तमिलनाडु: फिर खुलेगा स्टरलाइट का कॉपर प्लांट, एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी राज्य सरकार

एनजीटी कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें तूतीकोरिन स्थित वेदांता समूह के स्टरलाइट प्लांट को बंद करने को कहा गया था। हालांकि राज्य सरकार ने एनजीटी के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बनाया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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महेन्द्र पांडे

तमिलनाडु को तूतीकोरिन स्थित वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के फिर से खुलने का रास्ता साफ हो गया है। शनिवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को खारिज कर दिया। कई खामियों और मंजूरी नहीं होने के बावजूद एनजीटी ने संयंत्र को संचालन जारी रखने की अनुमति दी है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि स्टरलाइट को बंद करना अन्यायपूर्ण है, और वेदांता लिमिटेड से कहा है कि तीन सालों के दौरान कल्याणकारी योजनाओं पर 100 करोड़ रुपये खर्च करे। तमिलनाडु सरकार ने एनजीटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।

कुछ दिनों पहले ही अंतरराष्ट्रीय अखबार द गार्डियन ने 21 जुलाई को “नाइन एक्टिविस्ट्स डिफेन्डिंग द अर्थ फ्रॉम वायलेंट असाल्ट” शीर्षक से एक खबर प्रकाशित की। इसमें दुनिया के चुनिंदा 9 लोगों की जानकारी है जो लगातार जान जोखिम में डालकर भी पर्यावरण की रक्षा में संलग्न हैं। इसमें भारत से केवल एक नाम है, फातिमा बाबू का। 65 वर्षीया फातिमा बाबू अंग्रेजी की प्रोफेसर रह चुकी हैं और पिछले 24 साल से तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर के विरुद्ध आन्दोलन की अगुवाई कर रही हैं।

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर के विरुद्ध आन्दोलन कर रहे लोगों पर 22 मई को पुलिस ने गोलियां चलाईं और खबरों के मुताबिक़ कुल 13 लोग मौके पर ही मारे गए। फातिमा बाबू के अनुसार आन्दोलन कहीं से भी उग्र नहीं था। आन्दोलनकारियों को अच्छी तरह पता था कि उनके साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं। इतना जरूर था कि भारी पुलिस बल को देखते हुए लाठी चार्ज या आंसू गैस के गोले छोड़े जाने का अनुमान था, इसीलिए महिलाओं को हिदायत दी गयी थी कि वे ऐसे कपडे पहन कर आएं जिससे जरूरत पड़े तो आसानी से भागा जा सके। लेकिन पुलिस की योजना कुछ और थी, वे लोगों को डराना या घायल करना नहीं चाहते थे। वे तो लोगों को मारना चाहते थे। पुलिस ने पूरी भीड़ पर गोलियां दागी। वे आन्दोलन को कुचलना चाहते थे और लोगों को सबक सिखाना चाहते थे कि अगर आवाज उठाओगे तो हम तुम्हे मार देंगे।

  तमिलनाडु:  फिर खुलेगा स्टरलाइट का कॉपर प्लांट, एनजीटी के आदेश के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट जाएगी राज्य सरकार

फातिमा बाबू के अनुसार पूरे विश्व में पर्यावरण प्रहरियों को आतंकवादी का तमगा दिया जा रहा है, लेकिन हम अपने देश के विरुद्ध नहीं हैं। हम तो देशभक्त हैं और केवल इतना चाहते हैं कि केवल लाभ के लिए देश न बेचा जाए। जब फातिमा बाबू से पूछा गया कि तमिलनाडु सरकार के स्टरलाइट कॉपर को बंद करने के आदेश के बाद वो खुश होंगी, तब उन्होंने कहा कि वो खुश नहीं हैं, क्योंकि लोगों की जान की कीमत बहुत भारी है और पुराने अनुभव यही बताते हैं कि उद्योग की बंदी एक नाटक हो सकती है।

यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि 2013 में भी तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के बाद स्टरलाइट कॉपर में ताला लग गया था। बोर्ड के आदेश के खिलाफ जब कंपनी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाए गए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर किया तब ट्रिब्यूनल ने उद्योग के पक्ष में फैसला सुना दिया और तालाबंदी ख़त्म हो गयी। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है, फिर से स्टरलाइट कॉपर ने तालाबंदी के विरुद्ध ट्रिब्यूनल में याचिका दायर किया है। कुछ दिनों पहले तक सुनवाई में उद्योग को कोई राहत नहीं दी गयी, लेकिन तमिलनाडु सरकार ने अपना पक्ष भी नहीं रखा। इसके बाद की सुनवाई में पर्यावरण मंत्रालय और केंद्र के कुछ दूसरे मंत्रालय तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ही पूरे मामले में विलेन बनाने पर तुल गए। अंत में वही फैसला आना था, जिसकी उम्मीद थी।

