुसार तो जो बीजेपी के साथ नहीं है, वह और हो भी क्या सकता है? यह फॉर्मूला फिर मुसलमानों पर ही क्यों, सब भारतीयों पर लागू करिए। मैं कभी बीजेपी के साथ न था, न हूं और न हो सकता हूं। तो मैं भी ‘हत्यारा’ ही हुआ न। हुआ कि नहीं ईश्वरप्पा साहब? बता दो भैया, संकोच क्यों? आपके राज्य के चुनाव आ रहे हैं, ऐसे में संकोच का क्या काम? संकोच हो तो संबित पात्रा साहब से कह दो वरना मुसलमानों का 15 सेकंड में सफाया करने में समर्थ ‘वीर’ राकेश सिन्हा भी हैं वरना अमित शाह तो हैं ही। उन्हें फुर्सत न हो तो मोदी जी तो हैं। अंत में यही कहूंगा कि ईश्वरप्पा साहब आप और आप जैसे समस्त बीजेपी वालों को, आपकी जय हो। ऐसे ही ‘देशभक्तों’ के हाथों में देश रहा तो जरूर सुरक्षित भी रहेगा और विकास भी करेगा और राजस्थान चुनाव जैसे परिणाम भी आते रहेंगे। जय श्री राम, नहीं जी, मोदीजी के आगे राम भी कहां, बोलो- मोदी-मोदी।
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