विष्णु नागर का व्यंग्यः नेहरूवादी सवाल करते हैं, पर सच्चा भारतीय ताली-थाली बजाकर गुरु-शिष्य परंपरा निभाता है

नेहरू और अमर्त्य सेन जैसों के कारण लोग आजाद भारत में बहस और सवाल बहुत करने लगे हैं। वो तो भारत की 130 करोड़ जनता को कोटि-कोटि नमन कि उसने हमें चुन कर इस देश को बचा लिया। सच्चा भारतीय वही है, जो हमसे सवाल नहीं करता। वह ताली-थाली-घंटी बजाता है, गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वाह करता है!

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

मितरों! आज मैं आपके सामने 'प्रश्नविहीन भारत' के निर्माण का आह्वान करने आया हूं। बहुत हो चुके प्रश्न। सुना है नोबेल पुरस्कार नामक कोई विदेशी पुरस्कार होता है, जिसे 'आत्मनिर्भर भारत' के किसी अमर्त्य सेन नामक आदमी ने स्वीकार किया है। उन्हें शर्म आनी चाहिए। सुना है, वह अंगरेजी जानते हैंं और उसमें किताबें लिखते हैंं। फुर्सत में हो तो चलो योग मत करो, किताब ही लिख मारो, मगर ज्ञान की बात तो करो!

बताते हैं कि इन्होंने एक किताब लिखी है- 'आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन'। इसमें लिखा है कि भारत में वाद-विवाद की पुरानी परंपरा है! बिल्कुल झूठ बात। ये आदमी विदेश में रहता है, वामी है ,ये क्या जाने हमारी महान हिंदू परंपरा! इसने गुरु गोलवलकर के ग्रंथ पढ़े होते, शाखा मेंं आया होता तो ऐसी बकवास नहीं करता। इसने हमें भ्रमित करने का काम किया है!

इसकी वजह से और जवाहर लाल नेहरू के कारण लोग आजाद भारत में बहस बहुत करने लगे हैं और भारत का सत्यानाश करके रख दिया है। वो तो भारत की 130 करोड़ जनता को कोटि-कोटि नमन कि उसने हमें चुन कर इस देश को बचा लिया। सच्चा भारतीय वही है, जो हमसे सवाल नहीं करता। वह ताली-थाली-घंटी बजाता है, गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वाह करता है!

ये नेहरूवादी-अमर्त्य सेनवादी बताइए हमसे भी सवाल करते हैं। आपने ये क्यों किया, वो क्योंं किया? ऐसे क्यों किया, वैसे क्यों नहीं किया? पीएम केयर फंड अलग क्यों बनाया? इसमें कितना धन आया, बताते क्यों नहीं? इसका क्या हुआ, उसका क्या हूआ? हम देश की सेवा करें कि इन्हें हिसाब दें! ये लोग अब पीएम केयर्स फंड नहीं, पीएम केयर्स फ्रॉड कहने लगे हैं। फ्रॉड को फ्रॉड कहना भारतीय परंपरा नहीं है!

और मित्रों, सवाल करना हमारा नैतिक अधिकार है। जब हम सत्ता में हैं तो भी हम इनसे सवाल करते हैं और विपक्ष में थे तो भी हम इनसे सवाल करते थे। इन सवालियों को मैं जवाब नहीं देता।इनके खिलाफ पांच-दस एफआइआर दर्ज करवा देता हूं। इधर से उधर, उधर से इधर भागते रहो।जमानत लेते रहो। अकल ठिकाने आ जाती है! एफआइआर तो हमारा मिनिमम प्रोग्राम है। इसे तो समझो हमारी तरफ से विरोधियों को दिया गया पैकेज है। इसके आगे राहें और भी हैं, मंजिलें और भी हैं और वहां पहुंचाना हमें आता है। इनफैक्ट पहुंचा रहे हैं हम!

और मितरों, वैसे मुझे जवाब देना भी खूब आता है। आपके सामने सीना ठोंक कर कहता हूं कि हां मान लो, ये पीएम केयर्स फ्रॉड है। है तो है। कर लो, जो कर सको। जहां जाना है, चले जाओ। हद से हद क्या होगा- विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में यह छप जाएगा? छपने से कुछ होता है क्या? होता है क्या?होता है? देखा है आपने होते हुए? अरे जनता ने हमें वोट दिया है। हमें अपनी मनमर्जी करने का नैतिक अधिकार दिया है। गुजरात में वेंटिलेटर फ्रॉड हुआ। हां हुआ। शोर कर लो। खुश हो लो। फिर देखो, क्या होता है!

हमारे खिलाफ आंदोलन करने वालों को एक-एक कर अंंदर करने का अधिकार हमें जनता ने दिया है। लॉकडाउन में गरीब पैदल चलें, मरें, इसका अधिकार भी हमें उन्हीं ने दिया है। हां हमें हक है धारा 370 हटाने का। और तुम कहते हो हम मानवाधिकारों का हनन करते हैं, तो हां छाती ठोक कर कहते हैं। हां हम झूठ बोलते हैं और डंके की चोट बोलते हैं। लोग कहते हैं आपको रात-दिन इतने झूठ बोल कर नींद कैसे आ जाती है? हां झूठ बोल कर ही हमें नींद आती है। सच बोलने वालों को नींद कैसे आ जाती है, इस पर हमें आश्चर्य होता है। पता नहीं गांधीजी को नींद आती थी या नहीं?और बिना नींंद के वह शख्स गोली खाकर मरने का इंतजार कैसे कर सका?

तो मितरों, आइए 'प्रश्नविहीन भारत' बनाने के इस अभियान को सफल बनाइए। प्रश्नविहीन मन ही सड़क पर चलते-मरते लोगों को देख कर प्रतिक्रिया विहीन रह सकता है। इस दृश्य से, इन लोगों के अस्तित्व से इनकार कर सकता है। प्रश्नविहीन मन ही बीस हजार करोड़ के पैकेज को बीस हजार करोड़ का पैकेज मान सकता है!

इसलिए कहता हूं मुझ पर आस्था रखो, तुम्हें हर जगह हरियाली दिखेगी। जहां हमने पेड़ कटवा डाले हैं, वहां ज्यादा हरियाली नजर आएगी। आर्थिक विकास में भारत सबसे आगे दिखाई देगा। हम अंधेरे को उजाला कहेंगे तो तुम्हें रौशनी ही रौशनी नजर आएगी। तुम रात और अंधेरे के लिए तरसा करोगे। हम पर आस्था ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है।

प्रश्न करना हो तो जवाहर लाल नेहरू से करो। प्रश्न करना हो तो अरुंधति राय से करो। अमर्त्य सेन से करो। हमारी तरह इतने अधिक मूर्खतापूर्ण प्रश्न करो कि वे सिर पकड़ कर बैठ जाएं, कान में रुई लगा लें। इतना चीखो कि नेहरू जी स्वर्ग में हों तो वहाँ से चीखने-चिल्लाने लगें और हम ये देख ताली-थाली बजाएं!

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