संघ प्रमुख का भाषण : ‘मॉब लिंचिंग’ सही, आर्थिक नीतियां गलत
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार को आर्थिक नीतियां सुधारने की सलाह के साथ ही हिंदुत्व के एजेंडे को जारी रखने की नसीहत दी है और गौरक्षकों को अपना काम बिना विचलित हुए जारी रखने को कहा है।
गौ रक्षक सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से विचलित न हों, और अपना काम करते रहें, रोहिंग्या मुसलमानों पर सरकार सख्ती करे, क्योंकि जो अपने देश के लिए खतरा हैं, तो भारत के लिए भी खतरा ही हैं, कश्मीर के लिए संविधान में बदलाव होना चाहिए, और मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां ऐसी हों जिससे किसानों के साथ सबका भला हो। इसके अलावा दलितों को रिझाने के लिए संघ के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में साधु रविदास संप्रदाय के प्रमुख संत निर्मल दास को भी बुलाया गया था।
यह सार है राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के उस भाषण का, जो उन्होंने विजयादशमी पर आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिया । अपने भाषण में संघ प्रमुख ने एक तरह से “मॉब लिंचिंग” को सही ठहराया है। यूं तो संघ प्रमुख का आरएसएस के स्थापना दिवस पर संदेश वृहद राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में होता है, लेकिन इस बार इसमें मोदी सरकार को आर्थिक नीतियां सुधारने की सलाह के साथ ही हिंदुत्व के एजेंडे को जारी रखने की नसीहत भी थी।
मोहन भागवत ने कहा कि गौरक्षा को हिंसा से जोड़ना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम भी गौ रक्षक हैं और उन पर भी हमले हुए हैं। उन्होंने कहा कि विजिलांते यानी रक्षा और सतर्कता शब्द का दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने साफ संदेश दिया कि तमाम बुद्धिजीवी और सुप्रीम कोर्ट इस शब्द का दुरुपयोग कर रहे हैं, गौरक्षक इसस ने चिंतित हों और न विचलित। उन्होंने कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल कर कुछ शक्तियां सभी के दृष्टिकोणों को प्रभावति करने की कोशिश कर रही हैं, जिसके चंगुल से शासन और प्रशासन दोनों को निकलना होगी।
भागवत ने गाय के नाम पर हिंसा के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई सख्त चेतावनी के परोक्ष संदर्भ में कहा कि गोरक्षा से पवित्रता के साथ जुड़े स्वयंसेवक सरकार के उच्च पदस्थ व्यक्तियों के बयानों और पीट-पीट कर की जाने वाली हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकारों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों से न घबराएं।
‘जाहिदी ताकतों को पनाह दे रहे बंगाल-केरल’
उन्होंने केरल और पश्चिम बंगाल सरकार को जिहादी तत्वों को पनाह देने का आरोप लगाया और कहा कि इन राज्यों में हमारे लोगो मारे जा रहे हैं, जिहादी ताकतें सक्रिय हो रही हैं, और राज्य सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं।
संघ प्रमुख ने मोदी सरकार की यूं तो कई बिंदुओं पर तारीफ की, लेकिन आर्थिक मुद्दों पर आलोचनात्मक रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि कई योजनाएं हैं जिनसे लोगों का भला होगा, लेकिन आर्थिक नीतियां सबको ध्यान में रखकर बनाने की जरूरत है।
‘आर्थिक नीतियों की समीक्षा जरूरी’
नोटबंदी और जीएसटी का नाम लिए बिना मोहन भागवत ने कहा कि हाल के दिनों में दो कदम उठाए गए हैं उनकी समीक्षा की जाए और उनके विश्लेषण पर गंभीरता से विचार हो। उन्होंने कहा कि अभी भी देश की आर्थिक नीतियां ऐसी नहीं हैं जिनसे खेती-किसान, छोटे और मझोले उद्योग और कारोबार, खुदरा व्यापारी और खेतिहर और अन्य मजदूरों को फायदा हो। इस सबकी कमी मौजूदा आर्थिक नीतियों में नजर आती है। उन्होंने कहा कि जीडीपी एक अधूरा विश्लेषण है और देश को घिसी पिटी अर्थनीति से बाहर आकर वास्तविकता को समझना होगा।
‘परेशान हैं छोटे कारोबारी और किसान’
नोटबंदी और जीएसटी के बाद देश के छोटे उद्योगों और कारोबारियों के साथ रिटेल और कृषि के संकट पर कहा कि इस सबसे ही वैश्विक मंदी के समय भारत बचा रहा था, लेकिन आज इनकी ही हालत खराब है और आर्थिक नीतियां इन्हें ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए।
हिंदुत्व के एजेंडे को रेखांकित करते हुए मोहन भागवत ने कश्मीर के लिए संविधान में बदलाव की बात की। भागवत ने कहा कि जम्मू कश्मीर के शरणार्थियों की समस्या का अब तक समाधान नहीं हो पाया है। उनके पास बुनियादी सुविधाएं नहीं है और उन्हें अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान में आवश्यक सुधार होने चाहिए और जम्मू कश्मीर से जुड़े पुराने प्रतिबंधों को बदला जाना चाहिए।
‘रोहिंग्या भारत के लिए खतरा’
भागवत ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश के लिए खतरा बताते हुए कहा कि रोहिंग्या अपने ही देश के लिए खतरा हैं, तो हमारे देश में खतरे की चिंता क्यों नहीं चाहिए। संघ प्रमुख ने सवाल किया कि रोहिंग्या यहां क्यों हैं? उन्हें अपना देश क्यों छोड़ना पड़ा. म्यांमार ने रोहिंग्या पर कड़ा कदम उठाया है। अगर उन्हें कहीं भी शरण दी जाती है, चाहे वह मानवता के आधार पर हो या सुरक्षा के आधार पर यह अच्छा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर इन्हें यहां रहने दिया जाता है तो ये हमारी सुरक्षा के लिए खतरा होंगे और रोजगार भी छीन लेंगे।
दलित संत को बनाया कार्यक्रम का मुख्य अतिथि
आरएसएस ने इस बार अपने वार्षिक कार्यक्रम में पंजाब के श्रीगुरु साधु रविदास संप्रदाय के प्रमुख संत निर्मल दास को मुख्य अतिथि बनाया था। संघ की इस पहल को दलितों को रिझाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले 25 सितंबर को हुए एक कार्यक्रम में भी संघ ने एक मुसलमान डॉक्टर को आमंत्रित किया था।
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