स्टरलाइट कॉपर तरह-तरह से अपना प्रभाव मजबूत करने का प्रयास कर रहा था। सोशल साइट्स पर हजारों लोगों के बेरोजगार होने का प्रचार किया जा रहा था। मुख्यधारा की मीडिया भी इस प्रचार में कंपनी का लगातार साथ दे रहा था। दरअसल इस तरह के हिचकोले सबके लिए फायदे का सौदा होता है। मीडिया अपना फायदा देखता है, तो दूसरी तरफ राजनैतिक पार्टियों का चंदा बढ़ जाता है।

बड़े-बड़े लोग भी खुलेआम स्टरलाइट कॉपर के समर्थन में सामने आ रहे हैं, लेकिन इन लोगों ने आन्दोलन में मरे लोगों पर एक शब्द भी नहीं कहा। नये बने, लेकिन बड़े उद्योगपति रामदेव इसे अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र बताते हैं। रामदेव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत भोले-भाले स्थानीय लोगों को उद्योग के विरुद्ध खड़ा किया गया। उद्योग तो देश के विकास का मंदिर हैं और इन्हें बंद नहीं किया जाना चाहिए। रामदेव का कथन आश्चर्यजनक नहीं था, वे खुद भी पर्यावरण और प्रदूषण के कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हैं। लेकिन जग्गी वासुदेव, स्वयंभू सद्गुरु, तो पर्यावरण पर लंबे-लंबे भाषण देते हैं, नदियों की सफाई पर रैली आयोजित करते हैं, उन्होंने उद्योग बंद करने को लिंचिंग करार दिया। उनके अनुसार पर्यावरण या प्रदूषण के मामले न्यायालयों में निपटाए जा सकते हैं, लेकिन बड़े उद्योग की हत्या (लिंचिंग) देश के लिए आत्मघाती है।

स्टरलाइट कॉपर का हमेशा यही कथन रहा है कि वह पर्यावरण और प्रदूषण के सारे नियन-कानूनों का पालन करता रहा है। लेकिन जब उद्योग बंद है तब भी उससे सल्फ्युरिक एसिड का रिसाव होने की खबरें आती रही हैं। यह अपने आप में एक औद्योगिक समूह है, जहां वर्तमान में प्रतिवर्ष 400000 टन कॉपर, 1.2 मिट्रिक टन सल्फ्युरिक एसिड और 2.2 मिट्रिक टन फास्फोरिक एसिड का उत्पादन किया जाता है। साथ में एक ताप बिजली घर भी है। पड़ोस में बसे गांव, पन्दारामपट्टी में वर्ष 1996 से अब तक कैंसर के 200 से अधिक मामले आ चुके हैं और अधिकतर आबादी सांस के रोगों से पीड़ित है।

हाल में ही जल संसाधन के राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने राज्य संभा में बताया था कि स्टरलाइट कॉपर के आसपास के क्षेत्र में तमिलनाडु राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लिए गए भूजल के नमूनों में आयरन, लेड, फ्लोरीन, कैडमियम और निकल की सांद्रता मान्य सीमा से बहुत अधिक थी। सेंट्रल ग्राउंडवाटर बोर्ड द्वारा कराए गए भूजल के परीक्षण में भी लेड, कैडमियम, क्रोमियम, मैंगनीज, आयरन, आर्सेनिक और टोटल डीजोल्वड सोलिड्स की सांद्रता तय सीमा से अधिक मिली।

फातिमा बाबू पर हमें गर्व है, जो लगातार हिम्मत के साथ इतनी लंबी लड़ाई लड़ पायीं, लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमारे देश में उद्योगों को हरेक चीज खरीदने की आदत पड़ गयी है। क्योंकि हर कोई बिकने को तैयार बैठा है, ऐसे में फातिमा बाबू का यह कथन बिलकुल सत्य प्रतीत होता है कि पुराने अनुभव यही बताते हैं कि कंपनी की बंदी एक नाटक हो सकता है।

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Published: 02 Dec 2018, 6:59 AM