विष्णु नागर का व्यंग्यः पावर का भी किस्सा अजीब है, मिल जाए तो शरीर अकड़ जाए, न मिले तो भूख बढ़ती जाए!
डॉक्टर ने सब देखा, सुना और कहा कि मेडिकल साइंस में वह पावर नहीं है कि आपकी पावर का इलाज कर सके। आप बाइसवीं सदी में मेरे पास आते तो मैं आपकी मदद कर देता। अभी नहीं। पावर को तुरंत असहायता का बोध हुआ। वह कोलैप्स होते-होते बची।
उसे बहुत पावर चाहिए थी। इतनी पावर, इतनी पावर, इतनी पावर कि पता नहीं कितनी पावर!मिल गई साहब, उसे सारी पावर। इतनी पावर कि शरीर पावर से अकड़ गया। किसी तरह बैठे तो खड़ा न हुआ जाए। खड़ा हो तो बैठा न जाए। खड़ा हो तो चला नहीं जाए। दो आदमी उठाकर चलाएं तो दो कदम बाद हांफ जाए। न बैठाओ तो रोने लग जाए। खाया न जाए, पीया न जाए।बोला न जाए। कुछ पहने तो पहना न जाए, कुछ उतारे तो उतारा न जाए। आगे आप कल्पना कर लीजिए। मुझसे और लिखा न जाएगा।
अब आपके पास पावर है या पावर नहीं है तो भी करना तो सब पड़ता है। उठना, बैठना, चलना, फिरना, मटकना, गटकना, सब। न करो तो पावर चली जाए। आंखों के आगे अंधेरा छा जाए। तो पावर को विचार आया कि डाक्टर को क्यों न दिखा दिया जाए। पावर बुलाए और डाक्टर न आए! डाक्टर कार से आया और कार के अंदर भी दौड़ता हुआ आया। इस तरह वह पल भर में पहुंच गया।
उसने सब देखा, सुना और कहा कि मेडिकल साइंस में वह पावर नहीं है कि आपकी पावर का इलाज कर सके। आप बाइसवीं सदी में मेरे पास आते तो मैं आपकी मदद कर देता। अभी नहीं।पावर को तुरंत असहायता का बोध हुआ। वह कोलैप्स होते-होते बची। बच गई तो उसने कहा, छोड़ो इनको। वैद्य जी को बुलाओ। उन्होंने नाड़ी देख कर कहा, घबराने की कोई बात नहीं।आपके लिए मैंने एक बहुत ही स्पेशल और आप जैसा ही पावरफुल चूरण बनाया है। दिन में तीन बार लें। दसवें दिन आपको खुद फर्क महसूस होगा।
पावर ने कहा, वैद्य जी, आपने ठीक से सुना नहीं। खाना-पीना छोड़ो, मुझसे पादा तक नहीं जा रहा। आप पधारिए। उन्होंने आदेश दिया- ऐ सुनो। वैद्य जी को गेट तक छोड़ आओ। इन्हें फीस मैंने दे दी है। वैद्य जी को तो कम से कम पांच हजार मिलने की उम्मीद थी। बाहर आकर कहा, वह कार कहां है, जो मुझे लाई थी? बताया गया कि जरूरी काम से गई है। पांच घंटे बाद शायद आ जाएगी। वेटिंग रूम में बैठिए। वैद्य जी ने कहा, मगर मुझे फौरन जाना है। मैं जाऊं तो अब जाऊं कैसे। मेरी जेब में तो एक फूटी कौड़ी भी नहीं है। आदेश हुआ कि इन्हें दो फूटी कौड़ियां दे दी जाएं। इसे फीस मान कर वह पैदल ही रवाना हो गए।
अब पावर का आदेश हुआ कि मेरा विमान अमेरिका भेज कर फलां डाक्टर को तुरंत लाया जाए। गया विमान। डाक्टर ने कहा, मैं किसी दूसरे के विमान से कहीं नहीं जाता। अपने विमान से आऊंगा। एडवांस में पांच करोड़ फीस इधर रख दो। फ्यूल भरवा दो। सेवन स्टार में कमरा बुक करवा दो। सब इंतजाम संतोषजनक ढंग से कर दिया गया।
आने पर डाक्टर ने सीधा, उलटा, बांया, दांया, ऊपर, नीचे करवाया। उठाया, बैठाया, लेटाया।कभी नाक में, कभी आंख में, कभी कान में, कभी मुंह में कुछ घुसाया। कुछ आगे, कुछ पीछे भी घुसाया। उसके बाद कहा कि मैं तत्काल आपको न दवा दे सकता हूं, न ऑपरेशन कर सकता हूं। मैं वापिस जाकर अपने प्रेसिडेंट से एप्वाइंटमेंट लूंगा। उनके पास बहुत ज्यादा पावर है। उनसे पूछूंगा कि दुनिया का यह सबसे पावरफुल इनसान सबकुछ मैनेज कैसे कर लेता है। फिर टेलीफोन पर इलाज बताऊंगा।
पावर ने कहा कि वहां जाकर बात करने की क्या जरूरत। रुकिए मैं अभी आपकी बात करवाता हूं। वह मेरे लंगोटिया हैं। हम एक ही स्कूल में पढ़ते थे। एक ही रूमाल से नाक पोंछते थे। अक्सर वह मेरा रूमाल होता था। लगाओ भाई फोन। कहना सीधे साहेब बात करेंगे।
उधर से जवाब आया, प्रेसिडेंट साहब अभी बिजी हैं। वर्ल्ड क्राइसिस मैनेज करने में लगे हैं। अभी तो उनका फोन भी उनके पास आ जाए तो वह अपने से भी बात नहीं कर सकते। पहली फुरसत पाते ही आपसे बात करेंगे।अपना नंबर दीजिए प्लीज। इन्होंने कहा, मेरे बीस नंबर हैं। नोट कीजिए। पहले एक, फिर दो, फिर तीन लगाइएगा। इस तरह ट्राय करते जाइएगा। 18वें पर भी नहीं मिला तो 19 पर मैं जरूर मिल जाऊंगा। कीजिए नोट।
उधर से कड़क आवाज आई- ओय मेरे पास इतना टाइम नहीं होता। कोई एक नंबर हो तो बताओ। उस पर कुल एक बार आपको फोन किया जाएगा। उठाया तो ठीक वरना राम-राम।इधर से भी ठसकती आवाज गई- आपको मालूम है आप किससे बात कर रही हैं? उधर से भी आवाज आई- नंबर बता, नंबर। फिर इधर से कुछ मैं-मैं हुई तो उधर से फोन काट दिया गया।
पावर क्या करती! बोली- तो डाक्टर साहब फिर आप ही अप्वाइंटमेंट लेकर बता दीजिएगा मगर जल्दी। इधर डाक्टर साहब के फोन का कब से इंतजार किया जा रहा है। इधर से फोन मिलाया जाता है, तो उधर से जवाब आता है- रांग नंबर!
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