विष्णु नागर का व्यंग्यः देश को उलझाने में उन्हें मजा आता है, इसलिए झंझट पर झंझट पैदा करते रहेंगे
झंझट तो हम कभी खत्म नहीं करेंगे। यह काम तो हमें इतना प्रिय है कि अगर तुम कहोगे कि झंझट पैदा करो तो यह मत समझना कि इस कारण हम झंझट पैदा करना बंद कर देंगे। हम कोई न कोई नया झंझट, कभी राममंदिर के नाम पर तो कभी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के नाम पर गर्व से पैदा करेंगे।
हम सीएए और धारा 370 से एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।
-सर एक इंच ज्यादा नहीं होता। कम से कम इतना तो हट जाइए।
-कहा न, ज्यादा हो या कम, हम नहीं हटेंगे।
-अच्छा सर,चलिए, छोड़िए। पौन इंच हट जाइए!
-ये पौन इंच क्या होता है जी? एक इंच से कम या ज्यादा?
- एक इंच से कम और आधा इंच से अधिक होता है।
-तो हम पौन इंच भी नहीं हटेंगे।
-इतनी जिद क्या है सर! पौन इंच की ही तो बात है, सिर्फ पौन इंच की। देखिए, इधर देखिए, इतना सा पीछे हटने की बात है, बस इतना सा।
-हमें समझाओ मत, हम पौन क्या, आधा इंच भी नहीं हटेंगे।
-सर आधा इंच तो इतना कम होता है कि इतना हटने के लिए तो जिद्दी से जिद्दी बच्चा भी तैयार हो जाता है। यह इतना कम होता है कि दूसरों को तो क्या, खुद को भी पता नहीं चलता कि हम हटे या नहीं हटे हैं। सच तो यह है कि एक इंच भी हट जाएंगे तो भी किसी को पता नहीं चलेगा।
- नहीं हटेंगे, नहीं हटेंगे।
- अच्छा सर,चलिए सुई की नोक भर हट जाइए।
-सुई की नोक बराबर हटना हमको नहीं आता। दुर्योधन को भी नहीं आता था।
-हम उसको तो क्या सिखाते मगर आप चाहें तो आपको सिखा सकते हैं।
-कहा न, हम नहीं सीखेंगे और नहीं हटेंगे।
-बस सुई की नोक बराबर की बात है सर। सुई खुद कितनी पतली होती है और फिर उसकी भी केवल नोक बराबर की बात है! इतना हटने से आपकी नानी नहीं मरेगी, इसकी गारंटी हम लेते हैं।
-तुम उसकी गारंटी क्या लोगे, मेरी नानी तो पहले ही मर चुकी है।
-बहुत बुरा हुआ सर। दो मिनट का मौन घर जाकर धारण करूंगा। वैसे दादी को भी इससे कोई खतरा नहीं होगा।
-दादी तो हमारे जन्म लेने के एक-दो दिन बाद ही मर चुकी थींं।
-मतलब आपका जन्म लेना उनके लिए अशुभ सिद्ध हुआ। यह तो बहुत बुरा हुआ। खैर। जब दादी और नानी, दोनों ही मर चुकी हैं तो फिर समस्या क्या है?
-समस्या यह है कि हम वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप की संतान हैं।
-तो ये कौन सी बड़ी समस्या है। आप बुद्ध, नानक, गांधी की संतान भी तो हैं?
-तुम हमें सिखाओगे कि हम किसकी संतान बनें, किसकी नहीं? तुम वीरों का अपमान करना चाहते हो?
-हम तो आप का भी सम्मान करते हैं सर, उनका अपमान हम कैसे करेंगे? वह तो आपने कहा न कि वीरों की संतान होना आपकी समस्या है तो हमने उस समस्या के निवारण का एक नन्हा सा सुझाव दे दिया कि आप बुद्ध, नानक, गांधी की संतान बन जाइए।
-समस्या यह है कि हम अपनी हो या पराई समस्या का निवारण नहीं करते। हां, अपनी समस्या को दूसरों की समस्या बना देना जानते हैं और जहां समस्या न हो, वहां पैदा कर देते हैं। मान लो, हमारे पैर में कांटा चुभ गया और कोई आकर कहे कि आपको बहुत तकलीफ हो रही होगी, आइए न, हम यह कांटा निकाल देते हैं, तो नार्मल आदमी निकलवा लेगा और धन्यवाद देगा। हम ऐसा नहीं करेंगे।हम उससे कांटा नहीं निकलवाएंगे और फौरन उसे अंदर करवा देंगे।
वह सोचता रह जाएगा कि उसका क्या कसूर था! उसका कसूर यह था कि उसकी इतनी हिम्मत हो गई कि वह सा... हमारे पैर का कांटा निकालेगा? हम अपने पैर के कांटे को अब उसके जीवन की समस्या बना देंगे। समझे हमारी कलाकारी! अब तुम भी नौ-दो-ग्यारह हो जाओ वरना हमारी समस्या, तुम्हारी समस्या बनने वाली है। तुम अंदर हो जाओगे। आधा-पौन-एक इंच सब भूल जाओगे।
-अच्छा जी, ऐसा है तो फिर मत हटिए। एक सेंटीमीटर भी मत हटिए।
-क्या कहा, मत हटिए? यानी अब तुम हमें बताओगे कि हम नहीं हटें? यानी तुम हमें आदेश दोगे?
-हम आदेश नहीं दे रहे, हम तो आपकी बात दोहरा रहे हैं।
-हम सब समझते हैं, तुम हमें बेवकूफ मत बनाओ, तुम हमें आदेश दे रहे हो। हम अब जरूर हटेंगे और हटकर रहेंगे।
-मगर ज्यादा मत हटना, बस एक इंच हटना।
-अच्छा तुम हमें यह निर्देश दोगे कि हम एक इंच हटें? हम तो एक फुट हटेंगे।
-एक फुट तो बहुत ज्यादा हो जाएगा, सर।
-ज्यादा हो या कम, हम अब हट कर रहेंगे।
-पर पहले तो आप कह रहे थे एक इंंच भी नहीं हटेंगे।
-पहले हम अपने मन की बात कर रहे थे, अब तुम अपने मन की बात हमसे करवाना चाहते हो, इसलिए हम हटेंगे और हटकर रहेंगे। और तुम एक इंच हटने को कहोगे, तो हम एक फुट हटेंगे।
-इतना अधिक मत हटिए सर। आपकी नाक कट जाएगी।
- क्या कहा नाक कट जाएगी? कट जाए। नाक की परवाह कौन करता है?
-तो फिर हट जाइए। झंझट खत्म हो।
-झंझट तो हम कभी खत्म नहीं करेंगे। यह काम तो हमें इतना प्रिय है कि अगर तुम कहोगे कि झंझट पैदा करो तो यह मत समझना कि इस कारण हम झंझट पैदा करना बंद कर देंगे। हम कोई न कोई नया झंझट, कभी राममंदिर के नाम पर, कभी तिरंगा यात्रा के नाम पर, 'कभी गोली मारो ... को' के नाम पर, कभी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के नाम पर गर्व से पैदा करेंगे। हमारी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ झंझट विशेषज्ञों में होती होती है।
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