विष्णु नागर का व्यंग्यः अब झूठ ही सत्य का मर्म, झूठ ही ब्रह्मवाक्य, सुनते रहो और पछताते रहो!
अब जमीन का हर टुकड़ा उनका है। अब हवा की हर सिहरन उनकी है। धूप का हर कतरा उनका है। सांस की हर धड़कन उनकी है। वे चाहें तो जीने दें, वे चाहें तो जहां, जिस तरह चाहें, मरने दें, मार दें। कोरोना तो एक बहाना है!
जो देखो, वही आजकल शिकायत करता फिरता है कि मुखिया जी हर रोज झूठ बोलते हैं। कोई दिन ऐसा नहीं जाता, जब इनके झूठ का राष्ट्रीय प्रसारण नहीं होता, उससे राहत की सांस मिल जाती हो। कहां तक झेले इन्हें? इनका करें तो करें भी क्या?
ऐसा है, कुछ मत करो। जो हमें करना था, हम 2014 में और फिर 2019 में भी कर चुके। अब यह मुखिया जी का लोकतंत्र है। पहचाना न, यह हमारे द्वारा चुनी गई सरकार का लोकतंत्र है!इसमें हमें अब कुछ नहीं करना है, सारी जिम्मेदारी वे ले चुके हैं। हमें कुछ करने, बोलने की जिम्मेदारी से उन्होंने पूरी तरह मुक्त कर दिया है। कितने अच्छे लोग हैं, कितने बढ़िया नेता! हमारी सारी जिम्मेदारियां खुद उठा रहे हैं। इसलिए अब इनका करोगे भी क्या? दिल्ली की सीमा पर धरना दोगे? दो। वहां छह महीने बैठोगे या साल भर?
जब हमें यह अच्छी तरह बता दिया गया है कि हमें वोट देने के अलावा कुछ नहीं करना है तो फिर साफ है कि उन्हें सबकुछ करना है। हमारे कुछ करने को इतना बर्दाश्त किया जा रहा है, यही क्या कम है! अब जमीन का हर टुकड़ा उनका है। अब हवा की हर सिहरन उनकी है। धूप का हर कतरा उनका है। सांस की हर धड़कन उनकी है। वे चाहें तो जीने दें, वे चाहें तो जहां, जिस तरह चाहें, मरने दें, मार दें। कोरोना तो एक बहाना है!
अब झूठ ही वैध है। झूठ ही संविधान है, झूठ ही कानून है। झूठ ही धर्म है, झूठ ही आस्था और झूठ ही विश्वास है। झूठ ही सत्य का मर्म है। झूठ ही नीति है, झूठ ही ब्रह्मवाक्य है। तुम सुनते रहो झूठ और पछताते रहो कि हाय हमने किसे अपना मुखिया बना दिया? ये आपके प्राण लेने तक मुखिया बने रहने के लिए आए हैं और लेकर ही जाएंगे और हम भी लगता है, यही चाहते हैं अब कि ये हमारे प्राण हर ही लें, ताकि रोज-रोज के झूठ से छुटकारा तो मिले!
मृत्यु कम से कम जीवन का अंतिम सत्य तो है! अंतिम समय में अंतिम सत्य से साक्षात्कार तो हो जाएगा! वहां झूठ से सामना तो नहीं होगा! जीते जी सात साल से झूठ में जीने से तो अंत में सत्य से साक्षात्कार कर लेना, अच्छा! गाँधी जी का भी अंततः साक्षात्कार इसी 'सत्य' से हुआ। वो सत्य की खोज जीवन भर करते रहे, वह उन्हें मिला नहीं, क्योंकि सत्य तो नाथूराम गोडसे की गोली में था! उन्हें मिलता कैसे? वहां उसकी खोज गांधी जी करते भी कैसे? जो गांधी जी को प्राप्त इस 'सत्य' पर खुशी मना रहे थे, वही अब हमारे चुने हुए अधिपति हैं। दोष किसे दोगे? उनके झूठ को? हा-हा!
झूठ जब पूरब से आता हो और पश्चिम से भी, उत्तर से आता हो और दक्षिण से भी, जमीन से आता हो और आकाश से भी, तो तुम करोगे क्या? कहां जाओगे? झूठ के नीलाकाश में तीखी धूप खिली हो और तुम राहत पाने के लिए सामने जिसे पेड़ समझ कर उसकी छाया में जाओगे और वहां पता चलेगा कि यह छाया भ्रम थी, रेगिस्तान में दीखता पानी था, तो बताओ, जाओगे कहां?झूठ ही जब आक्सीजन हो तो बताओ, मरने तक उसमें सांस लोगे या नहीं? झूठ ही जब वसंत हो और उसमें झूठ की कोयल कूक रही हो तो बताओ उसमें झूमने से बच पाओगे? झूठ के मानसून में दिनभर बाहर खपना हो तो छाते से कितना और कब तक भींगने से बचोगे?और घर में हो और छत पुरानी है तो जगह-जगह पानी चूएगा ही। बचने कहाँ जाओगे?
झूठ ही जेठ की धूप हो और दिन भर घर में रहना हो और पंखे का सहारा हो तो गर्मी के असर से कितना बचोगे? झूठ की आंधी चल रही हो तो नाक-कान-मुंह को धूल से कितना सुरक्षित रखोगे?झूठ जब हवा में हो, पानी में हो, तो बताओ इससे कितना परहेज रखोगे? और परहेज रख कर जाओगे कहां? तुम मेहुल चौकसी नहीं हो, नीरव मोदी नहीं हो कि तुम्हें चुपचाप बाहर जाने दिया जाएगा!
कोई देश तुम्हारे अकूत पैसे के दम पर तुम्हें नागरिकता दे दे! अदालतों को चकमा देने के लिए बड़े-बड़े वकीलों की सेवा मिल जाए। और भारत वापिस भेज भी दिया जाए तो कुछ न होने का पक्का भरोसा हो! यह स्थिति तुम्हारी भी है क्या? झूठ के साम्राज्य के अधिपति, उसके राजा का संरक्षण तुम्हें प्राप्त है? जिसे यह हासिल है, उसका आज तक कुछ हुआ है क्या? यहां आकर भी इन्हें जेल में राजशाही सुविधाएं मिलेंगी, आसानी से जमानत मिल जाएगी और फिर 'सम्मानित जीवन' जीने का मौका दे दिया जाएगा। फिर से हमारी बैंकों को लूटने का इस या उस तरह इन्हें अवसर दे दिया जाएगा। तुम्हारे पास ये सारे विकल्प हैं क्या?
और तुम सोचते हो कि हार कर तुम एक दिन झूठ के आगे आत्मसमर्पण कर दोगे, दोनों हाथ ऊपर कर दोगे तो सब ठीक हो जाएगा? एक 'अच्छे नागरिक' की तरह तुम्हें स्वीकार कर लिया जाएगा? झूठ का सत्ताधीश, उसका किंग, तुम्हारे पुराने रिकार्ड को ठीक कर देगा? सीने पर गोली खाने से तुम बच पाओगे?
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