विष्णु नागर का व्यंग्यः लालकिला से मोदी जी का ननस्टॉप भाषण और आजादी की असली कीमत का एहसास!
स्कूल में बताया गया है कि देश को आजादी 26 मई, 2014 को नरेन्द्र मोदी जी ने दिलाई। मोदी जी ने अकेले ही इतना बड़ा काम किया। टीचर ने बताया कि यह मोदी जी का बड़प्पन है कि असली स्वतंत्रता दिवस 26 मई को होने के बावजूद वह 15 अगस्त को लालकिले पर झंडा फहराते हैं!
आज स्वतंत्रता दिवस है। इस बार 15 अगस्त संडे को आया है। इससे पापा बहुत दुखी हैं। उनकी एक्स्ट्रा छुट्टी मारी गई है। उनका कहना है कि ऐसे स्वतंत्रता दिवस से मुझे क्या मतलब, जो कर्मचारी से उसकी एक छुट्टी छीन लेता हो! उन्होंने कहा है कि विरोधस्वरूप आज वह टीवी पर प्रधानमंत्री का भाषण नहीं सुनेंगे। खुद प्रधानमंत्री फोन करेंगे तो भी नहीं मानेंगे। जब-जब 15 अगस्त को संडे आया है, उन्होंने प्रधानमंत्री का भाषण नहीं सुना है। मम्मी और हम इससे बहुत खुश हैं। वैसे संडे का उनका रूटीन सेट है। वह दस बजे से पहले बेडरूम से बाहर नहीं आते। चाय पीने से पहले और पीते-पीते सब पर चिल्लाते हैं। दो बार तो इस चक्कर में अपने ऊपर गरम चाय गिरा बैठे हैं। हम मुंह पर हाथ रख कर हंसे हैं तो हमें थप्पड़ पड़े हैं।
मम्मी को तो संडे के दिन वह रुला कर ही मानते हैं। हमें भी कम से कम एक झापड़ रसीद करना उनका कर्तव्य है। हो सकता है, छुट्टी मारे जाने से दुखी पापा आज दो करारे रसीद कर दें। इसके अलावा वह अच्छा-अच्छा खाना बनवाते हैं। हम खाएं न खाएं, मम्मी को कुछ हाथ लगे न लगे, खुद खाकर फिर लंबी तानने चले जाते हैं। इस बीच कोई बच्चा चीखा-चिल्लाया, किसी ने टीवी चलाया या उन्हें पता चल गया कि बच्चे बाहर खेलने गए थे तो हमें कितना एकस्ट्रा प्रसाद मिलेगा, इसे ईश्वर भी नहीं जानते। आज भी इसी तरह बीतेगा स्वतंत्रता दिवस। हम तो कहते हैं, अच्छा है, यह संडे को आया है। हमेशा अब संडे को ही आया करे। एक ही दिन में मार-डांट का कार्यक्रम पूरा हो जाता है वरना 15 अगस्त को फिर वही संडेवाला कार्यक्रम चलता!
हमें स्कूल में बताया गया है कि भारत को आजादी 26 मई, 2014 को नरेन्द्र मोदी जी ने दिलाई। हमसे कहा गया है कि हम 'धन्यवाद मोदी जी' लिखकर दे! मोदी जी ने अकेले ही इतना बड़ा काम किया है। उन्होंने देशवासियों से पहले ही कह दिया था कि तुम्हें मेरे साथ आने की जरूरत नहीं। मैं सुपरमैन-आयरनमैन-स्पाइडरमैन यानी वन इन आल हूं। मैं सबको निबटा दूंगा। आप सब इस बीच ढोकला-फाफड़ा-खिचड़ी खाओ, टीवी पर मेरे करतब देखो, मोदी-मोदी करो।
आजादी के लिए वह फांसी पर भी चढ़ने को तैयार थे, मगर थ्री इन वन को हाथ लगाने की हिम्मत किसमें थी? मोदी जी की जबकि एक ही शर्त थी कि मुझे चौराहे पर फांसी पर चढ़ाना होगा। मैं जेल की चहारदीवारी के भीतर फांसी चढ़ कर भगत सिंह नहीं बनना चाहता। मैं अपना ब्रांड अलग बनाऊंगा। इतना सुनते ही अंग्रेजों की नाड़ी खिसक गई। इस तरह मोदी जी ने अंग्रेजों को एक झटके में ही निबटा दिया। कांग्रेस से लड़ने में उन्हें अधिक समय लग गया। इस तरह सुपरमैन+ ने इस देश के हिंदुओं को आजादी दिलाई! टीचर जी ने बताया कि यह मोदी जी का बड़प्पन है कि असली स्वतंत्रता दिवस 26 मई को होने के बावजूद वह 15 अगस्त को लालकिले पर झंडा फहराते हैं!
पापा पहले मोदी जी के भक्त हुआ करते थे। मोदी जी को अपना भगवान मानते थे। यह भी कहते थे कि मोदी जी का मैं जितना आदर करता हूं, उससे अधिक वह मेरा करते हैं। कल से वह मोदी जी से नाराज़ हैं। बताते हैं कि उनके पास मोदी जी का फोन आता रहता है, मगर वह नहीं उठाते। उनकी शिकायत है कि मोदी जी आज के दिन खासतौर से ननस्टॉप बोलते हैं। उनके लिए बीच-बीच में सांस लेने का काम तक उनके सहायकों को करना पड़ता है। वह अपने आप से, अपने भाषण से बहुत मुग्ध रहते हैं। अपनी दाढ़ी लहराते हुए वह साधुओं की तरह प्रवचन देने लगते हैं। भूल जाते हैं कि अभी वह झोला लेकर चले नहीं हैं, चलने वाले हैं!
वह यह भी भूल जाते हैं कि यह लालकिले की प्राचीर है और उनके पीछे बैठे मंत्री-राजदूत वगैरह उनके भाषण से ऊब रहे हैं, ऊपर से उन पर उमस का हमला है। हाथ से पंखा झलते-झलते उनकी जान निकली जा रही है। नीचे बैठे बच्चे भी महाबोर हो रहे हैं। ऊपर से सू-सू, पू-पू, पानी की समस्या है। किसी की छूटी जा रही है, किसी की छूट चुकी है और मोदी जी का भाषण जारी है!
निष्कर्ष: जब प्रधानमंत्री लालकिले से रवाना हो जाते हैं तो वहाँ उपस्थित बच्चों-बड़ों सभी को अहसास होता है कि आजादी कितनी कीमती चीज होती है। बच्चों को इससे प्रेरणा मिलती है कि देश को मोदीजी के भाषणों से आजाद करवाना अब उनकी जिम्मेदारी है! इस प्रकार स्वतंत्रता दिवस जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश उन्हें दे जाता है।
सभी भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
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